अलीगढ़। सरकार गोवंशीय पशुओं की सुरक्षा के लिए गोशालाओं का निर्माण करा रही है, इसी क्रम में अलीगढ़ जिला प्रशासन जेल में गोशाला बनवाने के लिए प्रदेश के सबसे बड़े मीट निर्यातक हाजी जहीर की फैक्टरी अल दुआ मीट इंडस्ट्री के दान से जेल में गोशाला बनवाने जा रही थी। लेकिन लोगों के विरोध के बाद जिला प्रशासन को अपना निर्णय बदलना पड़ा। प्रशासन के इस निर्णय का 20 जून को जबरदस्त विरोध हुआ। खुद शहर विधायक ने कड़ा ऐतराज जताते हुए सीएम और डीएम तक को पत्र लिख दिया। अधिकारियों तक फोन पहुंचने लगे। इसके बाद तय किया गया कि अब इस इंडस्ट्री के दान से गोशाला नहीं बनेगी। अब किसी अन्य इंडस्ट्री से मदद मांगी जाएगी।
जेल के निरीक्षण में डीएम-एसएसपी ने जेल में गोशाला संचालित करने पर विचार किया। तभी तय किया गया कि किसी निर्यातक कंपनी से सीएसआर फंड लेकर निर्माण कार्य कराए जाएं। जिला प्रशासन ने उद्योग विभाग को सीएसआर फंड दिलाने का काम दिया। उद्योग विभाग ने दस गायों की गोशाला के लिए प्रदेश के सबसे बड़े मीट निर्यातक हाजी जहीर की अल दुआ मीट निर्यातक फैक्टरी ने सीएसआर फंड से 15 लाख रुपये देना तय करा दिया। 20 जून को यह खबर सार्वजनिक होते ही प्रशासन के इस निर्णय का विरोध शुरू हो गया। सबसे पहले सोशल मीडिया पर टीका टिप्पणी शुरू हुई। दोपहर में शहर विधायक मुक्ता संजीव राजा ने इस विषय पर कड़ा ऐतराज जताते हुए सीएम व डीएम को पत्र लिख दिया। इस विरोध को देखते हुए जिला प्रशासन ने निर्णय बदल दिया है। अब इस कंपनी से गोशाला के लिए दान नहीं लिया जाएगा।
विधायक ने किया खुलकर किया विरोध
जिला प्रशासन के इस कदम का भाजपा विधायक मुक्ता संजीव राजा ने विरोध किया। उन्होंने एतराज जताते हुए डीएम और सीएम को पत्र लिया । इसके बाद मजबूर होकर सीडीओ प्रखर कुमार सिंह को अपने इस निर्णय से पीछे हटना पड़ा। उन्होंने कहा जिले में कई बेहतर काम इस तरह की इंडस्ट्री के सीएसआर फंड से होने हैं। मगर गोशाला के लिए मीट इंडस्ट्री के दान को लेकर विरोध की खबरें आ रही हैं। इसलिए जनभावनाओं को ध्यान में रखते हुए गोशाला अब इस फर्म के दान से न बनाना तय किया गया है। इसके लिए अब किसी अन्य कंपनी से दान लेकर काम कराया जाएगा। विधायक शहर क्षेत्र मुक्ता संजीव राजा का कहना है कि बड़े दुर्भाग्य का विषय है कि जिस मीट इंडस्ट्री के चलते शहर पिछले डेढ़ दशक से चर्बी की दुर्गंध झेल रहा है। उसी के सहयोग से जेल में गोशाला बनवाकर सनातन समाज का अपमान किया जा रहा है। लोगों में इसका विरोध है। प्रशासन चाहे तो सरकार को प्रस्ताव बनाकर मदद ले सकता है। इस तरह आस्था का अपमान नहीं करना चाहिए। हम खुद सक्षम हैं। इसी को लेकर विरोध में पत्र लिखा गया है।
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