धर्म डेस्क। भगवान भास्कर की पूजा-अर्चना का महापर्व छठ शुक्रवार को नहाय-खाय के साथ शुरू हो जाएगा।अलसुबह व्रती उठकर स्नान करने के बाद सूर्य पूजा के साथ व्रत की शुरुआत करते हैं। नहाय खाय के दिन व्रती चना दाल के साथ कद्दू-भात (कद्दू की सब्जी और चावल) तैयार करती हैं और इसे ही खाया जाता है।चार दिनों तक चलने वाला छठ पूजा कार्तिक माह की षष्ठी से शुरू हो जाती है।
चार दिवसीय महापर्व छठ 28 को नहाय-खाय के साथ शुरू होगा। 29 को खरना है, डूबते सूर्य को 30 को व उगते सूर्य को 31 को अर्घ्य दिया जाएगा। इसके साथ ही यह पर्व पूर्ण हो जाएगा। महापर्व को लेकर नदी, तालाबों के घाटों की सफाई शुरू हो गई है।
36 घंटे का निर्जला व्रत
छठ महापर्व की सबसे बड़ी खासियत इसके नियम और अर्चना की कठीनता है जैसे व्रती को 36 घंटे का निर्जला रहना होता हैं। नहाय खाए के साथ व्रती नियमों के साथ सात्विक जीवन जीते हैं और हर तरह की नकारात्मक भावनाएं जैसे लोभ, मोह, क्रोध आदि से खुद को दूर रखते हैं।
छठ महापर्व के नियम
- आस्था के महापर्व के लिए शास्त्रों में कई जरूरी नियम बताए गए है, जिनका कड़ाई से व्रती को पालन करना होता है।
- नहाय-खाय के दिन से व्रती को साफ और नए कपड़े पहनने चाहिए।
- व्रत के समय साफ-सफाई का विशेष ध्यान देना जरूरी होता है। पूजा की वस्तु का गंदा होना अच्छा नहीं माना जाता।
घर को साफ-सुथरा कर देना चाहिए
- छठ का समापन होने तक व्रती को जमीन पर ही सोना चाहिए, व्रती जमीन पर चटाई या चादर बिछाकर सो सकते हैं।
- घर में तामसिक और मांसाहार वर्जित है, इसलिए इस दिन से पहले ही घर पर मौजूद ऐसी चीजों को बाहर कर देना चाहिए और घर को साफ-सुथरा कर देना चाहिए।
- मदिरा पान, धुम्रपान आदि न करें, किसी भी तरह की बुरी आदतों को करने से बचें।
छठ पूजा के लिए यह जरूरी
प्रसाद रखने के लिए बांस की दो तीन बड़ी टोकरी, बांस या पीतल के बने तीन सूप, लोटा, थाली, दूध और जल के लिए ग्लास, नए वस्त्र साड़ी-कुर्ता पजामा, चावल, लाल सिंदूर, धूप और बड़ा दीपक, पानी वाला नारियल, गन्ना जिसमें पत्ता लगा हो, सुथनी और शकरकंदी, हल्दी और अदरक का पौधा हरा हो तो अच्छा, नाशपाती और बड़ा वाला मीठा नींबू, जिसे टाब भी कहते हैं, शहद की डिब्बी, पान और साबुत सुपारी, कैराव, कपूर, कुमकुम, चन्दन, मिठाई।
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