प्रदेश सरकार के बाद केंद्र सरकार पर दबाव बनाने वरुण गांधी ने एमएसपी गारंटी कानून पर चला यह दाव

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After the state government, this claim was made on Varun Gandhi MSP guarantee law to put pressure on the central government
एमएसपी कानून को लेकर कुछ सुझावों की लिस्ट संसद को सौंपी है।

नई दिल्ली। पीलीभीत से बीजेपी सांसद वरुण गांधी पिछले काफी समय से अपनी सरकार से नाराज चल रहे है, वह किसानों के समर्थन के साथ अन्य मुद्दों पर राय सोशल मीडिया पर काफी बेबाकी से रख रहे है। इसी क्रम में उन्होंने देश के ज्वलंत मुद्दे एमएसपी गारंटी को प्राइवेट बिल के जरिए संसद में लाने की तैयारी की है। इसका तैयार मसौदा संसद को भी सौंप दिया है और इसे सोशल मीडिया पर शेयर करके लोगों से उनकी राय मांगी है। सांसद गांधी ने रविवार को बिल के मसौदे को ट्वीट करते हुए लोगों से इस पर उनके सुझाव भी मांगे हैं। उन्होंने एमएसपी कानून को लेकर कुछ सुझावों की लिस्ट संसद को सौंपी है।

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 भाजपा सांसद ने अपने प्रस्तावित प्राइवेट मेंबर के मसौदे को ट्वीट करते हुए लिखा, ‘भारत के किसानों और सरकार ने लंबे वक्त से तमाम आयोगों के भीतर और बाहर कृषि संकट पर बहस की है। अब एमएसपी कानून बनाने का समय आ गया है। कानून में मेरे अनुसार किस तरह के प्रावधान होने चाहिए, इसको लेकर मैंने एक मसौदा तैयार किया है और संसद में रख दिया है। इस पर किसी भी तरह की आलोचना का स्वागत है।’

प्रस्तावित विधेयक की खास बातें

  • इस विधेयक में 22 फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटीशुदा खरीद की परिकल्पना की गई है। ये फसलें देश में एक लाख करोड़ रुपये वार्षिक वित्तीय परिव्यय के साथ भारत में बड़े पैमाने पर उगाई जाती हैं। फसलों की यह सूची कृषि उत्पादों को जरूरत के आधार पर शामिल करने के लिए खुला रहेगा।
  • विधेयक में इस बात की व्यवस्था होगी

  • न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को उत्पादन की कुल लागत पर 50 फीसद लाभांश के आधार पर निर्धारित किया गया है। यह मूल्य स्वामीनाथन समिति (2006) द्वारा अनुशंसित फसल तैयार करने के लिए किए गए वास्तविक खर्च, अवैतनिक पारिवारिक श्रम के बराबर मूल्य तथा कृषि भूमि और कृषि से जुड़े अन्य साजो-सामान के छोड़े गए किराए की परिगणना पर आधारित है। विधेयक में इस बात की व्यवस्था होगी कि एमएसपी से कम कीमत हासिल करने वाला कोई भी किसान प्राप्त मूल्य और गारंटीशुदा एमएसपी के बीच मूल्य के अंतर के बराबर मुआवजे का हकदार है।
  •  यह विधेयक गुणवत्ता मानकों के आधार पर विभिन्न फसलों के वर्गीकरण का प्रावधान करता है, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि यदि फसल पूर्व-निर्धारित गुणवत्ता को पूरा नहीं करती है तो किसानों को संकटपूर्ण बिक्री की नौबत का सामना नहीं करना पड़ेगा। इसके अलावा, फसल भंडारण के बदले कृषि ऋण का प्रावधान अगले फसल कटाई के मौसम के लिए कार्यशील पूंजी और संकटपूर्ण बिक्री के जोखिम को कम करने के लिए अतिरिक्त तौर पर रहेगा।
  •  किसानों को समय पर भुगतान के साथ उनकी फसलों के लिए एमएसपी प्राप्त करने की गारंटी दी जाएगी। लेनदेन की तारीख से दो दिनों में खरीदार द्वारा फसल बेचने वाले किसानों को यह रकम सीधे बैंक खाते में जमा कराना होगा। अगर किसी कारण से एमएसपी का मूल्य किसानों को नहीं मिलता है तो सरकार को बिक्री मूल्य और एमएसपी के बीच के मूल्य अंतर का भुगतान इस मामले की सूचना मिलने के एक हफ्ते के भीतर करना होगा।
  • पर्यावरणीय लागत कम हो

  • यह विधेयक फसलों की विविधता को प्रोत्साहित और खेती के लिए प्रत्येक प्रखंड के लिए सबसे उपयुक्तफसल की सिफारिश करता है ताकि इससे कृषि के लिए पर्यावरणीय लागत कम हो, खासतौर पर भूजल के मामले में। जाहिर तौर पर इससे दीर्घकालिक पारिस्थितिक स्थिरता के लिए उपयुक्तफसल पैटर्न को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी।
  • किसानों के लिए से उपज की कीमत की घोषणा फसली मौसम शुरू होने के दो महीने पहले होनी चाहिए ताकि वे अपने बुवाई की योजना अग्रिम तौर पर बना सकें।
  • इस प्रस्तावित कानून को लागू कराने के लिए कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्रालय में अलग से एक विभाग बनाया जाएगा।  यह विभाग अलग निर्णय लेने वाली एक संस्था के तौर पर होगी, जिसमें किसान प्रतिनिधि, सरकारी अधिकारी और कृषि नीति के विशेषज्ञ शामिल रहेंगे।
  •  यह विधेयक प्रत्येक पांच गांव पर एक अच्छी तरह से व्यवस्थित खरीद केंद्र स्थापित करने और आपूर्ति शृंखला के बुनियादी ढांचे (गोदाम, कोल्ड स्टोरेज आदि) के निर्माण का प्रस्ताव करता है ताकि किसानों को फसल कटाई के बाद अपनी उपज को निर्बाध रूप से स्टोर करने और उन्हें बेचने में सहूलियत हो।
  • शिकायत दर्ज होने के 30 दिनों के भीतर विवाद समाधान का प्रावधान होगा, जिसमें असंतुष्ट पक्ष के पास न्यायिक व्यवस्था तक पहुंच का अधिकार सुरक्षित रहेगा। यह मसौदा वरुण गांधी द्वारा आम जनता की राय मांगने के लिए शेयर किया गया है ।

आपकों बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कृषि कानूनों के वापस लेने के ऐलान के बाद वरुण गांधी ने पीएम को चिट्ठी लिखी थी. पत्र में उन्होंने कहा था कि मेरा निवेदन है कि एमएसपी पर कानून बनाने की मांग व अन्य मुद्दों पर भी अब तत्काल निर्णय होना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने किसान आंदोलन में मारे गए किसानों के परिजानों को एक-एक करोड़ रुपए मुआवजा देने की भी मांग की थी।

 

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