एमपी का रण: मोदी के आगे राहुल, प्रियंका, अखिलेश, मायावती और केजरीवाल सब बेअसर, जानिए इसका कारण

भोपाल। हिन्दी पट्टी के बड़े राज्य मध्यप्रदेश में चुनावी परिणाम ने विपक्ष के अरमानों पर कुठाराघात किया है, कुछ नेता खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे के जैसे ईवीएम को ही दोष देने लगे है, ले​किन हकीकत तो यह है कि यह है कि एमपी के मैदान में विपक्ष के किसी बड़े नेता का जादू नहीं चला। राहुल गांधी, प्रियंका या अखिलेश यादव या मायावती या बात कर अरविंद केजरीवाल की सभी ने अपने— अपने प्रत्याशियों के समर्थन में खूब रोड शो और सभाएं की, लेकिन कोई भी मतदाताओं को अपने पक्ष में खड़ा नहीं कर सका, नतीजा यह हुआ कि भाजपा को उम्मीद से ज्यादा सीटै मिली।इन सबका सबसे बड़ा कारण मोदी और शिवराज के प्रति जनता का विश्वास रहा है, जिसे शिवराज ने एक मामा के रूप में बखूबी निभाया।

बेअसर रहे राहुल गांधी

कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने मध्यप्रदेश के मैदान में आठ जनसभाएं की। इसके बाद भी पार्टी के खाते में बड़ी हार आई।भोपाल में उत्तर और मध्य विधानसभा सीट पर उन्होंने रोड शो किया था जहां पार्टी जीती, पर नरेला विधानसभा सीट हार गई।इसी प्रकार प्रियंका गांधी वाड्रा ने कुक्षी (धार), इंदौर, सांवेर (इंदौर), खातेगांव (देवास), चित्रकूट (सतना), रीवा, दतिया और सिहावल(सीधी) में माहौल बनाने की कोशि की, लेकिन मात्र दो सीटों पर ही सफलता मिली वह भी प्रत्याशी की क्षेत्र में मजबूत पकड़ के बदलौत।

कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कटंगी (बालाघाट), शहपुरा (डिंडौरी), ग्वालियर, भोपाल मध्य, सेवढ़ा (दतिया), श्योपुर, बैरसिया (भोपाल) और भोपाल दक्षिण-पश्चिम विधानसभा क्षेत्र में उन्होंने प्रचार किया। यह माना जा रहा था कि उनके प्रचार से अनुसूचित जाति (अजा) मतदाता कांग्रेस के पक्ष में आ जाएगा, पर ऐसा नहीं हुआ।

जातिवाद का कार्ड नहीं चला

बुंदेलखंड और चंबल के कुछ सीटों पर सपा का प्रभाव माना जाता है, क्योंकि यह यूपी की सीमा से लगे हुए, यहां अखिलेश यादव ने यूपी की तरह जातिवाद का कार्ड खेलना चाहा, लेकिन सपा का खाता तक नहीं खुल पाया। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने ने दमोह, पिछोर (शिवपुरी), धौहनी (सीधी), पन्ना, छतरपुर, जतारा (टीकमगढ़) निवाड़ी, जौर (मुरैना), बोहरीबंद (कटनी)में जन सभाएं की, लेकिन पार्टी को एक भी सीट इस चुनाव में नहीं मिली।

वोटरों को नहीं रिझा सकी मायावती

बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने भी मुंगावली (अशोकनगर), निवाड़ी, बंडा (सागर)। सतना, रीवा, सेवढ़ा (दतिया), लहार (भिंड), मुरैना, पथरिया (दमोह) और बंडा (सागर) में जनसभाएं की। गोंगपा के साथ गठबंधन किया फिर भी पार्टी का खाता नहीं खुल सका, भिंड के बसपा विधायक संजीव कुशवाह भी चुनाव हार गए।

केजरीवाल की लोकलुभावन घोषणाएं

दिल्ली के बाद पंजाब में सरकार बनाने में सफल रही आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कई लोकलुभावन वादे किए लेकिन जनता ने उनकी पार्टी को घास नहीं डाली। सिंगरौली में आप से महापौर रानी अग्रवाल को प्रदेश अध्यक्ष बनाने के साथ ही चुनाव लड़ाया। खुद विंध्य क्षेत्र की कुछ सीटों पर प्रचार किया पर एक भी सीट नहीं जिता पाए। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने भी अपनी पार्टी के स्टार प्रचारक के रूप में कुछ विधानसभा क्षेत्रों में प्रचार किया। रोड शो भी किया पर मतदाताओं पर कोई असर नहीं डाल पाए।

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