लखनऊ।BSP’s show of strength विधान सभा चुनाव को भले ही अभी लंबा समय है, लेकिन राजनीति दल अभी से वोटरों को रिझाने के लिए संघर्ष कर रहे। सपा मुखिया अखिलेश यादव पीडीए पंचायत से वोट बैंक बढ़ा रहे है तो कांग्रेसी संविधान की किताब लेकर लोगों को आगाह कर रहे है। वहीं भाजपा अपनी जनकल्याणकारी योजनाओं से हैट्रिक लगाने की सपने देख रही है। इसके अलावा कई छोटे—छोटे दल बड़े—बड़े सपने देख रहे है। इन सब के बीच बसपा सुप्रीमो मायावती ने कांशीराम के परिनिर्वाण दिवस पर राजधानी लखनऊ में एक बड़ी रैली करके सभी के होष उड़ा दिए। मायावती ने मंच से जो कहा,वह इन सभी के सपनों को चकनाचूर करने जैसा है।
जातिवादी दलों पर साधा निशाना
मायावती ने लोकसभा चुनाव में सपा के पीडीए से चोट खाने के बाद मुस्लिम वोट बैंक को अपने पाले में लाने की मुहिम तेज कर दी है। राजधानी में हुई रैली में उन्होंनेअल्पसंख्यकों खासकर मुस्लिमों का विकास न होने व जानमाल का खतरा होने की बात कहकर उन्हें पार्टी से जोड़ने का प्रयास किया। साथ ही जातिवादी दलों पर संविधान को बदलकर पुरानी जातिवादी व्यवस्था लागू करने का आरोप लगाते हुए दलित समाज को आगाह किया।
अगर मायावती के पूरे भाषण का विश्लेषण करते तो उन्होंने भाजपा के किसी भी वरिष्ठ नेता पर सीधे हमला नहीं बोला। अलबत्ता सीएम योगी आदित्यनाथ की तारिफ करके एक नई हवा को जन्म दे दिया। संविधान पर खतरे का सामना केवल बसपा द्वारा ही किए जाने की बात कहकर दलित वोटबैंक को संदेश दिया कि उनके अधिकार बसपा ही दिला सकती है। ये भी याद दिलाया कि जातिवादी पार्टियों से गठबंधन करने पर सवर्णों का वोट बसपा को नहीं मिलता है। उनके भाषण में पिछले चुनाव में सपा से गठबंधन के बाद मिले चोट साफ दिखाई दे रहे थे। इसके साथ ही यह स्पष्ट कर दिया बसपा अगला चुनाव अकेले दम पर लड़ेगी।
आकाश को आगे बढ़ाने की ललक
बसपा सुप्रीमो ने पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक आकाश आनंद को पहले बोलने का मौका देकर पार्टी के भविष्य की तस्वीर भी साफ कर दी। उन्होंने कहा आकाश अब पार्टी के मूवमेंट से पूरी तरह जुड़ चुके हैं। पूरी लगन और मेहनत से काम कर रहे हैं। जिस तरह आपने कांशीराम के बाद मेरा साथ दिया, उसी तरह आकाश का भी देना है। बसपा ने वर्ष 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव में बहुमत की सरकार बनाकर अपना 15 साल का वनवास खत्म करने के लिए रैली के जरिये तगड़ा शक्ति प्रदर्शन किया। करीब तीन लाख लोगों की क्षमता वाला कांशीराम स्मारक स्थल खचाखच भरा रहा तो बाहर भी इतनी ही भीड़ दिखाई दी।मायावती के निशाने पर पूरी तरह से समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव और कांग्रेस के साथ ही आजाद पार्टी रहीं। क्योंकि यह तीनों दल बसपा के कोर वोटरों को अपने पाले में लाने के लिए जी जान से जुटे हुए। कभी संविधान की दोहाई देकर तो कभी दलितों के साथ जुल्म का हवाला देकर।
आजम खां से मुलाकात अफवाह बताया
रैली में मायावती ने सपा के वरिष्ठ नेता आजम खां के बसपा में शामिल होने की अफवाहों पर भी विराम लगा दिया। उन्होंने कहा मैं किसी से छिपकर नहीं, खुलेआम मिलती हूं। दूसरे दलों के नेता ऐसी अफवाहें फैला रहे हैं। ऐसा 2017 में भी हुआ था, लेकिन पार्टी के लोग गुमराह नहीं हुए थे। बसपा प्रमुख ने ईवीएम में धांधली का आरोप भी लगाया। कहा कि बसपा को रोकने के लिए विपक्षी दलों ने अपने वोट ट्रांसफर किए। ईवीएम में धांधली की। यह सिस्टम आगे खत्म हो सकता है। वहीं आजाद समाज पार्टी का नाम लिए बिना इशारे में कहा कि दलित वोट बैंक को बांटने के लिए स्वार्थी व बिकाऊ लोगों की पार्टी व संगठन बनाकर अपने फायदे के लिए प्रत्याशी खड़े किए जा रहे हैं। एकाध को जितवा भी देते हैं।
