लखनऊ। UP politics 15 साल से सत्ता बेदखल बसपा प्रमुख मायावती की विधानसभा में सीटें भले ही कम हुई हो, लेकिन उनकी जमीनी पकड़ अभी भी मजबूत है। इसकी झलक उन्होंने गुरुवार को हुई कांशीराम के परिनिर्वाण दिवस की रैली में दिखा दिया, कि अभी भी अनुसूचित जाति के लोग उन्हें ही अपना राजनीतिक मसीहा मानते है। इंडिया गठबंधन इसी वर्ग पर डोरे डाल रहा था, उल्टा मायावती ने मुस्लिम वर्ग को रिझाने के लिए पासा फेंक दिया। यह देख सत्ता में आने का सपना देख रहे सपाई के अरमानों पर फिरता नजर आ रहा है। जिस तरह की राजनीति के लिए बसपा प्रमुख जानी जाती है, उससे साफ है आने वाले चुनाव में दोनों को दलों को तगड़ा झटका होगा।
मुस्लिम वोटरों का बंटवारा
विधानसभा चुनाव 2027 में मुस्लिम वोटर जिस दल को सपोर्ट करेंगे, उसी दलों के सीटों में इजाफा होगा। एक तरफ बीजेपी जहां मुस्लिमों से बहुत ज्यादा उम्मीद नहीं लगाकर हिन्दुओं को एकजुट करने पर बल देती है। वहीं सपा पीडीए पंचायत के जरिए अनुसूचित जाति, पिछड़ों और मुस्लिम वोटरों के भरोसे जंग जीतने का ख्वाब देख रही है। यह तो तय है जिसे भी सपा और भाजपा से टिकट नहीं मिलेगा वह बसपा से जुड़ेगा। बात चाहे हिंदू नेता की हो या मुस्लिम की। मतलब साफ है वोटरों का बंटवारा होगा। अब इस बंटवारे से बसपा को फायदा होगा या भाजपा या सपा को।
मायावती के बयानों का विश्लेषण करे तो बसपा ने इंडिया गठबंधन को अपना मुख्य राजनीतिक दुश्मन माना है। पिछले लोकसभा चुनाव में अल्पसंख्यकों के साथ-साथ पिछड़ों और दलितों का एक बड़ा हिस्सा इंडिया गठबंधन के साथ गया था। जिससे उसे सबसे ज्यादा सीटें मिलीं। इसलिए मायावती का सपा और कांग्रेस पर निशाना साधना स्वाभाविक है। बसपा नेतृत्व को लगता है कि इंडिया गठबंधन पर निशाना साधकर ही वो न सिर्फ अपने आधार वोट को खिसकने से रोक सकता है, बल्कि मुस्लिमों को अपने साथ ला सकता है। इसलिए आने वाले समय में भी बसपा का सपा व कांग्रेस पर हमला जारी रहे तो इसमें कोई हैरानी की बात नहीं।
इंडिया गठबंधन को साफ संदेश
रैली में पहुंची भीड़ को देखकर विरोधी दलों और संगठनों के होश उड़ गए हैं। रैली में अपना पैसा खर्च करके आए लोगों ने यह संदेश दिया कि वह मायावती को फिर से यूपी की सत्ता में देखना चाहते है। बसपा सुप्रीमो ने शुक्रवार को जारी अपने बयान में कहा कि ऐसे विरोधी दलों व संगठनों के नेताओं की बेतुकी बातों एवं बयानबाजी को महत्व नहीं दिया जाना चाहिए। इनके बारे में कुछ न कहा जाए, तो बेहतर होगा। वैसे भी बहुजन समाज के लोग अपने वोटों के बलबूते पर शोषित से शासक वर्ग बनकर बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर का सपना पूरा करने के लिए कितने तत्पर व संघर्षशील हैं, इसकी स्पष्ट झलक उन्होंने रैली में पूरे देश को दिखा दी है। अब उन्हें विरोधियों के साम, दाम, दंड, भेद आदि हथकंडों से सजग व सावधान रहते हुए आगे अपने मिशन 2027 में तन, मन, धन से लग जाना है।
