शाइस्ता की वजह से मायावती को लगा झटका, मुस्लिमों को जोड़ने के लिए चला दांव पड़ा उल्टा

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BSP released list of 16 candidates, spoiled the equation by giving tickets to seven Muslim candidates
बसपा ने सोशल इंजीनियरिंग से इंडिया और एनडीए गठबंधन का समीकरण बिगाड़ने का खेला खेल दिया।

लखनऊ। प्रदेश में अपनी आखिरी सांसे गिन रही बसपा के लिए निकाय चुनाव काफी अहम है। लोकसभा चुनाव से पूर्व मायावती के लिए अपने वोट बैंक को सहेजने के लिए यह अंतिम मौका हैं। वैसे तो निकाय चुनाव के फैसले हमेशा से सत्तासीन पार्टी के पक्ष में आते हैं, लेकिन सपा, बसपा के लिए भी यह महत्वपूर्णहै।

बसपा प्रमुख मायावती ने मुस्लिमों को पार्टी से जोड़ने की मंशा के साथ दूसरों को पटखनी देने के लिए जो दांव चला था वह उल्टा पड़ गया। माफिया अतीक की पत्नी शाइस्ता को प्रयागराज से महापौर पद का उम्मीदवार घोषित कर बसपा ने मुस्लिमों को अपने साथ खड़ा करने की कोशिश तो की, लेकिन उमेशपाल हत्याकांड में शाइस्ता का नाम आने और उसके फरार होने के बाद बसपा को निर्णय बदलना पड़ा। न केवल शाइस्ता बल्कि अतीक के परिवार के किसी भी सदस्य को टिकट न देने का फैसला लेना पड़ा।

शाइस्ता पर 50 हजार का इनाम

बसपा यह संदेश देने की पूरी कोशिश करेगी कि वह तो शाइस्ता के साथ थी, पर कानूनी अड़चन के कारण पीछे हटना मजबूरी बन गया। बसपा प्रमुख मायावती ने शाइस्ता को प्रयागराज से महापौर का टिकट दिया था। गत दिनों जब उनसे पूछा गया था कि उन्होंने माफिया अतीक की पत्नी को टिकट दिया है, तो मायावती ने जवाब दिया था कि अतीक की पत्नी तो अपराधी नहीं है। यानी मायावती यह संदेश देना चाहती थीं, कि वास्तव में वह मुस्लिमों के साथ हैं।

उमेशपाल हत्याकांड में भी अतीक और उसकी पत्नी शाइस्ता का नाम आने के बावजूद बसपा ने तत्काल शाइस्ता का टिकट नहीं काटा। जब वह फरार हो गईं और उस पर 50 हजार रुपये का इनाम घोषित कर दिया गया तब बसपा को बैकफुट पर आना पड़ा। मायावती ने सोमवार को घोषणा की कि न केवल अतीक की पत्नी बल्कि उसके परिवार के किसी भी सदस्य को टिकट नहीं दिया जाएगा।

दलित मुस्लिम गठजोड़ अधर में

दरअसल मायावती किसी भी सूरत में इस बार दलित मुस्लिम समीकरण बनाने की कोशिश कर रही हैं। इसके लिए सभी प्रयास किए जा रहे हैं। बसपा कुछ पुराने मुस्लिम दिग्गजों पर भी दांव लगाने की तैयारी कर रही है। हालांकि पार्टी युवाओं पर फोकस कर रही है पर इस समीकरण को साधने के लिए पुराने रणनीतिकारों का भी सहारा लिया जा रहा है। बसपाई टीम खास तौर से मुस्लिमों को यह समझा रही है कि सपा के साथ जाने से उनका कोई फायदा नहीं है। भाजपा की राह केवल बसपा रोक सकती है। दलित उनके पास हैं ही। यदि मुस्लिम आ गए तो बात बन जाएगी।

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