यूपी सरकार सख्त: Electricity Department कर्मियों के हड़ताल पर बिना जांच के होंगे बर्खास्त

UP government strict: Electricity workers will be dismissed without investigation if they go on strike

हाईकोर्ट ने आदेश दिया था कि बिजली आपूर्ति बाधित होने पर ऊर्जा विभाग सख्त कार्रवाई कर सकता है।

लखनऊ। योगी सरकार Electricity Departmentके घाटे को कम करने के लिए बिजली के निजीकरण के मूड में है। वहीं कामचोर बिजली कर्मचारी सरकार को हड़ताल की धमकी देकर पीछे हटाना चाहते है, लेकिन सरकार ने भी पूरी तैयारी कर ली है। सरकार ने साफ किया है हड़ताल में शामिल होने वाले कर्मचारियों को बिना जांच के ही बर्खास्त किया जाएगा। नियुक्ति प्राधिकारी को बर्खास्तगी के साथ ही पद से हटाने, पदावनति करने का भी अधिकार दे दिया गया है। इसके लिए पावर कार्पोरेशन की कार्मिक (अनुशासन एवं अपील) विनियमावली 2020 में संशोधन किया गया है।

कार्य बहिष्कार की चेतावनी

पूर्वांचल एवं दक्षिणांचल के निजीकरण प्रस्ताव को लेकर बिजली कर्मियों की ओर से विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है। 29 मई से अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार की चेतावनी दी गई है। ऐसे में पावर कार्पोरेशन निदेशक मंडल की गुरुवा को हुई बैठक में कार्मिक (अनुशासन एवं अपील) नियमावली 2020 में संशोधन कर दिया गया है। अब इसे पावर कार्पोरेशन कार्मिक (अनुशासन एवं अपील) (पंचम संशोधन) विनियमावली 2025 नाम दिया गया है। संशोधित विनियमावली में तर्क दिया गया है कि विद्युत व्यवस्था संचालन में बाधा पहुचाने, तोड़फोड़ अथवा आपूर्ति बाधित होने की स्थिति में जांच के दौरान काफी वक्त बीत जाता है। ऐसे में आरोपियों पर कार्रवाई नहीं हो पाती है। यह भी तर्क दिया गया है कि दिसंबर 2022 में हुई हड़ताल एवं कार्य बहिष्कार के संबंध में हाईकोर्ट ने आदेश दिया था कि बिजली आपूर्ति बाधित होने पर ऊर्जा विभाग सख्त कार्रवाई कर सकता है।

यह होगा अब

Electricity Department आवश्यक सेवा अनुरक्षण अधिनियम (एस्मा) लागू होने के बाद भी हड़ताल पर जाने अथवा हड़ताल की स्थिति उत्पन्न करने, आधारभूत ढांचा प्रभावित करने, विद्युत संयंत्र को क्षति पहुचाने, अन्य कर्मियों को इसके लिए प्रेरित करने की स्थिति हो तो नियुक्ति प्राधिकारी संबंधित कार्मिक के खिलाफ फैसला ले सकता है। ऐसे में यदि कार्मिक (अनुशासन एवं अपील) विनियमावली 2025 के नियम सात के तहत जांच करना संभव नहीं है तथा विद्युत आपूर्ति में व्यवधान की आशंका है तो वह संबंधित कार्मिकों को नियुक्ति प्राधिकारी बर्खास्त कर सकता है, सेवा समाप्त कर सकता है और पदावनति कर सकता है।नियुक्ति प्राधिकारी के अलावा उससे वरिष्ठ अफसर भी कर सकेंगे कार्रवाई. संशोधन में यह भी प्रावधान है कि बर्खास्तगी व अन्य कार्रवाई नियुक्ति प्राधिकारी के अलावा उससे वरिष्ठ अधिकारी द्वारा भी की जा सकेगा। बशर्ते नियुक्ति प्राधिकारी प्रबंध निदेशक स्तर का होना चाहिए।

सेवा विनियमावली में संशोधन पर बिजली कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने आक्रोश जताया है। पदाधिकारी संजय सिंह चौहान, जितेंद्र सिंह गुर्जर ने कहा कि पांचवे संशोधन के जरिए कार्पोरेशन प्रबंधन ने शांतिपूर्वक आंदोलन करने वाले बिजली कर्मयों के खिलाफ बर्खास्तगी, पद से हटाने का अधिकार हासिल कर लिया है। यह आदेश पूरी तरह से अलोकतांत्रिक, तानाशाही और मौलिक अधिकारों का हनन है। उन्होंने मुख्यमंत्री मामले में हस्तक्षेप की अपील की।

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