धर्म डेस्क।Dhanteras today हिन्दुओं के महापर्व दीपोत्सव की शुरूआत धनतेरस से होती है। जो हर साल कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी दिन मनाई जाती है। मान्यता है इसी दिन समुद्र-मंन्थन के समय भगवान धन्वन्तरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे, इसलिए इस तिथि को धनतेरस या धनत्रयोदशी के नाम से जाना जाता है। भारत सरकार ने धनतेरस को राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया है। इस दिन माता लक्ष्मी, कुबेर और भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है। इसके साथ ही नए सामान की खरीदी की जाती है। इस पर खासकर सोने—चांदी के गहने मां लक्ष्मी—गणेश की मूर्ति और झाड़ू खरीदना शुभ माना जाता है।
धन्वंतरि की पूजा: प्रदोष काल में भगवान धन्वंतरि की मूर्ति को घर के उत्तर पूर्व दिशा में रखें. दीपक जलाएं और धूप फूल अक्षत हल्दी कुमकुम अर्पित करें. ॐ धन्वंतराये नमः मंत्र का जप करें।
मां लक्ष्मी की पूजा: धनतेरस पर मां लक्ष्मी की पूजा करने से सौभाग्य , धन और समृद्धी का आशीर्वाद मिलता है।
धनतेरस पूजा सामग्री सूची
चौकी,स्वस्तिक या अल्पना बनाने के लिए अक्षत या आटा,चौकी पर बिछाने के लिए लाल वस्त्र,मिट्टी के बड़े दीपक,सरसों का तेल,13 मिट्टी के दीपक और बाती।कौड़ी माता लक्ष्मी, गणेशजी, भगवान कुबेर, धन्वंतरि और यमराज जी की तस्वीर।पूजा की थाली,सुपारी,कुबेर यंत्र,कलश,मौली या कलावा, अक्षत रोली या अबीर,गुलाल,सिक्का,गुड़ या शक्कर,चंदन,कुमकुम और हल्दी चौकी को शुद्ध करने के लिए गंगाजल, मौसमी फल, मिष्ठान्न,ताम्बूल (पान, लौंग, सुपारी, इलायची)क्षमतानुसार दक्षिणा,लाल और पीले पुष्प,पुष्प माला धुप,अगरबत्ती,चढ़ावा के लिए खील-बताशा, धनिया के बीज, नए बर्तन, नई झाड़ू, धान-मूंग,कपूर आदि सामान की जरूरत पड़ती है।

धनतेरस पूजा विधि
धनतेरस के दिन सुबह जल्दी उठें, स्नान करके साफ-सुथरे कपड़े पहनें।
पूजा से पहले मुख्य द्वार पर रंगोली बनाएं और घर के अंदर माता लक्ष्मी के पैर के निशान बनाएं।
माता लक्ष्मी, कुबेर देवता और भगवान धन्वंतरि की षोडशोपचार (16 प्रकार की पूजा सामग्री) से विधिपूर्वक पूजा करें।
भगवान धन्वंतरि को कुमकुम लगाएं, माला पहनाएं और अक्षत (चावल) चढ़ाएं।
पूजा में भोग अर्पित करें, खासकर भगवान धन्वंतरि को कृष्ण तुलसी, गाय का दूध और मक्खन चढ़ाएं।
धनतेरस के दिन पीतल की कोई वस्तु खरीदकर भगवान धन्वंतरि को समर्पित करें।
पूजा के दौरान धन्वंतरि स्तोत्र का पाठ जरूर करें।
पूजा समाप्ति पर माता लक्ष्मी, कुबेर देवता और धन्वंतरि की आरती करें।
आरती के बाद प्रसाद सभी में बांट दें।
शाम को आटे से चौमुखा दीपक बनाएं, उसमें सरसों या तिल का तेल डालकर घर के बाहर दक्षिण दिशा की ओर रखें।
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