कोलकाता। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के ताकत वर मंत्री पार्थ चटर्जी शिक्षक भर्ती घोटाले में फंस गए। पहले टीएमसी पार्थ चटर्जी के साथ खड़ी नजर आई, लेकिन जब पार्थ चटर्जी बुरी तरह फंस गई तो पार्टी उससे किनारा करने लगे। अब ममता बनर्जी ने बयान दिया कि यदि हमारी पार्टी का कोई मंत्री या कार्यकर्ता गलत कार्य करता है तो पार्टी उसका बचाव नहीं करेगी।
ईडी की पूछताछ से बचने के लिए बीमारी का बहाना बनाया,जिसे कोलकत्ता के लोकल अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन पूछताछ में सहयोग नहीं कर रहा था, इसलिए उसे AIIMS भुवनेश्वर ले जाया गया, लेकिन वहां उसकी दाल नहीं गली,वहां के डॉक्टरों ने उसे डिस्चार्ज कर दिया।ईडी उसे सोमवार को कोलकाता वापस लेकर आ गई। कलकत्ता हाईकोर्ट के निर्देश पर चटर्जी को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने एम्स में भर्ती कराया था। स्कूल जॉब्स स्कैम केस में वह 3 अगस्त तक ईडी की हिरासत में हैं। उन्हें साल्ट लेक के सीजीओ परिसर में स्थित एजेंसी के कार्यालय आज लाया गया।
इलाज की नहीं जरूरत
एम्स, भुवनेश्वर के डॉक्टर्स ने कहा कि चटर्जी गंभीर बीमारियों से पीड़ित हैं, लेकिन उन्हें तत्काल अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत नहीं है। ईडी ने अस्पताल की रिपोर्ट का हवाला देते हुए चटर्जी को 10 दिनों के लिए हिरासत में देने की अपील की थी। बैंकशाल कोर्ट में ईडी की विशेष अदालत के न्यायाधीश जीबोन कुमार साधू ने मंत्री की जमानत याचिका खारिज कर दी थी और चटर्जी व उनकी करीबी अर्पिता मुखर्जी को तीन अगस्त तक के लिए जांच एजेंसी की हिरासत में भेज दिया।
पार्थ चटर्जी के खिलाफ यह है मामला
राज्य प्रायोजित और सहायता प्राप्त स्कूलों में शिक्षक भर्ती घोटाले के वक्त चटर्जी के पास शिक्षा विभाग का प्रभार था। बाद में उनसे यह विभाग ले लिया गया। अदालत ने सीबीआई से अनियमितताओं की जांच करने को कहा था। ईडी, घोटाले में धन शोधन पहलू की जांच कर रही है। केंद्रीय एजेंसी स्कूल भर्ती घोटाले में कथित वित्तीय लेनदेन की जांच कर रही है। ईडी ने अपनी दलील में कहा कि चटर्जी एसएसकेएम अस्पताल में बीमारी का बहाना बना कर भर्ती हुए थे और शनिवार को मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट की ओर से उन्हें दो दिनों की रिमांड पर दिए जाने के दौरान एजेंसी उनसे पूछताछ नहीं कर सकी।
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