यह कैसी विदाई: एक तरफ परिवार के 14 लोग जिंदा जल गए, दूसरी तरफ दुल्हन ने लिए 7 फेरे

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What kind of farewell is this: On one side 14 family members were burnt alive, on the other side the bride took 7 rounds
विवाह की रस्म के दौरान जो लोग घटना से अवगत थे वे लोग भी सबकुछ जानते हुए अनजान बने रहे।

धनबाद। झारखंड के धनबाद में हुए भीषण अग्निकांड में एक ही परिवार के 14 लोगों की जिंदा जल गए, मरने वाले में अधिकतर महिलाएं थी। घर में शादी में शामिल होने के लिए बड़ी संख्या में रिश्तेदार जुटे थे।​ जिस समय घर में आग लगने से तबाही मची,ठीक उसी समय घर की बेटी स्वाती शादी की रस्मों में उलझी थी,उसे पता ही नहीं चला की घर के कई लोग दिखाई क्यों नहीं दे रहे हैं। बचे हुए लोग भी शादी की रस्मों को जल्दी—जल्दी पूरा करने में जुटे थे, ताकि बेटी को विदा करके मरने वालों को अंतिम विदाई दी जा सकें।

घर से पांच सौ मीटर शादी का मंडप

झारखंड में धनबाद के आशीर्वाद ट्विन टावर के जिस घर में आग लगी, वहां बेटी की शादी थी। जब हादसा हुआ, उस समय घर से 500 मीटर दूर सिद्धि विनायक मैरिज हॉल में इसी परिवार की बेटी स्वाति की शादी की रस्में चल रही थीं। हादसे के बाद गम में सिर झुकाए लड़की के पिता बैठे थे और दुल्हन शादी की रस्में निभा रही थी। दुल्हन को विदाई तक पता ही नहीं था कि उसका पूरा परिवार अब इस दुनिया में नहीं रहा। इस दौरान उसे किसी अनहोनी की आशंका तो हुई उसने के कई बार पापा से दादा—दादी और घर वालों को पूछा भी लेकिन उन्होंने जवाब दे दिया कि सब कही गए है,जल्द ही लौटेंगे,लेकिन अब वह कभी नहीं लौटेंगे।

What kind of farewell is this: On one side 14 family members were burnt alive, on the other side the bride took 7 rounds
जिस मां ने उसे 9 माह तक कोख में रखा उसे अंतिम विदाई भी नहीं दे सकीं यहां तक कि उसकी मौत की खबर से अनजान अपनी नई जिंदगी की रस्में निभाती रहीं।

सब जानकर भी अनजान बनते रहे

विवाह की रस्म के दौरान जो लोग घटना से अवगत थे वे लोग भी सबकुछ जानते हुए अनजान बने रहे। ताकि दुल्हन स्वाती को न पता चल सके कि उसके सात फेरे के बाद एक साथ 14 चिताएं जलेंगी। पूरे परिवार की मौत से विचलित स्वाति के पिता सुबोध श्रीवास्तव मंडप के पास एक कुर्सी में बैठे हुए हैं, लेकिन चाह कर भी कन्यादान की रस्म को पूरा नहीं कर पा रहे। इस रस्म को स्वाति के एक भाई ने पूरी की है। पिता की डबडबाई आंखें बिना पूछे सब बात कह दे रही हैं।सुबह 5 बजे स्वाति की विदाई हुई। विदाई के वक्त भी स्वाति को नहीं पता था कि उसके घर में ऐसा कुछ हुआ है।
सुबह 5 बजे स्वाति की विदाई हुई। विदाई के वक्त भी स्वाति को नहीं पता था कि उसके घर में ऐसा कुछ हुआ है।

मां के बिना विदा हुई स्वाती

पूरी रस्म तो स्वाती को अंधेरे में रखकर निभाई गई, अब इसके बाद जब बेटी को विदाई देने के बात आई तो लोगों ​का दिल सोच कर बैठा जा रहा था, कि अब तो स्वाती मां को जरूर पूछेगी तो क्या जवाब दिया जाएगा।सुबह के 5:00 बज रहे होते हैं और विदाई की रस्में शुरू होती हैं।

इस दौरान स्वाति की सूनी आंखें बता रही होती है कि सब कुछ ठीक तो नहीं है, इस बात का उसे एहसास हो गया है। विदाई की रस्म के दौरान परिजन किसी भी तरह की बातचीत से पूरी तरह गुरेज करते हैं और हाथ जोड़कर यह आग्रह भी करते हैं उनकी बेटी की विदाई हो जाने दिया जाए। फिलहाल एक दो घंटे बाद जब स्वाती को पता चलेगा तो उस पर क्या बितेगा, जिस मां ने उसे 9 माह तक कोख में रखा उसे अंतिम विदाई भी नहीं दे सकीं यहां तक कि उसकी मौत की खबर से अनजान अपनी नई जिंदगी की रस्में निभाती रहीं।

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