नई दिल्ली। लगातार फर्जी खबरों को लेकर आ रहे दुष्परिणाम चिन्ता का सबब बने हुए है। फेक न्यूज के कारण छोटी मारपीट से लेकर चुनावी हिंसा तक के मामले भी प्रकाश में आए हैं। वहीं चर्चा है कि सरकार अब इस पर लगाम लगाने की तैयारी कर रही है। फर्जी खबरों को लेकर आईटी पैनल ने कानून बनाने की सिफारिश भी की है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सूचना और प्रौद्योगिकी (आईटी) को लेकर संसदीय पैनल ने पारंपरिक और डिजिटल मीडिया प्लेटफार्मों के लिए कई सुधारों की सिफारिश की है। इसके परिणामस्वरूप संसद के शीतकालीन सत्र में सूचना एवं प्रोद्यौगिकी से जुड़ी एक खास रिपोर्ट पेश हो सकती है।
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो आइटी पैनल ने अपनी रिपोर्ट में ‘राष्ट्र विरोधी’ रवैया को परिभाषित करने से लेकर टेलीविजन रेटिंग बिंदुओं का मूल्यांकन करने और फर्जी खबरों से निपटने के लिए समर्पित कानून पेश करने के लिए एक बेहतर प्रणाली को शामिल किया है।
बताया गया कि पैनल ने अपनी रिपोर्ट में पेड न्यूज, फेक न्यूज, टीआरपी के साथ छेड़छाड़, मीडिया ट्रायल्स, पक्षपात रिपोर्टिंग जैसे तमाम मामलों का जिक्र किया है। फर्जी खबरों के मामलों के जानकार के मुताबिक फेक न्यूज ने मीडिया की विश्वसनीयता पर बड़ा सवालिया निशान लगा दिया है।
बताया गया कि यह स्वस्थ लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं है और यदि स्वस्थ लोकतंत्र को सही से चलाना है तो यह केवल मीडिया की तरफ से सही जानकारी के प्रसार से ही संभव है। जानकारी के मुताबिक मीडिया सेक्टर के लिए बन रहे कानून में प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स को कवर किया जाएगा।
बताया जा रहा है कि प्रस्तावित कानून, प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, डिजिटल मीडिया, सिनेमा और नेटफ्लिक्स और हॉटस्टार जैसे ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर भी लागू होगा।
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