यूपी: CM के नाम से ‘योगी’ शब्द हटाने की याचिका खारिज, हाईकोर्ट ने लगाया 1 लाख का जुर्माना

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उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ के नाम से योगी शब्द को हटाने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट में दी गई याचिका को कोर्ट ने खारिज कर दिया है।

प्रयागराज – उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ के नाम से योगी शब्द को हटाने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट में दी गई याचिका को कोर्ट ने खारिज कर दिया है। मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट की दो जजों की पीठ ने याचिकाकर्ता को फटकार लगाते हुए उससे 1 लाख रूपये जुर्माना वसूल करने का भी आदेश दिया हैं।

बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट में सीएम योगी आदित्यनाथ से संबंधित एक याचिका दायर की गई थी। जिसमें योगी आदित्यनाथ को अपने नाम के साथ योगी शब्द का प्रयोग करने से रोक लगाने की मांग की गई थी। सोमवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए याची को फटकार लगाई और उसपर 1 लाख रूपये का हर्जाना लगाते हुए मामले को सिरे से खारिज कर दिया।

याचिका में दी गई थी ये दलीलें

याचिका में कहा गया था कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 2004, 2009 और 2014 के चुनावों के बाद आदित्यनाथ नाम से शपथ ग्रहण किया था। इसके बाद उन्होंने अपने नाम के आगे योगी शब्द उसी तरह जोड़ दिया जैसे कई नामों के पहले डॉक्टर और इंजिनियर जोड़ दिया जाता है। याचिकाकर्ता की दलील थी कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विभिन्न नामों का उपयोग डिजिटल मंचों सहित विभिन्न मंचों पर किया जा रहा है जिससे लोगों में भ्रम पैदा हो रहा है। इसलिए राज्य सरकार को डिजिटल एवं गैर डिजिटल मंचों पर मुख्यमंत्री के केवल एक नाम का उपयोग करने का निर्देश दिया जाना चाहिए। यह याचिका मुख्य न्यायमूर्ति राजेश बिंदल एवं न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ के समक्ष प्रस्तुत की गई थी।

उत्तर प्रदेश सरकार के तरफ से दी गई दलीलें

उत्तर प्रदेश सरकार के तरफ से कहा गया कि जनहित याचिका पोषणीय नहीं है। सीएम योगी आदित्यनाथ को प्राइवेट कैपेसिटी से पक्षकार बनाया गया है। इस कारण किसी प्राइवेट व्यक्ति के खिलाफ याचिका पोषणीय नहीं है। हाईकोर्ट रूल्स के मुताबिक याची ने अपना क्रेडेंशियल स्पष्ट नहीं किया है इस कारण भी याचिका खारिज किए जाने योग्य है। उत्तर प्रदेश सरकार के तरफ से अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने कहा की याची ने सस्ती लोकप्रियता के उद्देश्य से जनहित याचिका दाखिल की है। इस कारण भी यह खारिज किए जाने योग्य है।

कोर्ट ने कहा- समय बर्बाद करने वाली है यह याचिका

याचिका की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायमूर्ति राजेश बिंदल एवं न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने याचिका को कोर्ट का समय बर्बाद करने वाली बताया। कोर्ट ने जुर्माने के तौर पर याची को एक लाख रुपये भरने के लिए कहा और याचिका खारिज कर दिया। उन्होंने याची को 45 दिनों के भीतर 1 लाख रुपए का हर्जाना भरने का आदेश देते हुए उक्त राशि को विकलांग केंद्र को देने के निर्देश दिए।

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