लखनऊ, बिजनेस डेस्क। देश के कम लागत वाले प्रमुख निवेश मंच फिनिटी ने पेसिव इनवेस्टमेंट पर अपनी विशेष रिपोर्ट लॉन्च की है। ‘पेसिव इनवेस्टमेंट रिपोर्ट-2021’ के अनुसार, यह अनुमान लगाया गया है कि पेसिव इनवेस्टमेंट का एयूएम 3 ट्रिलियन रुपए के मौजूदा स्तर से 8 गुना बढ़कर 2025 तक 25 ट्रिलियन रुपए हो जाएगा। रिपोर्ट भारत और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पेसिव इनवेस्टमेंट के विकास पर एक समग्र दृष्टिकोण प्रदान करती है।
पेसिव इनवेस्टमेंट निवेशकों के पैसे को बढ़ाने का एक आशाजनक तरीका बनकर उभरा है। पिछले पांच वर्षों में, भारतीय पेसिव इनवेस्टमेंट मार्केट ने उड़ान भरी, जिसमें संपत्ति निरपेक्ष रूप से 1200 प्रतिशत से अधिक बढ़ी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि मार्च 2016 से पेसिव एसेट्स अंडर मैनेजमेंट में 69 प्रतिशत सीएजीआर के हिसाब से बढ़ोतरी हुई है और यह राशि 22,409 करोड़ रुपए की तुलना में मार्च, 21 में 3,10,330 करोड़ रुपए पर पहुंच गई।
पिछले 12 महीनों में पेसिव एसेट्स लगभग दोगुने हो गए हैं। तीन प्रमुख कारणों से देश में पेसिव इनवेस्टमेंट में लोगों की दिलचस्पी बढ़ती जा रही है – सक्रिय फंडों का खराब प्रदर्शन, विशेष रूप से लार्ज कैप श्रेणी में, पेसिव फंड्स की कम लागत, और नियामक और सरकारी नीतियां जो निष्क्रिय निवेश उत्पादों में निवेश को प्रोत्साहित करती हैं।
160 पेसिव स्कीम्स की सेवा
भारतीय पेसिव इनवेस्टिंग मार्केट में पिछले कुछ वर्षों में कई नवीन उत्पादों को लॉन्च किया गया है, जिसमें वर्तमान में भारत में लगभग 160 पेसिव स्कीम्स पेश की जा रही हैं। इस अवसर पर फिनिटी के बिजनेस हेड श्री अभिलाष जोसेफ ने कहा, ‘‘हमें ‘पेसिव इनवेस्टमेंट रिपोर्ट-2021’ को जारी करते हुए खुशी का अनुभव हो रहा है।
इस रिपोर्ट के जरिये पेसिव इनवेस्टमेंट के कम ज्ञात पहलुओं पर निवेशकों के बीच जागरूकता पैदा करने का प्रयास किया गया है। पेसिव इनवेस्टमेंट दरअसल निवेशक पोर्टफोलियो का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनता जा रहा है। परिसंपत्ति प्रबंधन उद्योग में फिनटेक कंपनियों के प्रवेश के साथ, हर महीने लॉन्च होने वाले पेसिव फंड्स की संख्या एक सर्वकालिक उच्च स्तर पर है जिसके परिणामस्वरूप उत्पादों में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा और नवाचार हुआ है।
फिनिटी में हम पेसिव इनवेस्टमेंट प्रोडक्ट्स को लेकर सकारात्मक नजरिया रखते हैं क्योंकि वे एक आम निवेशक के लिए समझने में बहुत आसान हैं और इंडेक्स से मेल खाने वाले रिटर्न के बावजूद कम लागत वाले हैं। हम उम्मीद करते हैं कि पेसिव एसेट्स में कुल एयूएम अगले दो वर्षों में दोगुने से अधिक हो जाएगा।
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