मेरठ। यूपी के मेरठ जिले में गो-तस्करों के नेटवर्क का आईएसआई से कनेक्शन सामने आया है, गोतस्करी से होने वाली कमाई का इस्तेमाल टेरर फंडिंग के लिए किए जाने की जानकारी होने पर सुरक्षा एजेंसियां सतर्क हो गई हैं। अकबर को किन सफेदपोशों नेताओं का संरक्षण था इसका पता लगाया जा रहा है। मेरठ पुलिस ने भी अकबर, सलमान और शमीम के आठ मोबाइल की सीडीआर निकाला जा रहा है उनके बैंक खाते और संपत्ति की जांच शुरू कर दी है।फलावदा स्थित बंजारन मोहल्ला निवासी अकबर बंजारा व उसका भाई सलमान मंगलवार को असम में पुलिस कस्टडी में हुए उग्रवादियों के हमले में मारे गए थे। असम पुलिस 14 अप्रैल को अकबर व सलमान को मेरठ से बी-वारंट पर ले गई थी।
मुठभेड़ में ढेर हुए दोनों भाई
असम पुलिस का दावा है कि उग्रवादियों के हमले में मारे जाने से पहले दोनों भाइयों से अहम सुराग मिले हैं। दावा है कि अकबर के नेटवर्क का लिंक पाकिस्तान की आईएसआई से था। गो-तस्करी से अर्जित अवैध धन आईएसआई और कुछ चरमपंथी संगठनों को भी जाता था।बुधवार को सुरक्षा एजेंसियों ने फलावदा पुलिस ने अकबर बंजारा और उसके परिवार की पूरी जानकारी ली। अकबर बंजारा करीब सात साल से अवैध तरीके से गोमांस की तस्करी करता था।
हर पहलू पर होगी जांच
एसपी देहात केशव कुमार ने बताया है कि मेरठ में गिरफ्तारी के दौरान अकबर बंजारा और उसके दोनों भाई सलमान, शमीम से छह मोबाइल बरामद हुए थे। आईएसआई कनेक्शन और टेरर फंडिंग की भी गहनता से जांच की जा रही है। इनके नेटवर्क में स्थानीय स्तर पर कौन-कौन लोग थे, इसकी जांच की जा रही है।
एक हजार करोड़ का कालाकारोबार
जांच में पता चला कि भारत में रहकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पशु तस्करी का काला कारोबार करने वाले अकबर बंजारा की काली कमाई करीब 1000 करोड़ की आंकी जा रही है, बंजारा की ज्यादातर संपत्तियां बेनामी है, कुछ करीबियों और ज्यादातर रिश्तेदारों के नाम पर हैं। मेरठ पुलिस को संपत्ति खंगालने में अब अन्य विभागों की भी मदद लेनी पड़ेगी, पुलिस ने अकबर बंजारा की संपत्तियों की फेहरिस्त तैयार की है, जिसमें अब तक करोड़ों की संपत्ति को शामिल किया जा चुका है, लेकिन अभी इन संपत्तियों का वेरिफिकेशन होना बाकी है।
आईएसआई से भी जुड़े तार
मेरठ के फलावदा का रहने वाला था अकबर बंजारा। पशु खरीदकर कसाईयों को सप्लाई करने का कारोबार तो उसका पुश्तैनी था लेकिन इस कारोबार को तस्करी तक पहुंचाने में अकबर बंजारा की बड़ी भूमिका है, पिछले दो दशकों में अकबर बंजारा ने यूपी, बिहार, बंगाल, मध्य प्रदेश, राजस्थान ,असम मेघालय में अपने नेटवर्क को तैयार किया। देश भर से प्रतिबंधित पशुओं की तस्करी करके मेघालय के रास्ते बांग्लादेश भेजा करता था और इन पशुओं के बदले हवाला हुंडी और सोने में भारी रकम बंजारा गैंग को मिलती थी, असम पुलिस के अनुसार पशु तस्करी के इस काले कारोबार को पाकिस्तान की आईएसआई भी संरक्षण देती थी।
इन संपत्तियों का पता चला
- फलावदा में अकबर बंजारा के पास तीन मकान
- 15 दुकानें और तीन मकान लिसाड़ी गेट क्षेत्र में
- शास्त्री नगर सैक्टर 9 में बंजारा की आलीशान कोठी
- बहसूमा इलाके में 155 बिघा का बाग
- नौ बीघा फलावदा में खेती की जमीन
- 20 बीघा जमीन महलका गांव में
- 18 बीघा जमीन नारनौल में खेती के लिए खरीदी
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