स्मृति इरानी के बाद राहुल गांधी को वायनाड से चुनौती देने वाली एनी राजा के बारे में जानिए

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Know about Annie Raja, who challenged Rahul Gandhi from Wayanad after Smriti Irani
यदि राहुल ने वायनाड को छोड़ा तो उन पर फिर मैदान छोड़ने का दाग लगेगा।

नईदिल्ली। राहुल गांधी ​की सियासत दिन पर दिन कठीन होती जा रही है, पहले अमेठी में स्मृति इरानी ने हराया तो उन्होंने केरल के वायनाड से चुनाव लड़कर संसद पहुंचे अब वायनाड से भी उन्हें इस बार तगड़ी टक्कर मिलने जा रही है। दरअसल इंडिया गठबंधन में होने के बाद सीपीआई ने यहां से महिला प्रत्याशी एनी राजा को मैदान में उतार दिया है। सीपीआई अब कांग्रेस को दबाव बना रही है कि राहुल गांधी को भाजपा को टक्कर देने के लिए उत्तर भारत से चुनाव लड़ना चाहिए। वहीं कांग्रेस का मानना है कि यदि राहुल ने वायनाड को छोड़ा तो उन पर फिर मैदान छोड़ने का दाग लगेगा, जिसे बीजेपी तुरूप के पत्ते की तरह इस्तेमा करेगी।

राहुल पर वायनाड छोड़ने का दबाव

स्मृति इरानी की तरह ही एनी राजा की एक मजबूत छवि है। अगर राहुल यहां से कदम नहीं खींचते है यहां भी उनके लिए जीत दर्ज करना मुश्किल है। बता दें कि एनी राजा सिर्फ वामपंथी खेमे में बड़ा नाम नहीं हैं, बल्कि महिलाओं के हक में उठने वाली उनकी मुखर आवाज को देशभर में पहचाना जाता है।

सीपीआई महासचिव डी राजा की पत्नी होने के साथ ही वह पार्टी की महिला इकाई भारतीय राष्ट्रीय महिला फेडरेशन (एनएफआईडब्ल्यू) की महासचिव भी हैं। 2022 में जब केरल में सत्तारूढ़ उनकी पार्टी के गठबंधन साथी सीपीआई-एम के नेता एमएम मणि ने एक महिला विधायक पर अभद्र टिप्पणी की, तब भी एनी विरोध से नहीं चूकीं। मणि ने विधायक केके रमा को कहा था कि उन्हें तो विधवा होना ही था। एनी ने इसका पुरजोर विरोध करते हुए कहा था कि एक महिला की पीड़ा का सदन में मजाक बनाना किसी भी स्थिति में स्वीकार्य नहीं होगा।

भाजपा की कट्टर आलोचक

एनी राजा को भाजपा की कट्टर आलोचक माना जाता है, उनका कहना है अगर कांग्रेस को वाम दलों के साथ मिलकर भाजपा से लड़ना है, तो राहुल गांधी को किसी ऐसी सीट से लड़ना चाहिए, जहां वे किसी भाजपाई उम्मीदवार को चुनौती दें। वायनाड सीट को सीपीआई के लिए छोड़ देना चाहिए। 1990 में कन्नूर में सीपीआई महिला मोर्चा की सचिव रहने के दौरान एनी की मुलाकात डी राजा से हुई। बाद में दोनों विवाह बंधन में बंध गए। पार्टी में दोनों को शुरुआत से ही सीपीआई का राजा-रानी कहा जाने लगा था। आज, असल में पार्टी इन्हीं दोनों के हाथों में है। इनकी बेटी अपराजिता भी पार्टी की छात्र इकाई में अहम पद पर हैं।

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