हैरान करने वाला गुनाह: उन्नाव में चार बच्चों की मौत करंट से नहीं बल्कि, जहर देने से हुई थी

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Shocking crime: Four children in Unnao died not due to electric shock but due to poisoning.
वहीं पुलिस पर भी आरोपी को बचाने के आरोप लग रहे है।

उन्नाव। यूपी के उन्नाव जिले में 19 नवंबर को करंट लगने से चार बच्चों की मौत की खबर ने हर किसी को हिलाकर रख दिया है। अब इस खबर में बच्चों की मां ने थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई है कि बच्चों की मौत करंट से नहीं बल्कि उसके पति ने जहर देने के बाद गला दबाकर की है। दरअसल बच्चों के पिता ने सबके सामने अपना गुनाह कबूल किया है। आरोपी का कहना है कि उसके गांव की एक महिला से प्रेम संबंध थे, इसी को लेकर उसका पत्नी से आय दिन विवाद होता रहता था, इसी गुस्से में उसने बच्चों को जहर देने के बाद गला दबाकर हत्या की थी। पुलिस ने पोस्टमार्टम के बाद विसरा को जांच के लिए भेजा है, इसकी रिपोर्ट आने के बाद ही मौत की सही जानकारी होगी।

वहीं इस मामले में उन्नाव एसपी सिद्धार्थशंकर मीना का कहना है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में तो करंट से मौत आई थी। अब न जाने क्यों बच्चों का पिता वीरेंद्र खुद जहर देकर हत्या करने की बात कह रहा है। वह दो बच्चों का गला दबाने की बात भी कह रहा है लेकिन, पोस्टमार्टम रिपोर्ट में इस तरह की चीजें नहीं आई थी। वहीं पुलिस पर भी आरोपी को बचाने के आरोप लग रहे है।

झगड़े से तंग होकर की हत्या

बच्चों की हत्या करने के बारे में वीरेंद्र का कहना है कि गांव की एक महिला से उसके अवैध संबंध है, उसी को लेकर उसका पत्नी से रोज—रोज विवाद होता थ, इसी गुस्से में उसने बच्चों की हत्या की बात कबूली।पत्नी के थाने पहुंचकर शिकायत करने के बाद पुलिस ने आरोपी को हिरासत में लेकर पूछताछ की तो आरोपी ने अपना गुनाह कबूल कर लिया। वहीं पुलिस अभी तक करंट से ही मौत को मान रही थी। बता दें कि उन्नाव के बारासगवर थाना क्षेत्र के गांव लालमनखेड़ा में 19 नवंबर को वीरेंद्र के बेटे मयंक (9),बेटी हिमांशी(8),हिमांक(6)और मांशी (4) के शव घर में पड़े मिले थे।

जहर देने के और गला दबाने की पुष्टि

19 नवंबर को जब घर वाले खेत से लौटे तो बच्चों के शव के ऊपर बिजली का पंखा (फर्राटा) पड़ा हुआ था। घटना स्थल को देखकर हर कोई करंट से मौत होने की आशंका जताई थी। पुलिस ने शवों का पोस्टमार्टम कराया था। रिपोर्ट में जहर देने के साथ गला दबाने से मौत की पुष्टि हुई थी। लेकिन, पुलिस ने पूरे घटनाक्रम की थ्योरी ही बदल दी थी।एसपी के मुताबिक बच्चों की मौत करंट लगने से हुई थी न कि जहर खाने से। घटना को दबाने के लिए पुलिस ने छह दिन तक पोस्टमार्टम रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की। मृत बच्चों के परिजन और राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सदस्य श्याम त्रिपाठी के कहने के बाद भी पुलिस ने उन्हें रिपोर्ट नहीं दिखाई।

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