प्रयागराज। शहीद-ए-आजम भगत सिंह, राजगुरु,सुखदेव की शहादत की याद में अधिवक्ता मंच इलाहाबाद की तरफ श्रम हितकारी भवन में “शहादतें , आजादी,और आज” विषय पर विचार गोष्ठी आयोजित की गई। गोष्ठी की शुरुआत शहीद-ए-आजम भगत सिंह की तश्वीर पर माल्यार्पण से हुई।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि श्री सैयद फ़रमान अहमद नक़वी (वरिष्ठ अधिवक्ता उच्च न्यायालय इलाहाबाद) ने गोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि भगत सिंह राजगुरु और सुखदेव को फांसी की सजा देना न्याय के स्थापित मानकों के खिलाफ था और तत्कालीन अंग्रेज गवर्नर जनरल भगत सिंह की लोकप्रियता को देखते हुए कांग्रेस के अधिवेशन से पहले भगत सिंह को फांसी पर चढ़ा देना चाहते थे इसलिए अपने अधिकार का दुरुपयोग करते हुए विशेष ट्रिब्यूनल गठित कर जल्दबाजी में भगत सिंह और उनके साथियों को फांसी की सजा सुनाई गई जो पूरी तरह से अन्याय जनक और न्यायिक हत्या थी।
शहीदों की न्यायिक हत्या का मुआवजा देने की मांग
उन्होंने मांग की की भारत सरकार को ब्रिटिश हुकूमत से शहीदों की न्यायिक हत्या का मुआवजा देने की मांग करनी चाहिए। उन्होंने ट्रिब्यूनल को न्याय के मानकों के विपरीत बताते हुए क्षति वसूली ट्रिब्यूनल सहित विभिन्न ट्रिब्यूनल बनाए जाने को न्याय के मानकों के विपरीत न्याय के नाम पर सरकार की ही मनमानी चलाने के फोरम के रूप में चिन्हित किया।
बतौर मुख्य वक्ता गोष्ठी को संबोधित करते हुए प्रोफेसर हेरंब चतुर्वेदी (इतिहासकार, प्राध्यापक इलाहाबाद विश्वविद्यालय) ने कहा कि भगत सिंह 23 वर्ष की उम्र में भी बौद्धिक तौर पर बहुत परिपक्व थे और दुनिया मे चल रहे विचारों और क्रांतिकारी आंदोलनों की तरफ़ उनकी बहुत पैनी नज़र थी और उससे प्रेरणा ले रहे थे। उन्होंने इतिहास के तथ्यों से इस बात को स्थापित किया कि भगत सिंह और गांधी जी को एक दूसरे के खिलाफ खड़ा करना सच नही है रास्ते और विचारों में अंतर होने के बावजूद दोनों के बीच कोई निजी वैर नही था।
साम्प्रदायिकता का खतरा देश के सामने है
अपने अध्यक्षीय संबोधन में वरिष्ठ सोशलिस्ट विचारक नरेश सहगल ने कहा कि आज जिस तरह से साम्प्रदायिकता का खतरा देश के सामने है उसमें भगत सिंह के विचारों को समझना पढ़ना और आत्मसात करना होगा और सबसे जरूरी है कि लोगों को इंसान बनना होगा। गोष्ठी की शरुआत में एडवोकेट अवधेश रॉय ने विषय प्रवर्तन किया।
गोष्ठी को जमील अहमद आजमी पूर्व वरिष्ठ उपाध्यक्ष हाई कोर्ट बार एसोसिएशन, हरीश पांडेय, धर्मेन्द्र सिंह यादव(उपाध्यक्ष हाई कोर्ट बार एशोशिएशन इलाहाबाद), रीतिका मौर्या, इंद्रसेन सिंह, रामकुमार गौतम अधिवक्ता मंच के सह संयोजक मो0 सईद सिद्दीक़ी आदि ने संबोधित किया। गोष्ठी की अध्यक्षता नरेश सहगल (वरिष्ठ सोशलिस्ट चिंतक, सामाजिक कार्यकर्ता) ने किया।
गोष्ठी का संचालन अधिवक्ता मंच के संयोजक राजवेंद्र सिंह ने किया। गोष्ठी में घनश्याम मौर्य, प्रमोद कुमार गुप्ता, राजीव कुमार, बुद्ध प्रकाश, के. के. रॉय, नितेश कुमार यादव, शमशुल इस्लाम, रज्जन यादव, हरिशंकर, विकाश कुमार मौर्य, शान मुहम्मद, मुश्ताक़ अहमद, बुध प्रकाश, सतवेंद्र आज़ाद, महा प्रसाद, कपिल यादव, काशान सिद्दीकी, राजेश पटेल, राजीव कुमार, शाह आलम, सुरेंद्र राही, राजकुमार, कुंवर नौशाद, दरबारी लाल, नितिन शर्मा, रमेश यादव, प्रबल प्रताप, इब्ने अहमद, चार्ली प्रकाश आदि बड़ी संख्या में अधिवक्ता और गवर्नमेंट प्रेस के कर्मचारी यूनियन के पदाधिकारी श्री ध्रुव नारायण, अल्प नारायण, अनिल, संजय सिंह, डॉ एम एल यादव पूर्व वरिष्ठ सभासद शिवसेवक सिंह आदि शामिल रहे।
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