लखनऊ। विवाह के बाद लंबे समय तक निःसंतानता और बार-बार गर्भपात जैसी चुनौतियों का सामना करने के बावजूद लखनऊ निवासी 39 वर्षीय निमिषा (बदला हुआ नाम) ने मातृत्व का सुख प्राप्त किया है। शादी के बाद 15 साल तक इंतजार, छह असफल आईवीएफ साइकिल्स और कई बार प्रेगनेंसी के बीच में गर्भपात जैसी समस्याओं के बाद भी दम्पती ने उम्मीद नहीं छोड़ी और एक्सपर्ट केयर के लिए इन्दिरा आईवीएफ लखनऊ का चयन किया, जहां उनके केस को नये दृष्टिकोण और वैज्ञानिक तरीके से संभाला गया।Indira IVF लखनऊ में आवश्यक जाँचों के दौरान निमिषा को बाइलेटरल हाइड्रोसैलपिंक्स (दोनों फैलोपियन ट्यूब्स में संक्रमण) और पॉलीसिस्टिक ओवरी डिजीज (पीसीओडी) की समस्या पाई गई, जो गर्भधारण में बड़ी बाधक बन रही थी।
लेप्रोस्कोपिक ट्यूबल डीलिंकिंग
उपचार का नेतृत्व कर रहे इन्दिरा आईवीएफ के गायनेकोलॉजिस्ट एंड आईवीएफ स्पेशलिस्ट डॉ. पवन यादव ने हाइड्रोसैल्पिंक्स के इलाज के लिए पहले लेप्रोस्कोपिक ट्यूबल डीलिंकिंग करने की सलाह दी। इसके बाद केस की गंभीरता को देखते हुए योजनाबद्ध तरीके से आईवीएफ प्रक्रिया शुरू की गई, जिसमें दो हाई क्वालिटी के ब्लास्टोसिस्ट भ्रूण बनाए गए और महिला के गर्भाशय में ट्रांसफर किये गये। उपचार योजना को इस प्रकार तैयार किया गया कि हार्मोन संतुलन, गर्भाशय की ग्रहणशीलता (यूटेराइन रिसेप्टिविटी) और भ्रूण चयन को एक ही प्रयास में अनुकूलित (ओप्टिमाइज) किया जा सके।
Indira IVF के गायनेकोलॉजिस्ट एंड आईवीएफ स्पेशलिस्ट डॉ. पवन यादव ने कहा कि निमिषा के केस में कई जटिलताएं थी जैसे बार-बार गर्भपात होना, ट्यूबल से जुड़ी समस्या और पीसीओडी आदि। इन सभी का सही समय पर और सटीक तरीके से इलाज करना बहुत जरूरी था। फैलोपियन ट्यूब्स को सर्जरी से अलग करना जरूरी था ताकि शरीर में होने वाली सूजन को रोका जा सके, जो अक्सर गर्भधारण में रुकावट बनती है। हमने गर्भाशय की सतह (एंडोमेट्रियम) को अच्छी तरह तैयार किया और सिर्फ सबसे अच्छी क्वालिटी के भ्रूणों का चयन किया, जिससे इम्पलांटेशन हो सके व प्रेगनेंसी बिना किसी समस्या से आगे बढ़ सके। निमिषा का केस यह बताता है कि अगर हर मरीज की फर्टिलिटी जर्नी को समझदारी, सही प्लानिंग और लगातार इमोशनल सपोर्ट के साथ संभाला जाए तो सफलता मिलने की संभावना अधिक होती है।
सफल मातृत्व सुख
एम्ब्रियो ट्रांसफर के बाद निमिषा की प्रेगनेंसी पहली बार बिना किसी समस्या और जटिलता के दूसरी और तीसरी तिमाही तक पहुँची। पूरी प्रेगनेंसी स्वस्थ व सफलतापूर्वक पूरी हुई और एक स्वस्थ संतान का जन्म सिजेरियन सेक्शन द्वारा हुआ। यह केस बताता है कि सर्जीकल करेक्शन और एविडेंस बेस्ड आईवीएफ प्रोटोकॉल से कैसे जटिल फर्टिलिटी समस्याओं को सफल मातृत्व सुख में बदला जा सकता है। निमिषा जो कई वर्षों तक अनिश्चितता और लगातार असफलताओं का सामना करती रही, यह इंटीग्रेटेड इलाज उसकी जिंदगी में एक नया मोड़ लेकर आया और उन्हें सफल गर्भावस्था और स्वस्थ संतान का सुख मिला।
इन्दिरा आईवीएफ में हर मरीज के केस के अनुसार पूरी जिम्मेदारी और मेडिकल सटीकता के साथ संभाला जाता है, ताकि हर दंपती को उनकी आवश्यकता के अनुसार सबसे उपयुक्त और व्यक्तिगत इलाज मिल सके। नवाचार, क्लिनिकल एक्सपर्टीज और लगातार इमोशनल सपोर्ट के जरिये, इन्दिरा आईवीएफ के विशेषज्ञ उन दंपतियों को नई उम्मीद और नई संभावनाएँ दे रहे हैं जो वर्षों से माता-पिता बनने का सपना देख रहे हैं।
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