जयंती पर गीतकार शैलेन्द्र और शहादत दिवस पर डॉ एम एम कलबुर्गी पूरी शिद्दत याद किए गए।

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जन संस्कृति मंच द्वारा आयोजित कार्यक्रम में

 दरभंगा, बिहार। जनसंस्कृति मंच, दरभंगा के तत्वावधान में को प्राक् परीक्षा प्रशिक्षण केंद्र, दरभंगा में  99वीं जयंती पर मशहूर इंकलाबी गीतकार शंकर शैलेन्द्र के साथ-साथ शहादत दिवस पर डॉ एम एम कलबुर्गी पूरी शिद्दत से याद किए गए।कार्यक्रम का संचालन करते हुए जसम, दरभंगा जिला सचिव कॉमरेड समीर ने कहा कि “इंकलाबी गीतकार शंकर शैलेन्द्र और शहीद डॉ एम एम कलबुर्गी हमारे पुरखे हैं, जिन्हें पूरी शिद्दत से याद करना और उनके सपनों को साकार करना हमारा संकल्प है।”

मौके पर जसम के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य और समकालीन चुनौती के संपादक डॉ सुरेन्द्र सुमन ने कहा कि “मशहूर इंकलाबी गीतकार शंकर शैलेन्द्र और फासिस्ट राज में शहीद हुए डॉ एम एम कलबुर्गी हमारी इंकलाबी विरासत के दुर्धर्ष योद्धा थे। जहां इंकलाबी गीतकार शैलेन्द्र ने ‘तू जिंदा है तो जिंदगी की जीत में यकीन कर/अगर है कहीं स्वर्ग तो उतार ला जमीन पर ‘ और ‘भगतसिंह इस बार न लेना काया भारतवासी की/आज भी देश भक्ति के लिए सजा मिलेगी फांसी की ‘ जैसे कतिपय इंकलाबी गीत लिखकर भारतीय क्रांति के लिए नौजवानों को झकझोरा  वहीं अमर शहीद डॉ एम एम कलबुर्गी ने मौजूदा बर्बर फासिस्ट सत्ता से संविधान के हिफ़ाज़त एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए जूझते हुए शहादत दी।उनके सपनों का समाज बनाना हम सभी लोगों का फर्ज है।”

गीतों से संवारने वाले अमर गीतकार शैलेन्द्र

जसम के बिहार राज्य उपाध्यक्ष कॉ कल्याण भारती ने कहा कि “सुप्रसिद्ध आंचलिक कथाकार फणीश्वरनाथ रेणु की कहानी ‘तीसरी कसम’ नाम से बनी फिल्म  को अपने गीतों से संवारने वाले अमर गीतकार शैलेन्द्र एक ही साथ फिल्मों के लिए गीत लिखने वाले गीतों के राजकुमार और  इंकलाबी गीतकार  भी हैं।जसम, दरभंगा जिला उपाध्यक्ष प्रो मोइनुद्दीन अंसारी ने इंकलाबी गीतकार शंकर शैलेन्द्र और डॉ एम एम कलबुर्गी को नमन करते हुए उनकी इंकलाबी विरासत को आगे बढ़ाने एवं उनके सपनों को साकार करने का आगाज किया।

अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में जसम, दरभंगा जिला अध्यक्ष डॉ रामबाबू आर्य ने कहा कि “मशहूर इंकलाबी गीतकार शंकर शैलेन्द्र ने शोषण-उत्पीड़न पर आधारित सत्ता और  समाज को बदलने एवं शोषण-उत्पीड़न विहीन समाज बनाने के लिए अपने गीतों को हथियार बनाया और डॉ एम एम  कलबुर्गी ने समतामूलक समाज की स्थापना के लिए साहित्य का सृजन करते हुए  मौजूदा फासिस्ट सत्ता संपोषित गुंडों से जूझते हुए शहादत दी।

डॉ एस एस  ठाकुर ने डॉ एम एम कलबुर्गी की पत्नी उमा देवी द्वारा उनके सात हत्यारों को सरकार  से सजा दिलवाने की मांग करने पर मौजूदा सरकार द्वारा डॉ कलबुर्गी को आतंकवादी कहकर मामला   रफा-दफा करने की तीव्र भर्त्सना की।
इस अवसर पर जसम, दरभंगा जिला सह सचिव मंजू कुमार सोरेन, शिक्षक नेता फतह आलम, रूपक कुमार, समीरदयाल दीपक, राजीव कुमार सहित  कतिपय लोगों ने अपने-अपने विचार रखे और दिनों महान इंकलाबी शख्सियत को इंकलाबी सलाम पेश किया।

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