पढ़िए 116 लोगों की मौत के जिम्मेदार सूट-बूटधारी बाबा के बारे में जो लेकर चलता है वर्दीधारी फौज

हाथरस। पश्चिमी यूपी में सूरजपाल सिंह उर्फ साकार हरि बाबा उर्फ भोले बाबा एक नामचीन नाम है जिसका विवादों से लंबा नाता है, हा यह अलग बात है कि इससे पहले इतना बड़ा विवाद इसके नाम से नहीं जुड़ा था,जितना बड़ा मंगलवार को हाथरस में सत्संग के बाद हुई भगदड़ में 116 लोगों की मौत के बाद जुड़ गया। कासगंज के पटयाली गांव का रहने वाला है यह सूरज पाल, इसने 17 साल पहले पुलिस कांस्टेबल की नौकरी छोड़कर सत्संग करने लगा।

इसने अपनी अलग पहचान बनाने के लिए आम साधु-संतों की तरह गेरुआ वस्त्र नहीं किया, बल्कि खुद को आधुनिक बाबा बताते हुए शूट— बूट और टाई पहनकर प्रवचन देता है, अपने साथ अपनी पत्नी को भी बड़े से आसन पर बैठाकर प्रवचन देता है, इसके अनुयायी इसके लिए जान देने के लिए तैयार रहते है। मंगलवार को हुआ भी ऐसा ही जैसे ही इसके गाड़ियों का काफिला निकला इसके अनुयायी इसके करीब से दर्शन के लिए उमड़ पड़े, इसी आपाधापी में एक—दूसरे पर गिरते गए, इस तरह 116 की मौत हो गई और सैकड़ों लोग घाय हो गए। ।

कई राज्यों में है इसके अनुयायी

बाबा सूरज पाल के अनुयायी न केवल यूपी, बल्कि एमपी और राजस्थान में बड़ी संख्या में है। इसने अपने पैतृक गांव बहादुरनगर में बड़ा आश्रम बना रखा है, जहां हर महीने के पहले मंगलवार को सत्संग होता है। बाबा आश्रम में हो या न हो, भक्तों का हुजूम लगा रहता है। पुलिस पृष्ठभूमि के चलते बाबा पुलिस के तौर-तरीकों को जानता है। इसी से उसने वर्दीधारी स्वयंसेकों की लंबी-चौड़ी फौज खड़ी कर दी।

बसपा सरकार में मिली थी लाल बत्ती

बाबा की एससी/एसटी और ओबीसी वर्ग में गहरी पैठ है, यह खुद जाटव हैं। मुस्लिम भी उनके अनुयायी हैं। नारायण साकार हरि यानी भोले बाबा का बसपा सरकार में डंका बजता था। बसपा सरकार में भोले बाबा लाल बत्ती की गाड़ी में सत्संग स्थल तक पहुंचते थे। उनकी कार के आगे आगे पुलिस एस्कॉर्ट करते हुए चलती थी।

बसपा सरकार में तत्कालीन जनप्रतिनिधि उनके सत्संग में शामिल होने पहुंचते रहे। सत्संग स्थल पर पुलिस की जगह उनके स्वयंसेवक ही कमान संभालते हैं।सत्संग में सेवा के लिए पुलिसकर्मी भी छुट्टी लेकर पहुंचते हैं। सत्संग में पूरी व्यवस्थाएं स्वयंसेवकों के हाथ में ही होती हैं। इनमें कई पुलिसकर्मी हैं, जो बाबा की सुरक्षा में तैनात रहने के साथ सत्संग स्थल पर व्यवसथाएं संभालते हैं। स्वयंसेवक गुलाबी रंग की यूनिफॉर्म में सत्संग स्थल से लेकर शहर की सड़कों पर तैनात रहते हैं।

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