कानपुर। करौली बाबा उर्फ डॉ. संतोष भदौरिया इन दिनों मीडिया में सुर्खिया बने हुए है। बाबा सिर्फ तीन साल करोड़ों का साम्राज्य खड़ा किया है। बाबा बिधनू में बने 14 एकड़ के आश्रम में ऐशोआराम की जिंदगी जीता हैं। करोड़ों की इस संपत्ति पर अब ईडी की नजर भी है। इसके साथ ही एसआईटी भी बाबा की कुंडली खंगालेगी।
करौली बाबा के आश्रम जाने वाले को कभी लगेगा ही नहीं कि यह किसी संत का आश्रम है,बल्कि एक बिजनेस मैन का साम्राज्य प्रतीत होगा, जहां हर काम की कीमत तय हैं, बाबा जिस रास्ते से निकलते हैं वहां पहले हथियार बंद गार्ड रास्ता खाली कराते हैं, फिर बाबा निकलते हैं। संतोष भदौरिया ने करोड़ों के चंदे और आश्रम का मैनेजमेंट अपने दोनों बेटों लव और कुश के हाथों में सौंप रखा है। वर्तमान में दोनाें कानपुर में नहीं हैं। बाबा का खुद का सुरक्षा दस्ता है।
हथियारों से लैस गार्ड करते है सुरक्षा
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार बाबा के पास तीन रेंज रोवर गाड़ियां हैं। हथियारबंद 20 गार्ड वाकी टॉकी के साथ चलते हैं। जो रास्ता साफ कराने के लिए लाल झंडी का प्रयोग करते हैं। बाबा का आश्रम करीब 14 एकड़ में फैला है। हर जगह सीसीटीवी कैमरे लगे हैं, निगरानी के लिए कंट्रोल रूम बना है। बाबा ने आश्रम की यह जमीन पीके शुक्ला नाम के शख्स से ली थी, जिसने बाद में क्रिश्चियन धर्म धारण कर लिया था।
ये जमीन बाबा को भूदान पट्टा के तहत स्कूल बनाने के लिए मिली थी, लेकिन बाबा ने आश्रम खोल लिया। आश्रम चारों तरफ से आठ फीट ऊंची दीवारों से घिरा है। यहां हर दिन 3500 से 5000 तक लोग आते हैं। अमावस्या वाले दिन यह तादाद 20 हजार तक पहुंच जाती है। यू ट्यूब पर फॉलोवर बढ़ने के साथ 17 देशों में बाबा ने अपने भक्त बना लिए हैं।
1.51 लाख में दुख दूर करने का दावा
अगर कोई यहां हवन करना चाहता है तो आश्रम की तरफ से 3500 रुपये की एक हवन किट दी जाती है। लोगों को कम से कम 9 हवन करने ही होंगे। जिसका खर्च 31,500 रुपये आएगा। अगर आप 9 दिनों तक आश्रम में रुकते हैं और खाना-पीना करते हैं तो उसका खर्च अलग से। जो लोग 9 दिन हवन नहीं कर सकते या जिन्हें जल्दी इलाज चाहिए उनके लिए एक दिन का खर्च 1.51 लाख रुपये है।
किसान आंदोलनों में भाग लिया
बाबा संतोष सिंह भदौरिया मूल रूप से यूपी के उन्नाव जिले के बारह सगवर के रहने वाले हैं। संत बनने से पहले वो किसान नेता हुआ करते थे और देश के दिग्गज किसान नेता महेंद्र सिंह टिकैत के साथ काम किया करते थे। संतोष सिंह ने महेंद्र सिंह टिकैत के साथ कई किसान आंदोलनों में बढ़-चढ़कर कर भाग लिया। उसी समय कानपुर में किसान यूनियन बड़े नेता संतराम सिंह की हत्या हो गई,इसके बाद महेंद्र सिंह टिकैत ने संतोष सिंह भदौरिया को कानपुर के सरसोल क्षेत्र की देखरेख करने के लिए बागडोर सौंप दी।
पूर्व केंद्रीय मंत्री जायसवाल से करीबी
पूर्व केंद्रीय मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल से उनकी नजदीकियां बढ़ने के बाद संतोष सिंह भदौरिया को कोयला निगम का चेयरमैन बना दिया गया। बाद में सवाल उठाने के बाद उनको निगम से हटा दिया गया. इसी के बाद भदौरिया का उदय हुआ और उन्होंने ‘करौली आश्रम’ की स्थापना की किसान नेता संतोष सिंह भदौरिया अब बाबा बनकर प्रवचन करने लगे. धीरे-धीरे उनके अनुयायियों की संख्या बढ़ने लगी और वो मजबूत होने लगे. उनके आश्रम में जड़ी-बूटियों से इलाज करने का दावा किया जाता है। आश्राम में करौली सरकार राधा रमण मिश्र और कामाख्या माता का मंदिर है।
बाबा ने दी यह सफाई
करौली शंकर महादेव लवकुश आश्रम की ओर से पत्र जारी कर बाबा ने कहा है कि उनके खिलाफ दर्ज कराई गई रिपोर्ट सनातन धर्म को बदनाम करने का उद्देश्य है। एफआईआर बगैर जांच किसी के दबाव में लिखी गई है। मेरे किसी भी व्यक्ति की ओर से मारपीट नहीं की गई है। आश्रम के 22 वर्ष के इतिहास में कभी ऐसा नहीं हुआ है।
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