- शिकायतकर्ता के खिलाफ आपराधिक अवमानना कार्यवाही शुरू करने की स्वतंत्रता दी जाती है
कर्नाटक। कर्नाटक हाईकोर्ट ने Infosys co-founder क्रिस गोपालकृष्णन और अन्य के खिलाफ अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के तहत दर्ज एफआईआर को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने शिकायत को “कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग” करार दिया और शिकायतकर्ता के खिलाफ आपराधिक अवमानना कार्यवाही शुरू करने की स्वतंत्रता प्रदान की।16 अप्रैल को आदेश पारित करने वाले जज हेमंत चंदनगौदर ने कहा कि यह शिकायत “याचिकाकर्ताओं को परेशान करने का एक कष्टप्रद प्रयास” है। यह एफआईआर भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) के पूर्व संकाय सदस्य डी. सन्ना दुर्गाप्पा द्वारा दर्ज की गई निजी शिकायत पर आधारित थी, जिन्हें यौन उत्पीड़न के आरोपों की आंतरिक जांच के बाद 2014 में बर्खास्त कर दिया गया था।
कोर्ट ने कहा कि 2015 में हाईकोर्ट में चुनौती दिए जाने के बाद बर्खास्तगी को इस्तीफे में बदल दिया गया था। उस समय समझौते के तहत दुर्गाप्पा ने संस्था और उसके प्रतिनिधियों के खिलाफ सभी शिकायतें और कानूनी कार्यवाही वापस लेने पर सहमति व्यक्त की थी।इसके बावजूद, उन्होंने दो और एफआईआर दर्ज कीं, जिनमें से दोनों को 2022 और 2023 में रद्द कर दिया गया। कोर्ट ने कहा कि वर्तमान एफआईआर में भी इसी तरह के आरोप हैं और यह न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग है।
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