यूपी मिशन-2022: अपने कद्दावरों की बगावत से आशंकित भाजपा, सता रहा ये डर! बनाई नई रणनीति

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MLC elections in UP: BJP created history after 40 years, eliminated the main opposition party
36 सीटों के लिए चुनाव हुए। नौ सीटों पर भाजपा उम्मीदवारों ने निर्विरोध जीत हासिल की।

लखनऊ। यूपी मिशन—2022 को लेकर सियासी बिसात बिछाने का दौर शुरू हो चुका है। सियासी दल अपनी—अपनी रणनीति को दुरूस्त कर जमीन पर उतारने की कवायद में जुट गए हैं। सत्तासीन भाजपा व विपक्षी दल सपा, बसपा व कांग्रेस जमीन पर अपनी चुनावी तैयारियों को धार दे रहे हैं।

इन सबके बीच सत्तासीन भाजपा अपने कद्दावरों की बगावत को लेकर आशंकित नजर आ रही है। कहा जा रहा है कि यूपी विधानसभा चुनाव में प्रभावशाली विधायकों के टिकट काटने पर उनकी बगावत से आशंकित भाजपा अब उनकी सीट बदलने का रास्ता अपनाने की रणनीति पर काम कर रही है।

चर्चा है कि विधायकों को उनके ही जिले की किसी दूसरी सीट या दूसरे जिले से चुनाव लड़ाया जा सकता है। कहा जा रहा है कि जहां महंगाई, रोजगार जैसे तमाम जनमुद्दे भाजपा को घेर रहं हैं तो वहीं अपने कद्दावरों की बगावत ने भी भाजपा के लिए संकट खड़ा कर रखा है।

चर्चा है कि भाजपा के शीर्ष नेतृत्व और सरकार की ओर से कराए गए सर्वे में मालूम चला है कि जनता स्थानीय मौजूदा विधायकों की कार्यशैली से भी खासा नाराज है। सर्वे के मुताबिक भाजपा के मौजूदा 304 विधायकों में से 50 फीसदी से अधिक विधायकों से उनके क्षेत्र की जनता नाराज है।

बताया जा रहा है कि भाजपा को चुनाव जीतने के लिए कम से कम 30 से 40 फीसदी विधायकों के टिकट काटकर वहां नए चेहरों को उतारना पड़ेगा। इससे मौजूदा विधायक के प्रति जनता की नाराजगी दूर हो जाएगी और क्षेत्र में बिगड़े माहौल को भी पक्ष में करने की राह आसान हो जाएगी।

दरअसल पार्टी में उच्च स्तर पर हुए मंथन में सामने आया है कि मौजूदा विधायकों में बड़ी संख्या में ऐसे हैं जो सपा, बसपा और कांग्रेस छोड़कर 2017 से पहले भाजपा में शामिल हुए थे। बताया गया कि यदि 30 से 40 फीसदी विधायकों के टिकट काट दिए गए तो वे बगावत पर उतर जाएंगे।

ऐसे में वे सपा, बसपा या कांग्रेस के टिकट पर भी भाजपा उम्मीदवार के सामने चुनाव लड़कर पार्टी का चुनावी गणित बिगाड़ सकते है। चर्चा है कि इन सब हालातों से बचने के लिए भाजपा ने अपनी रणनीति में थोड़ा बदलाव लाने का मन बनाया है। मिल रही खबरों के मुताबिक पार्टी ने अब तय किया है कि उन्हीं विधायकों का टिकट काटा जाएगा,

जिन्हें चुनाव नहीं लड़ाने या उनके बगावती होने से पार्टी पर ज्यादा असर न पड़े। ऐसे विधायक जिनका टिकट काटने से उनकी जाति के वोट बैंक खिसकने का डर है, उन्हें जिले की दूसरी सीट या उनकी जाति के बाहुल्य वाले इलाके की किसी सीट से चुनाव लड़ाया जा सकता है।

चर्चा गर्म है कि खासतौर पर कुर्मी, मौर्य, राजभर, भूमिहार, ब्राह्मण, ठाकुर सहित कुछ अन्य जातियों के प्रभावशाली विधायकों की सीट बदली जा सकती है।

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