एमपी का मैदान मारने बीजेपी ने धुरंधरों को उतारा, हारी सीटों को जीतने की कवायद लाएगी रंग

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BJP has fielded strongmen to contest for MP, efforts to win the lost seats will bear fruit.
चंबल अंचल की यहां की राजनीति के दो ध्रुव है एक सिंधिया खेमा और दूसरा नरेंद्र सिंह तोमर खेमा।

भोपाल। एमपी का विधानसभा चुनाव इस बार बीजेपी के ​कठीन लग रहा था, लेकिन हाईकमान के मास्टर स्ट्रोक ने पार्टी को एक बार फिर सत्ता दिलाती दिख रहीं, क्योंकि इस बार जिस 39 सीटों पर प्रत्याशियों के नामों की घोषणा की गई है, उसमें से 36 सीटें बीजेपी ने पिछले चुनाव में गंवा दी थी। और इन सीटों पर इस बार उन चेहरों को उतारा गया है जो अपने क्षेत्र की राजनीति को प्रभावित करते है।

बात करते है सबसे पहले चंबल अंचल की यहां की राजनीति के दो ध्रुव है एक सिंधिया खेमा और दूसरा नरेंद्र सिंह तोमर खेमा। केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को मुरैना की दिमनी सीट से उतारकर बिखरे तोमरों को जोड़ने की जो कवायद की है, वह​ ​निश्चित रूप से बीजेपी को चंबल में निर्णायक बढ़त दिलाई थी, क्योंकि पिछले चुनाव में कांग्रेस को चंबल में ही सबसे ज्यादा सीटे मिली थी, वहीं सिंधिया समर्थक प्रभावशाली नामों को टिकट देकर दूसरे खेमे को भी संतुष्ट कर दिया गया। यानि अब दोनों खेमा अधिक से अधिक सीट जीतने के लिए पूरा जोर लगाएगा।

महाकौशल और बघेलखंड को साधने की रणनीति

ठीक इसी प्रकार से सतना, जबलपुर और रीवा से सांसदों को उताकर वहां की सीट पक्की करने के ​साथ ही आसपास की सीटों को जीतने की जो रणनीति बनाई है वह काफी कारगर होगी। क्योंकि सतना से तीन बार के सांसद रहे गणेश सिंह सतना की राजनीति के स्तंब है, उन्होंने लगातार कांग्रेस के चेहरा रहे राहुल सिंह को पटकनी दी है। इसी प्रकार रीवा से रीति पाठक इन दिनों काफी चर्चित चेहरा है, उन्हें रीवा से टिकट देकर पूरे जिले की राजनीति को प्रभावित किया है। अब बात करें जबलपुर की तो सांसद राकेश सिंह जबलपुर की पहचान बने हुए है।

यह भी निभाएंगे अहम भूमिका

इसी क्रम में केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल और निवास से फग्गन सिंह कुलस्ते को प्रत्याशी बनाया गया है। जबलपुर पश्चिम से राकेश सिंह, सतना से गणेश सिंह, सीधी से रीति पाठक और गाडरवारा से उदय प्रताप सिंह को प्रत्याशी बनाया गया है। भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को इंदौर विधानसभा क्रमांक 1 से टिकट दिया गया है। छिंदवाड़ा से विवेक बंटी साहू को उतारा गया है।

इसलिए बड़े नेताओं को उतारा मैदान में

दूसरी सूची को देखे तो स्पष्ट हो जाएगा भाजपा इस चुनाव को कितनी गंभीरता से रही है और किसी भी हाल में वह यहां जीत हासिल करना चाहती है। तभी पार्टी ने केंद्रीय मंत्री और सांसदों को मैदान में उतारा है। कमजोर सीटों पर पार्टी को अपनी स्थिति खराब नजर आ रही थी। इसलिए पार्टी ने कद्दावर नेताओं को मैदान में उतारने का निर्णय लिया है। दूसरी सूची में सबसे ज्यादा ध्यान देने वाली बात यह है कि इसमें चारों ऐसे वरिष्ठ नेताओं को टिकट दिया गया है।

जो मुख्यमंत्री पद के दावेदार माने जा सकते है। इनमें नरेंद्र सिंह तोमर, प्रह्लाद सिंह पटेल, फग्गन सिंह कुलस्ते और कैलाश विजयवर्गीय शामिल हैं। यदि प्रदेश में भाजपा की सरकार बनती है तो यह माना जाना चाहिए कि प्रदेश में अगर भाजपा की सरकार बनती है तो इनमें से ही कोई न कोई मुख्यमंत्री होगा। नरेंद्र सिंह तोमर को चुनावी जंग में उतारने का सीधा आशय यही लगाया जा सकता है। दिग्गजों-सांसदों को मैदान में उतार पार्टी ने यह संदेश दिया है कि हमारे लिए इस बार एक चेहरा नहीं महत्व नहीं रखता है। पार्टी इस बार जीत का कोई मौका नहीं छोड़ना चाहती। फिर चाहे उसे किसी को भी मैदान में उतारना क्यों न पड़े।

कैलाश विजयवर्गीय को 15 साल बाद मौका

राष्ट्रीय महासचिव कैलाश ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के सामने चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की थी। उन्होंने कहा था कि यदि पार्टी चाहेगी तो मैं छिंदवाड़ा जाकर चुनाव लड़ना चाहूंगा। लेकिन उन्हें उन्हीं के शहर के ताकतवर उम्मीदवार संजय शुक्ला के सामने उतारा गया है। इस लिहाज से कहा जा सकता है कि इंदौर विधानसभा-1 का चुनाव बेहद रोचक और रोमांचक हो गया है। क्योंकि दोनों ही उम्मीदवार किसी मामले में एक दूसरे से कम नहीं है।

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