नई दिल्ली। लगातार जनाधार खोती कांग्रेस के लिए पंजाब में बदलाव करना एक बुरे सपने की तरह होता जा रहा है। पिछले कई महीनों से जारी सियासी उठापटक थमने का नाम नहीं ले रही है। रोज नए विवाद खड़े हो रहे है। पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर व नवजोत सिंह सिद्धू के बीच के विवाद को खत्म करने के लिए कांग्रेस ने बीच का रास्ता निकाल चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाया था, मगर कांग्रेस का यह दांव भी उलटा पड़ता नजर आ रहा है। सिद्धू की बातों में आकर कांग्रेस ने कैप्टन को मुख्यमंत्री हटाया और चरणजीत सिंह चन्नी को नया सीएम घोषित किया, इसके बाद से हालात और बिगड़ते गए। जिस सिद्धू के बल पर कांग्रेस ने इतना बड़ा दांव चला उसी सिद्धू ने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। जिसके बाद कुछ अन्य लोगों के इस्तीफे के कारण राज्य में विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले पार्टी में एक नया संकट पैदा हो गया है।
नवजोत सिंह सिद्धू के इस्तीफे के कुछ ही घंटे बाद चरणजीत सिंह चन्नी के नेतृत्व में 18 सदस्यीय नये मंत्रिमंडल में शामिल रजिया सुल्ताना ने भी पूर्व क्रिकेटर के साथ एकजुटता जताते हुए अपना इस्तीफा दे दिया। पंजाब की कांग्रेस इकाई के महासचिव योगिन्दर ढिंगरा और कोषाध्यक्ष गुलजार इंदर चहल ने भी अपने पदों से इस्तीफा दे दिया है। इस राजनीतिक संकट के बीच कई नेता आज सिद्धू के पटियाला स्थिति आवास पर उनसे मिलने भी पहुंचे। राज्य में नयी मंत्रिपरिषद के सदस्यों को विभागों के आवंटन के तुरंत बाद सिद्धू ने पद छोड़ दिया। अब इसके बाद सवाल है कि क्या चन्नी की कुर्सी बचेगी या फिर महज कुछ दिन के भीतर ही उनकी विदाई होने वाली है। अगर फ्लोर टेस्ट हुआ तो कुछ कैप्टन अमरिंदर सिंह के समर्थक तो कुछ सिद्धू के समर्थक भीतरघात कर सकते है,ऐसे में संभावना जताई जा रही हैं चन्नी सरकार बचाने में असमर्थ साबित हो सकते है। इस तरह कांग्रेस हाई कमान के हाथ से पंजाब भी फिसल सकता है।
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