कैसे अपना ने लक्ष्य को उनके सपने साकार करने में मदद की

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How Apna Helped Lakshya Realize Their Dreams
। इन सभी मुश्किलों के बीच उन्होंने अपना गाँव छोड़कर जीवन में कुछ करने का फैसला लिया।

लखनऊ, बिजनेस डेस्क। संघर्षों से मुकाबला करना और अपने डर पर जीत हासिल कर लक्ष्यों को पूरा करना ही ज़िंदगी का दूसरा नाम है। लेकिन इस मुक़ाम तक पहुंचने के लिए आपको पक्के इरादे की ज़रूरत होती है। यूपी के बाघपुर गाँव में रहने वाले लक्ष्य कौशिक को भी ऐसे ही पक्के इरादे की ज़रूरत थी। इंजीनियरिंग डिप्लोमा करने के बाद भी लक्ष्य जीवन के मुश्किल दौर से गुज़र रहे थे। उनके पिता की शराब की लत न सिर्फ उनके परिवार को बल्कि उनके आत्मविश्वास को भी बिखेर रही थी। इन सभी मुश्किलों के बीच उन्होंने अपना गाँव छोड़कर जीवन में कुछ करने का फैसला लिया। वे यूपीएससी में सफलता हासिल करना चाहते थे।

सपनों का घर

उनका यही सपना उन्हें अपनी मंज़िल पाने के लिए हरियाणा के लोकप्रिय शहर गुरूग्राम ले आया, यह शहर उनके लिए बिल्कुल नया था। लेकिन आपने सुना ही होगा ‘नई चीज़ों में अक्सर कई मुश्किलें आती हैं।’’ यहां उन्हें कोई मदद नहीं मिली और नौकरी ढूंढने की कई कोशिशों के बाद भी वे अपने आप को असहाय महसूस कर रहे थे। वे अपनी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए कई प्लेटफॉर्म्स पर अपने लिए सही नौकरी तलाश रहे थे। जब वे पार्ट-टाईम जॉब की तलाश में थे, तभी फेसबुक पर एक विज्ञापन के ज़रिए उन्हें अपना एप के बारे में पता चला। उन्होंने चेतक सिक्योरिटी में सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी के लिए आवेदन किया और उन्हें चुन लिया गया। तब जाकर उन्होंने राहत की सांस ली।

किस्मत को चुनौती

अब उन्हें उम्मीद थी कि वे गुरूग्राम में अपना जीवनयापन कर सकेंगे और अपने सपने को साकार कर सकेंगे। कुछ समय के लिए सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करने के बाद लक्ष्य को एआरसी इलेक्ट्रिकल्स पर आसानी से दूसरी नौकरी मिल गई। अब वे न सिर्फ नौकरी के साथ-साथ खाली समय में मन लगा कर यूपीएससी के ज़रिए सरकारी नौकरी पाने की तैयारी कर रहे हैं बल्कि अपना कम्युनिटी के सक्रिय सदस्य भी हैं, जहां वे अपनी जानकारी को दूसरों के साथ बांटते हैं और अन्य लोगों को भी सपने साकार करने और अपनी किस्मत को चुनौती देने के लिए प्रेरित करते हैं।‘अंत कभी नहीं होता, जब तुम सोचोगे तभी सब कुछ होगा’’ लक्ष्य ने अपना का धन्यवाद करते हुए कहा, जिसने उस समय उनका साथ दिया जब उन्हें मदद की सबसे ज़्यादा ज़रूरत थी।

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