लखनऊ: नूर मंज़िल मनोचिकित्सा केंद्र में पैनल चर्चा में यूं हुआ मानसिक स्वास्थ्य की आवश्यकता पर मं​थन

लखनऊ। नूर मंजिल मानसिक केंद्र की ओर से विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर मनोवैज्ञानिक डा अंजलि गुप्ता तथा मनोचिकित्सक डॉ.ए.एस. राजपूत द्वारा कार्यस्थल पर होने वाली समस्याओं एवं उसके सुझावों पर चर्चा की। इसी दौरान अस्पताल के मरीजों एवं परिवारजनों ने कई प्रश्न पूछे जिसका निवारण मनोचिकित्सकों तथा इंटर्नस के सहयोग द्वारा किया गया ।

कार्य स्थल पर होने वाली समस्याएं

कार्य स्थल पर होने वाली समस्याओं में लम्बे कार्य घंटे , अत्यधिक भार ,अनिश्चित अपेक्षाएं , नियंत्रण की कमी , कार्य – जीवन संतुलन की कमी , असंभव समय सीमा , भेदभाव , सहकर्मियों के साथ संघर्ष , समर्थन की कमी , परोक्श- अपरोक्ष उत्पीड़न , उपेक्षाएं करना , भयभीत करना , धमकी देना , शारीरिक – मानसिक – संवेगात्मक तथा यौन शोषण आदि शामिल है ।

मरीजों तथा परिवारजनों ने पूंछे सवाल

कार्यस्थल पर जाति तथा पद के अनुरूप सम्मान तथा भेदभाव क्यों किया जाता है ? पदोन्नति के दौरान मेहनती लोग पीछे तथा चापलूसी करने वाले लोग आगे क्यों निकल जाते हैं ? हमारे साथ गलत होने पर हमें न्याय क्यों नहीं मिलता है और हमें हीन भावना से क्यों देखा जाता है? निजी जीवन की समस्याओं का प्रभाव व्यवसायिक जीवन पर न पड़े इसके लिए क्या किया जा सकता है?

मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित होने से यूं बढ़ती हैं समस्याएं

मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित होने के कारण बढ़ने वाली शारीरिक समस्याओं में बीपी का बढ़ना, सिरदर्द रहना , शुगर , चिड़चिड़ापन , गुस्सा आना , नींद न आना , भूख न लगना , पाचन सम्बन्धी समस्याएं , थकावट आदि शामिल हैं । वहीं इसके कारण होने वाली मानसिक समस्याओं में तनाव, नकारात्मक विचारों का आना , उदासी रहना , आत्माविश्वास की कमी , संतुष्ट न होना , ध्यान केंद्रित करने में परेशानी , सही निर्णय न ले पाना , रुचि की कमी , आत्महत्या के विचार , भूलने की समस्या , मूड स्विंग होना आदि हैं।

मानसिक स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं के लिए निराकरण

कार्यक्रम में विशेषज्ञों ने बताया कि इसके निराकरण को खुलकर बात करें , अपनी भावनाएं व्यक्त करें , नियमित व्यायाम करें , संतुलित आहार लें , पर्याप्त नींद लें , सामाजिक समर्थन प्राप्त करें , आत्म देखभाल का अभ्यास करें , ध्यान केंद्रित करना सीखें , निजी जीवन तथा व्यवसायिक जीवन की समस्याओं का आपस में हस्तक्षेप न होने दे , दूसरे से कम अपेक्षाएं रखें तथा अपनी जीवन शैली को महत्व दें तथा समस्या गंभीर होने पर मनोचिकित्सक तथा परामर्शदातायों से सम्पर्क करें ।

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