पर्यावरण और भविष्य के संरक्षण के लिए सततशील जीवनशैली महत्वपूर्ण
5 जून 2024, लखनऊ। विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर उत्तर प्रदेश नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा विकास अभिकरण (यूपीनेडा) और सेंटर फॉर एनवायरनमेंट एंड एनर्जी डेवलपमेंट (सीड) के तत्वावधान में जागरूकता गतिविधियां आयोजित की गई। इनमें वृक्षारोपण, सततशील अपशिष्ट प्रबंधन को प्रोत्साहित करने और अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा देने से संबंधित गतिविधियां प्रमुख थी।
अभियान का समर्थन करते हुए श्री नरेंद्र भूषण, आईएएस, प्रमुख सचिव, अतिरिक्त ऊर्जा स्रोत विभाग और अध्यक्ष, यूपीनेडा (उत्तर प्रदेश सरकार) ने कहा कि हमें पृथ्वी और जीवन के संरक्षण के लिए सामाजिक और पर्यावरणीय रूप से जिम्मेदार जीवनशैली अपनाने की जरूरत है। व्यक्तिगत कदम भी बड़ा अंतर ला सकते हैं। हम राज्य में पर्यावरण संरक्षण और सततशीलता आधारित समावेशी विकास के लिए कड़े कदम उठाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।इस अवसर पर यूपीनेडा के निदेशक श्री अनुपम शुक्ला, आईएएस ने कहा कि यदि हम एक हरित समाज की ओर बढ़ना चाहते हैं, तो हमें अपने सामाजिक-आर्थिक जीवन में अक्षय ऊर्जा विकल्पों, स्वच्छ प्रौद्योगिकियों और सततशील ई-वेस्ट प्रबंधन को अपनाने की आवश्यकता है। हम समाधान-संचालित उपाय करना जारी रखेंगे और सभी स्टेकहोल्डर्स को बेहतर पर्यावरण और समाज में योगदान देने के लिए प्रेरित करेंगे।

कार्यक्रमों की एक अन्य श्रृंखला में जग्गौर पंचायत कार्यालय में सीड और डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान (आरएमएलआईएमएस) ने संयुक्त रूप से पर्यावरण क्षरण एवं प्रदूषण के सार्वजनिक स्वास्थ्य पर बढ़ते दुष्प्रभाव प्रभाव को रोकने और सततशील बायो-मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट को बढ़ावा देने के बारे में जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया। इस दौरान बेहतर आजीविका सुनिश्चित करने के लिए आरएमएलआईएमएस के द्वारा महिलाओं को सिलाई मशीनों का वितरण किया गया।
सार्थक परिवर्तन लाने के लिए सामूहिक प्रयासों पर जोर देते हुए प्रो. (डॉ.) सी.एम. सिंह, निदेशक, डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान ने कहा कि जिस पर्यावरण में हम रहते हैं उसे संरक्षित करना हमारी सामूहिक और व्यक्तिगत जिम्मेदारी है। एक बेहतर पर्यावरण और समृद्ध समाज बनाने के लिए मिशन लाइफ के तहत एक सततशील जीवन शैली का अनुसरण हमारे लिए साझा लक्ष्य होना चाहिए।
डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के कम्युनिटी मेडिसिन डिपार्टमेंट के प्रमुख प्रो. (डॉ.) एस. डी. कांडपाल ने कहा कि समाधान-उन्मुख उपायों को प्रभावी ढंग से लागू करने में सहायता प्रदान करने के लिए सामुदायिक भागीदारी महत्वपूर्ण है। विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. विनीता शुक्ला ने भी सहयोगात्मक और समाधान-संचालित दृष्टिकोण के साथ सभी स्टेकहोल्डर्स की भागीदारी की आवश्यकता पर बल दिया, जो जमीन पर अपेक्षित परिणाम ला सकता है।
सीड में सीनियर प्रोग्राम ऑफिसर अभिषेक सिंह ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के लिहाज से यूपी बेहद संवेदनशील क्षेत्रों में से है, इसलिए इस वर्ष के विश्व पर्यावरण दिवस की थीम विशेष महत्व रखती है। हरित भविष्य के लिए इन महत्वपूर्ण मुद्दों को संबोधित करने की दिशा में सामूहिक पहल की आवश्यकता है।
सीड के अभियान को राज्य के सिविल सोसाइटी संगठनों, शैक्षणिक संस्थानों, महिला और युवा समूहों और नागरिकों द्वारा व्यापक रूप से समर्थन और समर्थन मिला।