एक्टिव सोरायटिक आर्थराइटिस से पीड़ित मरीजों के इलाज में यह दवा होगी बेहद कारगर

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This drug will be very effective in the treatment of patients suffering from active psoriatic arthritis.
सोरायसिस मरीज़ों में से 7 से 42 फीसदी लोगों में सोरायटिक आर्थराइटिस पाया जाता है।

• सोरायसिस एक गंभीर, इम्युनिटी को नुकसान पहुंचाने वाली, आंतरिक सूजन से संबंधित बीमारी है जिससे दुनिया भर में 12.5 करोड़ लोग प्रभावित हैं।1

• भारत में 0.44 फीसदी से लेकर 2.8 फीसदी लोगों में सोरायसिस के मामले देखने को मिलते हैं और सभी सोरायसिस मरीज़ों में से 7 से 42 फीसदी लोगों में सोरायटिक आर्थराइटिस पाया जाता है।

नई दिल्ली। एली लिली ने ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) से अनुमति के बाद भारत में कोपेलर® (इक्सीकिज़ूमैब) को लॉन्च करने की घोषणा की है। कोपेलर® मध्यम से लेकर गंभीर रूप से प्लाक सोरायसिस से पीड़‍ित उन मरीज़ों के लिए उपयोगी है जो सिस्‍टमेटिक थेरेपी या फोटोथेरेपी कराने के पात्र हैं, साथ ही, यह एक्टिव सोरायटिक आर्थराइटिस से पीड़ित मरीज़ों के उपचार में काम आती है। मानवीकृत आईजीजी4 मोनोक्लोनल एंटीबॉडी कोपेलर® (इक्सीकिज़ूमैब) को खास तौर पर आईएल-17ए को टारगेट करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह एक ऐसा प्रोटीन है जो सोरायसिस में सूजन को बढ़ाने और उसे बनाए रखने में अहम भूमिका निभाता है।

सोरायसिस का असर कैंसर जैसा

विनीत गुप्ता, मैनेजिंग डायरेक्टर, एली लिली एंड कंपनी- इंडिया एंड इंडिया सबकॉन्टिनेंट ने कहा, “डर्मेटोलॉजी के क्षेत्र में हमारी इस शुरुआत से भारत में इनोवेटिव दवाएं लाने के लिली के वादे को पूरा करने में मदद मिलेगी। वैश्विक अध्ययनों से पता चलता है कि मरीज़ के जीवन पर सोरायसिस का असर कैंसर और हार्ट फेल जैसी “गंभीर” बीमारियों जैसा होता है।

कोपेलर® (इक्सीकिज़ूमैब) जैसे नए उपचार के उपलब्ध होने से स्वास्थ्यसेवा प्रदाताओं को मध्यम से लेकर गंभीर प्लाक सोरायसिस और एक्टिव सोरायटिक आर्थराइटिस से पीड़ित वयस्कों का सफलतापूर्वक उपचार करने का एक और विकल्प मिल जाएगा जिसकी देश में भारी कमी है।”कोपेलर® (इक्सीकिज़ूमैब) एक प्रेसक्रिप्शन मेडिसिन है जिसका इस्तेमाल किसी डर्मेटोलॉजिस्ट या रेमेटोलॉजिस्ट की सलाह पर और चिकित्सकीय निगरानी में ही करना चाहिए।

सोरायसिस ऑटो-इम्यून बीमारी

सोरायसिस त्वचा में लंबे समय तक चलने वाली ऑटो-इम्यून बीमारी है जिसमें लगातार जलन की वजह से त्वचा पर सूखे, मोटे, उभरे हुए और लाल धब्बे पड़ जाते हैं और इससे सफेद चकत्ते लगातार बने रहते हैं।4 इन चकत्तों से मरीज़ों को बहुत परेशानी होती है क्योंकि इसमें लगातार खुजली होती रहती है।

इससे कपड़े पहनने, टहलने, खाना पकाने और टाइपिंग जैसी रोज़ की गतिविधियों पर असर पड़ सकता है। कई अध्ययनों से पता चला है कि गंभीर रूप से सोरायसिस से पीड़ित मरीज़ों में अवसाद यानी डिप्रेशन होने की आशंका होती है और कई बार ऐसे लोगों में आत्महत्या जैसी भावनाएं भी पनप सकती हैं।7

सोरायसिस जोड़ों में दर्द

सोरायसिस की वजह से जोड़ों में दर्द की समस्या भी हो सकती है जिसे “सोरायटिक आर्थराइटिस” कहते हैं। शोध से पता चला है कि सोरायसिस के मामलों में जलन पूरे शरीर में बनी रहती है और इससे सोरायसिस के साथ-साथ हृदय रोगों, डायबिटीज़, किडनी की बीमारियों और पेट में जलन से जुड़ी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। इस स्थिति की किसी एक वजह का पता नहीं है, लेकिन कई चीज़ों की वजह से ऐसा हो सकता है: अनुवांशिक जोखिम, मोटापे जैसी पर्यावरणीय कारक, तनाव, कुछ दवाएं और चोट।

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