लखनऊ। लोकसभा चुनाव 2024 में एनडीएन यानि बीजेपी को सत्ता से दूर करने के लिए विपक्षी पार्टियों ने इंडिया नामक गठबंधन तो बना लिया, अब तक बैठकों में एकता दिखाने की पूरी कोशिश की जा रही है। जैसे— जैसे समय बीत रहा है, सभी राजनीतिक दलों में सीट बंटवारे को लेकर विवाद की स्थिति बढ़ती जा रही है। चूंकि इस गठबंधन में कोई भी दल अपनी सीटों का त्याग करने के मूड में नहीं दिख रहा है। सबसे ज्यादा समस्या तो सबसे अधिक सीट वाले यूपी में होने वाली है। क्योंकि विपक्षी पार्टी अखिलेश यादव अपने आप को अभी से अस्सी सीटों पर विजयी मानकर चल रहे है, उनका कहना है कि वह गठबंधन में सीट नहीं मागेंगे बल्कि दूसरे सहयोगी को अपनी मर्जी से उनकी औकात के हिसाब से देंगे।
वहीं कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय जिस दिन जिम्मेदारी संभाली है, उसी दिन से पार्टी को पुन: खड़ा करने के लिए पसीना बहा रहे है। उन्होंने अखिलेश यादव पर आरोप लगा दिया कि अगर सपा ने साथ दिया होता तो वह उत्तराखंड के बागेश्वर का उपचुनाव कभी नहीं हारते। कांग्रेस ने यूपी में घोसी के उपचुनाव को जीताने के लिए सपा का पूरा साथ दिया, इसके बाद भी सपा ने धोखा दिया।
एमपी का चुनाव फंसा रहा पेंच
कांग्रेस पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी को इस बार मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में पक्की जीत नजर आ रही है। इसके अलावा मध्यप्रदेश में सपा के साथ बसपा और आप पूरा जोर लगा रही है। ऐसे में कांग्रेस नहीं चाह रही है कि सपा, बसपा और आप एमपी के चुनावी मैदान में न उतरे, लेकिन तीनों ही पार्टियां मैदान से हटने की इच्छुक नहीं है। अगर इन पार्टियों की वजह से कांग्रेस के हाथ से एमपी या छत्तीसगढ़ निकलता है तो कांग्रेस किसी भी कीमत पर इन पार्टियों को गठबंधन में नहीं शामिल करेगी।
अखिलेश के बयान ने बढ़ाई टेंशन
यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को पांच से सात सीटें देने के चक्कर में है, वहीं कांग्रेस 40 से 50 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है। वहीं कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेता अखिलेश की कार्यशैली से पूरी तरह से नाराज दिखाई पड़ रहे है। जो हालात बन रहे है, उससे गठबंधन टूटता नजर आ रहा है। अखिलेश यादव ने बीते दिनों बयान दिया कि उनकी पार्टी इंडिया एलायंस से सीटें मांगेगी नहीं बल्कि उसे देगी। उनके इस बयान को कांग्रेस के साथ हो रही सीट शेयरिंग से जोड़कर देखा जा रहा है। यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय के घोसी और बागेश्वर सीटों को चुनाव परिणाम को लेकर दिए गए बयान के बाद राज्य स्तर पर दोनों पार्टियों के बीच में एक मौन तल्खी बनी हुई है।
कांग्रेस को कमतर आंक रही सपा
लोकसभा चुनाव के लिए सपा कांग्रेस के साथ गठबंधन तो चाहती है लेकिन वह कांग्रेस का राजनीतिक रसूख 2019 के लोकसभा चुनावों के अनुसार तय करना चाहती हैं। जहां कांग्रेस को एकलौती रायबरेली की सीट मिली थी। खुद राहुल अपनी सीट हार गए थे। कांग्रेस भी एलायंस चाहती है लेकिन उसके दिमाग में 2009 के लोकसभा चुनाव में जीती हुई सीटें हैं। जहां उसने अपने बूते 21 सीटें हालिस की थीं। कांग्रेस ने तीन श्रेणी में प्रदेश को बांट रखा है। उसने 30 सीटें ऐसी चुनी हैं जहां पार्टी पूरी ताकत के साथ लड़ना चाहती है।
कांग्रेस डमी कैंडिडेट देगी
वह इसे ए कैटेगरी की सीटें मान रही है। बी कैटेगरी की सीटें वह सीटें जहां पार्टी ने बीते चुनावों में सम्मानजनक सीटें पायी थीं। इनकी भी संख्या 30 है। बाकी बची सीटें सी कैटेगरी की हैं। जहां पार्टी को बहुत उम्मीदें नहीं है। गठबंधन ना हो पाने की दशा में भी कांग्रेस साथी पार्टियों के लिए बीजेपी को हराने के लिए वहां डमी कैंडिडेट देगी। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय कहते हैं कि पार्टी अपनी पूरी ताकत ए और बी कैटेगरी की सीटों में लगा रही है। हम गठबंधन में शामिल होना चाहते हैं लेकिन प्रतिष्ठा से कम सीटें मिलने पर हमारा अकेले चुनाव लड़ने का विकल्प खुला है
बसपा को साथ लाने की कवायद
कांग्रेस यूपी को लेकर फिक्रमंद दिख रही है। वह अपनी सीटें प्रदेश में बढ़ाना चाहती है। उसने दो दरवाजें खोल रखे हैं। एक तरफ अखिलेश और जयंत चौधरी के साथ वह इंडिया गठबंधन में है दूसरी ओर पार्टी इस बात की भी कोशिश कर रही है बसपा को भी इस गठबंधन में शामिल हो जाएगा। यदि बसपा को दिक्कत सपा को लेकर है तो कांग्रेस बसपा के साथ एक एलायंस बना सकती है और सपा की मजबूत सीटों पर वह डमी कैंडीडेट उतार सकती है।
बसपा के साथ यूपी प्रदेश कांग्रेस के स्तर पर नहीं राष्ट्रीय स्तर पर बातचीत हो रही हैं। सूत्रों के अनुसार राहुल और प्रियंका दोनों ही बसपा के साथ एलायंस करने की कोशिशों में हैं। अंदरखाने की खबरें हैं कि प्रियंका गांधी इस संबंध में खुद मायावती से सीधी बात कर चुकी हैं। हालांकि कांग्रेस और बसपा की तरफ से इसको लेकर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
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