लापरवाही:दीवार घड़ी बनाने वाले ओरेवा ग्रुप को दे दी मोरबी पुल की मरम्मत की जिम्मेदारी

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Negligence: The responsibility of repairing the Morbi bridge was given to the wall clock maker Oreva Group
मोरबी शहर में मच्छु नदी पर केबल पुल हादसे में मरने वालों की संख्या बढ़कर सोमवार को 134 हो गई है।

अहमदाबाद। गुजरात के मोरबी में हुए हादसे में अधिकारिक तौर प 134 लोगों की मौत हो गई। सरकार भले ही मृतकों के परिजनों को मुआजा दे दे लेकिन उनका दर्द कभी नहीं खत्म होगा। हादसे के बाद चौंकाने वाला मामला सामने आया है। जिस कंपनी को पुल के मरम्मत की जिम्मेदारी दी गई थी। उसे पुल मरम्मत का कोई अनुभव नहीं था, उसे सीएफएल बल्ब, दीवार घड़ी और ई-बाइक बनाने में विशेषज्ञता हासिल है, लेकिन अभी यह पता नहीं चला है कि उसे 100 साल से भी अधिक पुराने पुल की मरम्मत का ठेका कैसे मिल गया गुजरात के मोरबी शहर में मच्छु नदी पर केबल पुल हादसे में मरने वालों की संख्या बढ़कर सोमवार को 134 हो गई है।

5 दशक से दीवार घड़ी बना रही कंपनी

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस कंपनी करीब 5 दशक पहले ओधावजी राघवजी पटेल की ओर से स्थापित की गई थी। कंपनी मशहूर अजंता और ओरपैट ब्रांड के तहत दीवार घड़ी बनाती है। पटेल का 88 वर्ष की आयु में इस महीने की शुरुआत में निधन हो गया था। वह 1971 में 45 साल की उम्र में कारोबार में हाथ आजमाने से पहले एक स्कूल में विज्ञान के टीचर थे। करीब 800 करोड़ रुपये की आय वाला अजंता ग्रुप अब घरेलू और बिजली के उपकरण, बिजली के लैम्प, कैलकुलेटर, चीनी मिट्टी के उत्पाद और ई-बाइक बनाता है।

बिना फिटनेस प्रमाणपत्र के खोला गया पुल

मच्छु नदी पर बना केबल पुल 7 महीने पहले मरम्मत के लिए बंद कर दिया गया था और इसे 26 अक्टूबर को गुजराती नव वर्ष के मौके पर फिर से खोला गया था। यह ‘झूलता पुल’ के नाम से मशहूर था। इस साल मार्च में ओरेवा ग्रुप को मोरबी नगर निकाय ने पुल की मरम्मत और देखरेख का ठेका दिया था। ऐसा आरोप है कि पुल को बिना फिटनेस प्रमाणपत्र के खोल दिया गया। कंपनी के प्रबंधन से इस पर टिप्पणी नहीं मिल सकी है, लेकिन समूह के प्रवक्ता ने दुर्घटना के तुरंत बाद कहा था कि पुल इसलिए टूटा क्योकि पुल के मध्य में कई सारे लोग इसे एक तरफ से दूसरी तरफ झुलाने की कोशिश कर रहे थे।

ओरेवा ग्रुप ने कई क्षेत्र में फैला कारोबार

अजंता ट्रांजिस्टर क्लॉक मैन्यूफैक्चरिंग कंपनी के तहत दीवार घड़ी बनाने से शुरुआत करने वाले मोरबी स्थित ओरेवा ग्रुप ने कई क्षेत्रों में अपना कारोबार फैलाया। इस ग्रुप ने अपनी वेबसाइट पर दावा किया है कि उसके यहां 6,000 से अधिक लोग काम करते हैं लेकिन उसने अपने निर्माण कारोबार का कोई उल्लेख नहीं किया है। उद्योग जगत में कम लागत के लिए पहचाने जाने वाला ओरेवा ग्रुप देशभर में 55,000 साझेदारों के जरिए अपने उत्पादों को बेचता है। गुजरात के कच्छ में समाखियाली में उसका भारत का सबसे बड़ा विनिर्माण संयंत्र है जो 200 एकड़ से भी अधिक में फैला हुआ है।

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