नई दिल्ली। कोरोना के खतरे के बीच अपने बच्चों के लिए वैक्सीन का इंतजार कर रहे अभिभावकों के लिए अच्छी खबर है। दरअसल देश में अब बच्चों को भी कोरोना वैक्सीन लगाई जा सकेगी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक केंद्र सरकार ने 2 से 18 साल के बच्चों के वैक्सीनेशन के लिए स्वदेशी कोवैक्सीन को मंजूरी दे दी है।
ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया यानी DCGI के अनुसार वैक्सीन की दो डोज दी जाएंगी। हालांकि इसकी डीटेल्ड गाइडलाइन जारी होनी अभी बाकी है। DCGI की सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी बच्चों को वैक्सीन लगाने की प्रोसेस और दो डोज के बीच रखे जाने वाले अंतर की भी जानकारी देगी। गौरतलब है कि अभी देश में वयस्कों को तीन वैक्सीन लगाई जा रही हैं।
कोवैक्सिन, कोवीशील्ड और स्पुतनिक-V। इनमें से कोवैक्सिन को भारत बायोटेक ने बनाया है। बताया गया कि कोवीशील्ड बनाने वाला सीरम इंस्टीट्यूट भी बच्चों की वैक्सीन कोवोवैक्स को बनाने की तैयारी कर रहा है। उधर जायडस कैडिला की वैक्सीन जायकोव-डी का क्लिनिकल ट्रायल पूरा हो चुका है। बताया गया कि उसे मंजूरी का इंतजार है। ये बड़ों के साथ बच्चों को भी लगाई जा सकेगी।
ट्रायल के बाद बच्चों पर इस्तेमाल की मंजूरी
मिली जानकारी के मुताबिक DCGI की सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी ने तीसरी लहर की चेतावनी के बाद 12 मई को बच्चों पर कोवैक्सिन के ट्रायल की सिफारिश की थी। इसे मानते हुए DCGI ने ट्रायल की मंजूरी दी थी। भारत बायोटेक ने बच्चों पर कोवैक्सिन का ट्रायल जून में शुरू किया था। बताया गया कि कोवैक्सिन को तीन फेज के ट्रायल के बाद बच्चों पर इस्तेमाल की मंजूरी दी गई है।
दरअसल दुनिया के अलग-अलग देशों में भी इसी तरह के ट्रायल्स के बाद बच्चों के लिए वैक्सीन को अप्रूवल दिया गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यूरोप में मॉडर्ना की वैक्सीन को बच्चों के लिए अप्रूव करने से पहले 12 से 17 साल के 3,732 बच्चों पर ट्रायल किया गया था। ट्रायल के नतीजों में सामने आया था कि वैक्सीन ने बच्चों में भी बड़ों के बराबर ही एंटीबॉडी प्रोड्यूस की है।
ट्रायल के दौरान 2,163 बच्चों को कोरोना वैक्सीन दी गई थी और 1,073 को प्लास्बो। जिन 2,163 बच्चों को वैक्सीन दी गई थी, उनमें से किसी को भी न तो कोरोना हुआ और न ही कोई गंभीर साइड इफेक्ट। वहीं चीनी वैक्सीन कोरोनावैक भी 3 से 17 साल तक के बच्चों पर असरदार पाई गई है। कंपनी ने दो फेज में 550 से ज्यादा बच्चों पर वैक्सीन का ट्रायल किया था।
दो ही बच्चों को आया बुखार
कंपनी ने बताया कि ट्रायल में शामिल केवल दो बच्चों को ही वैक्सीनेशन के बाद तेज बुखार आया था। बाकी किसी में भी कोई साइड इफेक्ट नहीं देखा गया। वैक्सीनेशन के बाद 98% बच्चों में एंटीबॉडी भी प्रोड्यूस हुई। इसी तरह फाइजर ने बच्चों पर अपनी वैक्सीन की इफेक्टिवनेस पता करने के लिए 12 से 15 साल के 2,260 बच्चों पर ट्रायल किया था।
इनमें से 1,131 को वैक्सीन और बाकी 1,129 को प्लास्बो दिया गया था। बताया गया कि वैक्सीन लेने वाले 1,131 बच्चों में से किसी में भी कोई गंभीर साइड इफेक्ट नहीं देखे गए। ट्रायल के नतीजों के बाद फाइजर ने कहा था कि उसकी वैक्सीन बच्चों में सौ फीसदी इफेक्टिव है।
इन देशों में बच्चों को दी जा रही वैक्सीन
रिपोर्ट्स में बताया गया कि अमेरिका मई से फाइजर की वैक्सीन को 12 साल से अधिक उम्र के सभी बच्चों को लगाना शुरू कर चुका है। अगले साल तक वहां 12 साल से कम उम्र के बच्चों को भी वैक्सीनेशन की शुरुआत हो सकती है। यूरोपियन यूनियन ने 23 जुलाई को मॉडर्ना की वैक्सीन को बच्चों के लिए अप्रूव किया है।
12 से 17 साल तक के बच्चों को यूरोपियन यूनियन में मॉडर्ना की वैक्सीन लगाई जाएगी। बताया गया कि 19 जुलाई को UK ने 12 साल तक के बच्चों को फाइजर वैक्सीन लगाने की अनुमति दी है। हालांकि अभी केवल मोर्बिडिटी वाले बच्चों को ही वैक्सीन दी जा रही है। सितंबर तक मॉडर्ना की वैक्सीन को भी अप्रूवल मिलने की संभावना है।
इजराइल भी 12 साल तक के सभी बच्चों को वैक्सीनेट करना शुरू कर चुका है। इजराइल ने जनवरी में 16 साल तक के बच्चों का वैक्सीनेशन शुरू किया था। जून में वैक्सीनेशन का दायरा बढ़ाने के लिए 12 साल तक के बच्चों को भी वैक्सीन देने की शुरुआत की गई।
इसके अलावा माल्टा, चिली जैसे कई छोटे देशों ने भी बच्चों को वैक्सीनेट करना शुरू कर दिया है। बताया गया कि इन देशों ने अपनी आबादी के एक बड़े हिस्से का टीकाकरण कर दिया है। वहीं अब पूरी आबादी को वैक्सीनेट करने के लिए बच्चों को भी वैक्सीनेशन प्रोग्राम में सम्मिलित किया जा रहा है।
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