लोकसभा चुनाव में तीसरे ताकत बनाकर सत्ता में भागीदारी की कोशिश में बसपा, पार्टी ने बनाई यह योजना

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BSP released list of 16 candidates, spoiled the equation by giving tickets to seven Muslim candidates
बसपा ने सोशल इंजीनियरिंग से इंडिया और एनडीए गठबंधन का समीकरण बिगाड़ने का खेला खेल दिया।

लखनऊ। कभी यूपी की राजनीति की दिशा करने वाली बसपा प्रमुख मायावती के सितारों इन दिनों गर्दिश में हैं। खुद मायावती भी केवल सोशल मीडिया पर टृवीट करके राजनीति मेंं जिंदा हैं, दूसरी तरफ उनके पदाधिकारी आम जनता से कटे हुए हैं, इस कारण बसपा का वोट बैंक कहे जाने वाला दलित वर्ग धीरे—धीरे दूसरी पार्टियों की ओर पलायन कर रहा है। यहीं कारण है कि देश में बने दो गठबंधन में से किसी ने मायावती को गठबंधन में शामिल होने के लिए पूछा तक नहीं, इस उपेक्षा से आहत मायावती ने अपनी पार्टी को पुन: खड़ा करने के लिए योजनाएं बना रही है। मायावती की कोशिश है कि 2024 के चुनाव से पूर्व विधानसभा चुनाव में अकेले मैदान में उतरकर अपने आपकों को मजबूत करे और लोकसभा चुनाव में यूपी में तीसरी ताकत के रूप में उभरे।

तीसरे मोर्चा को बनाने की कवायद

अभी तक लोकसभा चुनाव के लिए दो गठबंधन बन गए, अब बचे खुचे दल तीसरा मोर्चा बनाने की कवायद में जुटे है। बसपा अभी तक न एनडीए में है और न ही विपक्ष इंडिया में शामिल हुई है। मायावती का पूरा फोकस इस पर है कि तीसरा ऐसा मोर्चा बनाया जाए जो इतना मजबूत हो कि सरकार चाहे किसी की भी बने, उसे मजबूर कर दे। यानी राजनीतिक हिस्सेदारी के लिए मायावती ने अपने नए फार्मूले पर काम शुरू कर दिया है। माना जा रहा है कि इसके लिए मायावती औवेसी की पार्टी आईएमआईएमआई व अन्य किनारे खड़े दलों को साथ ले सकती हैं।

गठबंधन रास आता है बसपा

बसपा के अभी तक सफर पर नजर डाले तो बसपा के लिए गठबंधन की राजनीति काफी रास आती है। हालांकि वर्ष 2007 में बसपा ने अकेले दम पर यूपी में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई पर इसके अलावा लोकसभा एवं विधानसभा चुनाव में गठबंधन से बसपा की ताकत ही बढ़ी। अयोध्या में विवादित ढांचे के विध्वंस के प्रदेश में बीजेपी की सरकार गिर गई थी। ऐसे में 1993 में विधानसभा चुनाव हुए। बीजेपी को रोकने के लिए बसपा संस्थापक कांशीराम और सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने हाथ मिला लिया था। दोनों ने मिलकर बीजेपी को यूपी से साफ कर दिया था। बसपा 164 सीट पर लड़कर 67 सीटें जीत गई थी। 12 सीटों से आगे बढ़कर बसपा सीधे 67 सीटों पर पहुंची थी। वर्ष 1993 में बसपा का वोट मात्र 11 प्रतिशत।

भाजपा से भी रहा गठबंधन

भाजपा को 34 प्रतिशत वोट मिले थे। बावजूद इसके गठबंधन भाजपा पर भारी पड़ा था। मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री बने थे लेकिन 1995 में यह गठबंधन टूट गया था।भाजपा के समर्थन से ही बसपा प्रमुख मायावती 1995 में पहली बार उप्र की मुख्यमंत्री बनीं। हालांकि छह महीने के बाद गिर गई, जिसके चलते यूपी में साल 1996 में विधानसभा चुनाव हुए। अब बसपा ने कांग्रेस के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ा। इसका असर सपा के साथ हुई गठबंधन जैसा तो नहीं रहा पर बसपा के वोटों में खूब बढोतरी हुई। उसे 27.73 प्रतिशत वोट मिले थे। बसपा 300 सीटों पर लड़कर 66 और कांग्रेस 125 सीटों पर लड़कर 33 सीटें जीतने में सफल रही थी। हालांकि यह गठबंधन टूटा और बसपा ने 1997 में बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बना ली थी।

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