सीबीआई पूर्व सीएम अखिलेश से जानना चाहती है कि रोक के बाद भी कैसे हुए खनन के लिए पट्टे

नोएडा। अखिलेश यादव की सरकार में जमकर प्राकृतिक संसाधनों की लूट मची थी, यहां तक एनजीटी के निर्देशों की जमकर धज्जी उड़ाई गई। रोक के बावजूद खनन के लिए पट्टे किए जाते रहे है। इस मामले में नेताओं से लेकर अफसरशाही तक सभी नियम तोड़कर नोट छापने में जुटे रहे। सीबीआई ने इन्हीं मामलों की पूछताछ के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को पूछताछ के लिए बुलाया, सीबीआई उनसे बतौर गवाह पूछताछ करेगी कि कैसे रोक लगने के बाद भी उनकी सरकार में पट्टों का आवंटन हुआ।

इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर मामले में सीबीआई ने दो जनवरी, 2019 को एफआईआर दर्ज की थी। मामले की जांच कर हमीरपुर के तत्कालीन जिलाधिकारी, तत्कालीन भूगर्भ विशेषज्ञ व खनन अधिकारी, कुछ कर्मचारियों व निजी कंपनियों समेत 11 को आरोपी बनाया गया। आरोप है कि अफसरशाही और तत्कालीन अधिकारियों की मिलीभगत से लघु खनिज के खनन में बड़ी हेराफेरी हुई। साथ ही मामले में नियमों को ताक पर रख कर रेत खनन की लीज देने का आरोप है। पूरी प्रक्रिया में पर्यावरण संबंधी कानूनों और हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) के दिशानिर्देशों का भी उल्लंघन बताया गया।

रोक के बाद भी पट्टों का आवंटन

वर्ष 2012 से 2016 तक सरकार ने हम्मीरपुर में 63 खनन पट्टों का आवंटन किया गया, जबकि सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी ने आवंटन पर पाबंदी लगा रखी थी। उस दौरान पहले अखिलेश यादव और फिर गायत्री प्रजापति खनन मंत्री थे। हाईकोर्ट ने एक याचिका पर अवैध तरीके से खनन पट्टे देने की सीबीआई जांच का आदेश दे दिया। जांच में 14 के आवंटन नियम विरुद्ध पाए गए। इसके बाद सीबीआई ने फतेहपुर, सोनभद्र, देवरिया, हमीरपुर, शामली, सिद्धार्थनगर, सहारनपुर आदि जिलों में हुई गड़बड़ियों में केस दर्ज किया। प्रारंभिक जांच में 100 करोड़ से अधिक के घोटाले के प्रमाण मिले।

एमएलसी के परिजन भी कराते थे अवैध खनन

अवैध खनन के मामले में पूर्व सीएम अखिलेश यादव को सीबीआई का समन जारी होते ही सभी आरोपियों के कान खड़े हो गए हैं। स्थानीय अधिवक्ता की याचिका पर करीब साढ़े सात वर्ष पूर्व हाईकोर्ट ने जिले में संचालित मौरंग खनन के 63 पट्टे निरस्त कर सीबीआई जांच के आदेश दिए थे। इनमें से 17 पट्टे उस समय दिए गए थे जब खनन विभाग अखिलेश यादव के पास था।

मामले में तत्कालीन जिलाधिकारी बी चंद्रकला समेत 11 लोगों के खिलाफ सीबीआई ने एफआईआर दर्ज की थी।पांच जनवरी 2017 को जिले में तैनात रही डीएम बी चंद्रकला, तत्कालीन खान अधिकारी मोइनुद्दीन, खनिज विभाग के लिपिक रामआसरे प्रजापति, मौदहा कस्बा निवासी सपा से एमएलसी रहे रमेश मिश्रा (वर्तमान में भाजपा), उनके भाई दिनेश मिश्रा, अंबिका तिवारी उर्फ बबलू , शहर निवासी संजय दीक्षित (सपा) उनके पिता सत्यदेव दीक्षित, जालौन जनपद के कोंच क्षेत्र के पिंडारी गांव निवासी रामअवतार राजपूत, गनेशगंज जालौन निवासी करन सिंह राजपूत व लखनऊ निवासी आदिल खान के खिलाफ सीबीआई ने मुकदमा दर्ज कराया। इसमें अवैध खनन, भ्रष्टाचार व धोखाधड़ी का आरोप लगाया गया था।

डीएम ने की मनमानी

याचिकाकर्ता विजय द्विवेदी एडवोकेट ने बताया कि वर्ष 2012-13 में पूर्व सीएम अखिलेश यादव के पास खनिज विभाग था। उस समय 13 लोगों को मानक विहीन 17 खनन पट्टे दिए गए थे। डीएम बी चंद्रकला ने मनमाने तरीके से 31 मई 2012 के बाद 49 खनन पट्टों की स्वीकृति दी। वर्ष 2012-13 में मानक को दरकिनार कर तत्कालीन सपा एमएलसी रमेशचंद्र मिश्रा व उनके परिवार व अन्य लोगों के नाम पट्टे दे दिए गए। इनमें 19 फरवरी से 19 मार्च 2013 के बीच सपा एमएलसी रमेश कुमार मिश्रा, मालती मिश्रा को तीन, सुरेश कुमार मिश्रा को दो, दिनेश कुमार मिश्रा को दो के साथ विनोद कुमार, अशोक कुमार के नाम भी खनन पट्टा दिया गया। इसी संबंध में सीबीआई अखिलेश से पूछताछ कर सकती है।

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