गोदरेज ने महत्वपूर्ण नवाचार के जरिए घरेलू कीटनाशक प्रारूपों को सर्वसुलभ बनाया

204
Godrej makes household insecticide formulations universally accessible through breakthrough innovation
वर्तमान में अगरबत्तियों जैसे असुरक्षित और अनियमित प्रारूपों का उपयोग करने वाले 100 मिलियन परिवारों पर लक्षित
  •  कम आय वाले उपभोक्ताओं के लिए सुरक्षित मॉस्किटो रिपेलेंट्स को आसानीपूर्वक सुलभ कराने हेतु सबसे बड़ा कदम

  •  डेंगू को खत्म करने के लिए दुनिया का सबसे किफायती समाधान लाया

  • गुडनाइट मिनी और हिट नो-गैस स्प्रे को लॉन्च किया गया – दुनिया का सबसे सस्ता लिक्विड वेपोराइज़र और इंस्टेंट किल स्प्रे समाधान

  •  वर्तमान में अगरबत्तियों जैसे असुरक्षित और अनियमित प्रारूपों का उपयोग करने वाले 100 मिलियन परिवारों पर लक्षित

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। मच्छर जनित बीमारियों के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में भारत ने एक बड़ी छलांग लगाई है। गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स लिमिटेड (जीसीपीएल) द्वारा विकसित दो स्वदेशी नवाचार – दुनिया का सबसे कम लागत वाला लिक्विड मॉस्किटो रिपेलेंट डिवाइस और नो-गैस इंस्टेंट मॉस्किटो-किल स्प्रे को नेशनल सेंटर फॉर वेक्टर बोर्न डिजीज कंट्रोल, मलेरिया नो मोर इंडिया, फोर्टिस हॉस्पिटल इंडिया आदि के विशेषज्ञों की मौजूदगी में लॉन्च किया गया।

ब्रांडेड गुडनाइट मिनीलिक्विड और हिट नो-गैस स्प्रे, ये नवाचार कम आय वाले उपभोक्ताओं के लिए मच्छरों से बचाने वाले सुरक्षित और धूम्ररहित समाधानों को सुलभ बनाते हैं। आज निम्न आय वाले अधिकांश लोग अधिक धुआं देने वाले असुरक्षित और अनियंत्रित अगरबत्तियों का उपयोग करते हैं। डॉक्टर मच्छर भगाने के लिए इन नकली अगरबत्तियों का उपयोग न करने की चेतावनी देते हैं क्योंकि इनसे ब्रोंकाइटिस, अस्थमा, रिएक्टिव एयरवे बीमारी और अन्य समस्याएं पैदा हो सकती हैं। जबकि विनियमित और सुरक्षित धूम्ररहित समाधानों के बारे में व्यापक रूप से लोगों को जानकारी थी, लेकिन अब तक ये ऊँची कीमतों पर ही उपलब्ध थे और इन समाधानों की विशेषताएं इन उपभोक्ताओं की आवश्यकताओं के अनुरूप नहीं थीं।

गुडनाइट मिनी सिंगल मोड मशीन

जीसीपीएल ने इन जरूरतों को गहराई से समझा और महत्वपूर्ण अनुसंधान एवं विकास के साथ नवाचारों को विकसित किया है। सबसे पहले, उन्हें यह पता चला कि निम्न आय वाले अधिकांश परिवारों को रात के समय मच्छरों के संक्रमण का अधिक खतरा होता है और इसलिए उन्हें लगातार उच्च प्रभाव वाले रिपेलेंट की आवश्यकता होती है। इसके परिणामस्वरूप गुडनाइट मिनी को सिंगल मोड मशीन के रूप में तैयार किया गया, जो पूरी रात काफी असरदार बनी रहती है। केवल 50 रुपये (रिपेलेंट मशीन + रीफिल) की कीमत और 35 रुपये की रिफिल वाले इस समाधान के उपयोग पर एक रात के लिए सिर्फ 2.5 रुपये का खर्च आता है। भारत में 95%+ विद्युतीकरण होने के साथ (मार्च 2022 में जारी राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण – 5वीं रिपोर्ट के अनुसार), इस डिवाइस को व्यापक रूप से उपयोग में लाए जाने की उम्मीद है।

नो-गैस डिओडोरेंट्स

दूसरी बात, चूंकि कम आय वाले परिवारों के पास अपेक्षाकृत छोटे कमरे होते हैं, इसलिए बड़े कमरों में अधिक मात्रा में फैलने के लिए डिज़ाइन किए गए महंगे एलपीजी आधारित एयरोसोल स्प्रे उपयुक्त नहीं थे। जीसीपीएल ने नो-गैस डिओडोरेंट्स से प्रेरणा ली और हिट नो-गैस स्प्रे विकसित किया, जो मच्छर-मारने वाला, जल आधारित नवीन स्प्रे है, जिसके एक बार के उपयोग पर अधिकतम 1.5 रुपये का खर्च आता है। जीसीपीएल द्वारा किए गए परीक्षणों के अनुसार, हिट नो-गैस स्प्रे नकली अगरबत्ती की तुलना में मच्छरों को तेजी से मारता है और यह पूरी तरह से सुरक्षित एवं धुआंरहित है।

मच्छरों के खिलाफ प्रभावी उपाय

किफायती नवाचारों के बारे में बताते हुए, गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स लिमिटेड (जीसीपीएल) के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी, सुधीर सीतापति ने कहा, “हमने मच्छर जनित बीमारियों के प्रभाव को कम करने के लिए अब तक काफी प्रगति कर ली है। हालांकि, आगे विशेष रूप से छोटे शहरों, कस्बों और ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को सशक्त बनाया जाना आवश्यक है। लिक्विड रिपेलेंट्स और एरोसोल मच्छरों के खिलाफ सबसे प्रभावी उपाय हैं, लेकिन उनकी कीमत अधिक होने के चलते कम आय वाले परिवार काफी हद तक उनका उपयोग नहीं कर पाते हैं।

जीसीपीएल में हमें गुडनाइट मिनी और हिट नो-गैस स्प्रे पेश करने पर गर्व है। ये नवाचार भारत में लिक्विड रिपेलेंट और स्प्रे श्रेणियों की लागत को 50% तक कम करते हैं और इस प्रकार उन्हें सभी के लिए सुलभ बनाते हैं। इन नवाचारों के साथ, हम कम आय वाले उपभोक्ताओं के लिए सुरक्षित मच्छर रिपेलेंट को सुलभ करा रहे हैं। देश के स्वास्थ्य बोझ को कम करने के सरकार के दृष्टिकोण का समर्थन करना हमारी बड़ी प्रतिबद्धता है।”

मलेरिया मुक्त दृष्टिकोण

लॉन्च कार्यक्रम के दौरान आयोजित पैनल चर्चा में, प्रतीक कुमार, कंट्री डायरेक्टर, मलेरिया नो मोर इंडिया ने कहा, “मच्छर जनित रोग, विशेष रूप से मलेरिया, सार्वजनिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्या रही है और हमारा लक्ष्य इसका पूर्ण उन्मूलन होना चाहिए। यदि हम 2030 तक अपने प्रधानमंत्री के मलेरिया मुक्त दृष्टिकोण को सक्षम बनाना चाहते हैं, तो हमें एक अलग रणनीति की आवश्यकता है जो रोकथाम से परे हो और उन्मूलन सुनिश्चित करे।

इसमें आधुनिक उपकरण और प्रौद्योगिकियों की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। इसमें निजी स्वास्थ्य प्रदाताओं की प्रमुख भूमिका होती है। मलेरिया उन्मूलन के लिए सभी वर्गों को मिलाकर इस बीमारी पर ध्यान दिया जाना जरूरी है। हमें पहुंच और समय पर लास्ट-माइल हस्तक्षेप में तेजी लाने के लिए नए समाधान, उत्कृष्ट प्रौद्योगिकी विकसित करनी चाहिए। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि उच्च स्थानिक क्षेत्रों में कम लागत वाले समाधानों के साथ कम आय वाले समूहों को सशक्त बनाए जाने पर प्रमुखता से जोर दिया जाना चाहिए।”

उन्नत उपचारों हेतु शोध

फोर्टिस हॉस्पिटल, नोएडा के अपर निदेशक – पल्मोनोलॉजी एंड क्रिटिकल केयर, डॉ. राहुल शर्मा ने कहा, “जलवायु परिवर्तन जैसे कारकों के चलते मलेरिया और डेंगू की घटनाओं में वृद्धि हुई है, जिससे देश पर बीमारी के बोझ में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। मेडिकल फ्रैटर्निटी द्वारा तीव्र रिकवरी में सहायता के लिए उन्नत उपचारों हेतु शोध एवं विकास किए जा रहे हैं, लोगों के लिए यह भी महत्वपूर्ण हो जाता है कि वे मच्छर जनित बीमारियों से खुद को बचाने के लिए रोकथाम की रणनीति अपनाएँ।

हालांकि आम लोग मच्छरों से बचाव की आवश्यकता से परिचित हैं, वे अक्सर खतरनाक और अनियमित विकल्पों जैसे कि रिपेलेंट अगरबत्तियों का उपयोग कर रहे हैं, जिनसे अधिक बीमारियां और श्वसन संबंधी रोग हो सकते हैं। हालांकि ये मच्छर भगाने वाली अगरबत्तियां कम खर्चीली होती हैं, लेकिन कम ही लोग स्वास्थ्य पर इनके हानिकारक प्रभावों के बारे में जानते हैं। इस प्रकार, हर किसी की सुरक्षा की गारंटी देने वाले व्यावहारिक, किफायती समाधानों हेतु नवाचार और उन्हें सर्वसुलभ बनाया जाना तत्काल रूप से आवश्यक है।”जीसीपीएल देश में वेक्टर जनित रोगों के प्रभाव को कम करने के लिए प्रतिबद्ध है। गुडनाइट और हिट जैसे अपने प्रमुख ब्रांडों के माध्यम से, कंपनी ने पिछले कुछ वर्षों में सभी प्रारूपों में कई नवाचार पेश किए हैं।

वेक्टर-बॉर्न एंडेमिक डिजीज

2016 में, जीसीपीएल ने 2030 तक मलेरिया उन्मूलन के भारत के राष्ट्रीय लक्ष्य के साथ अपना सीएसआर प्रयास, एलिमिनेशन ऑफ वेक्टर-बॉर्न एंडेमिक डिजीज (एम्बेड) प्रोजेक्ट भी शुरू किया। यह कार्यक्रम फैमिली हेल्थ इंडिया (एफएचआई) द्वारा एनजीओ भागीदारों और मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ सरकार के स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से लागू किया जा रहा है। एम्बेड का उद्देश्य अधिक बोझ वाले क्षेत्रों में मलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया के कारण रुग्णता और मृत्यु दर को कम करना है।

अभी तक एम्बेड को मध्य प्रदेश के 9 जिलों, उत्तर प्रदेश के 4 जिलों और छत्तीसगढ़ के 2 जिलों के 2,000+ गांवों में 5 लाख से अधिक घरों में लागू किया जा चुका है। जीसीपीएल का एम्बेड प्रोग्राम एक स्केलेबल मॉडल बनाने में सफल रहा है जिससे भारत के उच्च बोझ वाले गांवों को 2030 तक मलेरिया उन्मूलन का लक्ष्य हासिल करने में मदद मिल सके।एक बड़ा बदलाव लाने के निरंतर प्रयासों के साथ, जीसीपीएल का अभिनव किफायती नवाचार वेक्टर जनित रोगों से मुक्त राष्ट्र के सरकार के दृष्टिकोण का समर्थन करता है।

इसे भी पढ़ें…

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here