चिंताजनक: दुनिया में 53 देशों के 29.5 करोड़ लोग एक वक्त की रोटी के लिए कर रहे संघर्ष

Worrying: 295 million people in 53 countries of the world are struggling for one meal a day

दुनिया का सबसे कमजोर तबका संघर्ष, बढ़ती महंगाई, जलवायु परिवर्तन और जबरन विस्थापन जैसे हालातों में उलझा हुआ है।

नई दिल्ली। विश्व खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) की रिपोर्ट ने पूरे विश्व को एक बार फिर सोचने को मजबूर कर दिया है। रिपोर्ट के अनुसार दुनिया 53 देशों के 29.5 करोड़ लोगों को दोनों वक्त रोटी नसीब नहीं हो रही है। यह लोग गंभीर खाद्य संकट से जूझ रहे है। इस वजह से गरीबी भूखमरी और अपराध तेजी से बढ़ रहा है। रिपोर्ट के अनुसार लगातार छठे वर्ष, दुनिया भर में गंभीर खाद्य संकट और बच्चों में कुपोषण की स्थिति में वृद्धि हुई है। 53 देशों में अनुमानित 29.5 करोड़ लोग गंभीर खाद्य असुरक्षा से जूझ रहे हैं, जो 2023 के मुकाबले 1.37 करोड़ अधिक हैं। यह संकट मानवीय इतिहास के एक नाजुक दौर की ओर संकेत करता है, जिसमें दुनिया का सबसे कमजोर तबका संघर्ष, बढ़ती महंगाई, जलवायु परिवर्तन और जबरन विस्थापन जैसे हालातों में उलझा हुआ है।

लगातार बढ़ रहा संकट

‘वैश्विक खाद्य संकट रिपोर्ट 2025’ के अनुसार 2024 का वर्ष दुनिया के संकटग्रस्त और निर्धन समुदायों के लिए किसी दुःस्वप्न से कम नहीं रहा। लगातार छठे वर्ष, दुनिया भर में गंभीर खाद्य संकट और बच्चों में कुपोषण की स्थिति में वृद्धि हुई है। 53 देशों में अनुमानित 29.5 करोड़ लोग गंभीर खाद्य असुरक्षा से जूझ रहे हैं, जो कि 2023 के मुकाबले 1.37 करोड़ अधिक हैं। यह स्थिति दर्शाती है कि हालात में सुधार की बजाय और गिरावट आई है। जिन देश में एक अनुमानित आबादी का मूल्यांकन किया गया उनमें से 22.6 फीसदी लोग गंभीर खाद्य संकट का सामना कर रहे थे। यह लगातार पांचवां वर्ष है जब यह आंकड़ा 20 फीसदी से ऊपर बना हुआ है।

19 लाख लोग भुखमरी के चरम स्तर पर

रिपोर्ट के अनुसार 2024 में करीब 19 लाख लोग ऐसे हैं जो भुखमरी के चरम स्तर पर पहुंच चुके हैं। जबसे 2016 में इस तरह के आंकड़े इकट्ठे किए जाने शुरू हुए हैं, यह अब तक का सबसे भयावह आंकड़ा है। 26 गंभीर संकटग्रस्त क्षेत्रों में पांच साल से कम उम्र के 3.8 करोड़ बच्चे गंभीर रूप से कुपोषण का शिकार पाए गए। गाजा, माली, सूडान और यमन जैसे इलाकों में हालात बेहद भयावह बन चुके हैं। सूडान में तो अकाल घोषित हो चुका है। यह 2020 के बाद पहली बार है जब दुनिया के किसी हिस्से में औपचारिक रूप से अकाल की पुष्टि हुई है। सूडान में तो हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि वहां औपचारिक रूप से भुखमरी की पुष्टि की जा चुकी है। गाजा, हैती, माली और दक्षिण सूडान जैसे क्षेत्रों में भी स्थिति बेहद गंभीर बनी हुई है।

जबरन विस्थापन बन रही वजह

इन सबके ​पीछे प्राकृतिक आपदा के साथ ही मानवीय दृष्टिकोण भी सामने आ रहे है। कई जगह बारिश नहीं होने से अनाज नहीं पैदा हो रहा है। तो कई जगह लोगों के मूल स्थान से जबरन विस्थापित कर दिया ज रहा है। जिससे वह अपनी मूलभूत सुविधाओं को जुटाने में असमर्थ सिद्ध हो रहे है। विश्व भर में 12.8 करोड़ विस्थापितों में से 9.5 करोड़ ऐसे देशों में रह रहे हैं जहां पहले से ही खाद्य संकट गहराया हुआ है, जैसे कि डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो, कोलंबिया, सूडान और सीरिया। इन देशों में स्थिति अत्यंत खराब और दुखदाई है। खाद्य संकट के मुख्य कारणों में से एक राजनीतिक संघर्ष और हिंसा भी है। रिपोर्ट के अनुसार करीब 20 देशों में 14 करोड़ लोग युद्ध और हिंसा के कारण भोजन की कमी से जूझ रहे हैं।

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