इस मशीन से बिना दर्द मिनट भर में उड़ जाएंगे प्राण-पखेरू, मिली कानूनी मंजूरी

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इच्छा मृत्यु चाहने वालों के लिए स्विटजरलैंड ने ताबूत के आकार की एक मशीन  को कानूनी मंजूरी दे दी है। बताया जा रहा है कि इस मशीन की मदद से लोग मात्र एक मिनट में बिना दर्द के मौत की नींद सो जाएंगे। 

नई दिल्ली। इच्छा मृत्यु चाहने वालों के लिए स्विटजरलैंड ने ताबूत के आकार की एक मशीन  को कानूनी मंजूरी दे दी है। बताया जा रहा है कि इस मशीन की मदद से लोग मात्र एक मिनट में बिना दर्द के मौत की नींद सो सकेंगे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मशीन के अंदर ऑक्सीजन का स्तर बहुत कम हो जाता है।

जिससे संबंधित व्यक्ति की मौत हो जाती है। इस मशीन को सूसाइड मशीन भी कहा जा रहा है। बताया जा रहा है कि इस ताबूत रूपी मशीन को अंदर बैठकर भी चलाया जा सकता है। कहा जा रहा है कि यह मशीन ऐसे मरीजों के लिए मददगार है,

जो बीमारी के कारण बोल नहीं पाते हैं या बिस्तर से हिल भी नहीं पाते हैं और इच्छा मृत्यु की मांग करते हैं।

मशीन यूं करती है काम

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इच्छा मृत्यु चाहने वाले को यह मशीन अपनी पसंदीदा जगह पर ले जाना होगी। जिसके बाद सूसाइड मशीन का नष्ट होने योग्य कैप्सूल अलग हो जाता है। बताया गया कि उसे ताबूत की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है। इस मशीन को ‘सारको’ नाम दिया गया है।

कहा जा रहा है कि इसका इस्तेमाल करने वाले व्यक्ति में हाइपोक्सिया और हाइपोकेनिया की स्थिति पैदा हो जाती है। बताया जा रहा है कि संबंधित व्यक्ति के टिश्यू में अपर्याप्त ऑक्सीजन की आपूर्ति होती है और खून में कार्बन डाइऑक्साइड की कमी से उसकी मौत हो जाएगी।

बताया जा रहा है कि सूसाइड मशीन बनाने का विचार एनजीओ ‘एक्जिट इंटरनेशनल’ के निदेशक और ‘डॉक्टर डेथ’ कहे जाने वाले डॉक्टर फिलीप निट्श्के का है। इसे लेकर उनकी कड़ी आलोचना भी हो रही है। कहा जा रहा है कि लोग मशीन में इस्तेमाल किए जाने वाले तरीके को गलत बता रहे हैं।

उनके अनुसार यह गैस चेंबर जैसी है। यह मशीन आत्महत्या को बढ़ावा देगी। कहा जा रहा है कि वर्तमान समय में दो प्रोटो टाइप बनकर तैयार हो गए हैं। अब एक तीसरी मशीन को बनाया जा रहा है। कहा जा रहा है कि यह अगले साल तक तैयार हो जाएगी।

आत्महत्या करना गैर कानूनी नहीं

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक स्विटजरलैंड में मदद के साथ आत्महत्या करना कानूनी माना जाता है। वहीं भारत समेत कई देशों में आत्महत्या को गैर कानूनी माना गया है। बीते साल 1300 लोगों ने इस प्रावधान के तहत आत्महत्या की है।

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