अपनी रचनाओं से मां का गुणगान करने वाले शायर मुनव्वर राणा का इंतकाल

लखनऊ। देश- विदेश में अपनी कविताओं के लिए प्रसिद्ध शायर मुनव्वर राणा का रविवार रात दिल का दौड़ा पड़ने से निधरन हो गया। उनका पिछले कई दिनों से लखनऊ के पीजीआई में इलाज चल रहा था। उन्हें किडनी व हृदय रोग से संबंधित समस्या थी। उनकी बेटी सुमैया राना ने बताया कि रात साढ़े 11 बजे के करीब उन्होंने अंतिम सांस ली। दिल का दौरा पड़ा था। रायबरेली में आज अंतिम संस्कार होगा। मुनव्वर राणा ने अ​पनी कविताओं मां को सबसे ज्यादा तव्वजो दी।

ज़रा सी बात है लेकिन हवा को कौन समझाये,
दिये से मेरी माँ मेरे लिए काजल बनाती है

छू नहीं सकती मौत भी आसानी से इसको
यह बच्चा अभी माँ की दुआ ओढ़े हुए है

यूँ तो अब उसको सुझाई नहीं देता लेकिन
माँ अभी तक मेरे चेहरे को पढ़ा करती है

कोलकाता से गहरा नाता

शायर मुनव्वर राणा का जन्म 26 नवंबर 1952 को उत्तर प्रदेश के रायबरेली में हुआ था, लेकिन उन्होंने अपना अधिकांश जीवन पश्चिम बंगाल के कोलकाता में बिताया। उन्होंने 71 साल की उम्र में रविवार अंतिम सांस ली। राणा को उर्दू साहित्य और कविता में उनके योगदान, विशेषकर उनकी गजलों के लिए जाना जाता है। उनकी काव्य शैली अपनी सुगमता के लिए उल्लेखनीय थी. वे फारसी और अरबी से परहेज करते हुए अक्सर हिंदी और अवधी शब्दों को शामिल करते थे, जो भारतीय श्रोताओं को पसंद आते थे. उनकी सबसे प्रसिद्ध कविता ‘मां’ थी, जो पारंपरिक गजल शैली में मां के गुणों को सामने लाती थी.

यह पुरस्कार मिले

राणा को मिले दूसरे पुरस्कारों में अमीर खुसरो पुरस्कार, मीर तकी मीर पुरस्कार, गालिब पुरस्कार, डॉ. जाकिर हुसैन पुरस्कार और सरस्वती समाज पुरस्कार शामिल हैं। उनकी रचनाओं का कई भाषाओं में अनुवाद किया गया है. राणा की भारत और विदेशों के मुशायरों में बड़ी उपस्थिति रहती थी।

इसे भी पढ़ें….

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

भारत की चैंपियन बेटियां Main Shakti Peethas of Mother Preeti Jhangiani brings glory to India in Bulgaria Sharvari Wagh is making everyone crazy with her style