गोरखपुर। एक कहावत है कि यह पुलिस यह कचहरी केवल गरीबों को सजा दिलाती है, यह बिल्कुल सटीक बैठती है, यूपी के पूर्व मंत्री रहे अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि पर जिन्होंने हत्या जैसे अपराध में 11 साल एक गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज के प्राइवेट वार्ड में काट दी, वैसे में अब हर कोई जानना चाहता है कि आखिर कौन सी वह बीमारी है जो 11 साल में भी ठीक नहीं हो सकी। कई सरकारें आई और गई,लेकिन 2012 में जिस कमरे को अमरमणि त्रिपाठी ने अपना ठिकाना बनाया तो कई हिला नहीं पाया। और अस्पातल में रहकर उम्रकैद की सजा काट दी। सबसे अहम बात है कि बिना जेल में रहे ही अच्छे आचरण की वजह से सजा भी माफ करा ली, यह केवल सत्ता का रसूख है।
2012 से चल रहा इलाज
अगर दोनों की मेडिकल हिस्ट्री खंगाली जाए तो दोनों को कोई गंभीर बीमारी नहीं है, इसके बाद भी उनके इलाज में 11 साल लग गए, इसके बाद भी ठीक नहीं हुए और मेडिकल कॉलेज में उम्रकैद की सजा काट ली। डॉक्टरों के अनुसरार अमरमणि मानसिक रूप से बीमार हैं। उनका इलाज मानसिक रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. तपस कुमार आइच कर रहे है।जबकि, उनकी पत्नी मधुमणि को सर्वाइकल से जुड़ी दिक्कत बताई गई है। उनका न्यूरो सर्जन की देखरेख में इलाज चल रहा है।
उनके बेटे पूर्व विधायक अमन मणि त्रिपाठी का कहना है,”फिलहाल पिता जी की स्थिति ठीक नहीं है। डॉक्टरों की देखरेख में उनका इलाज चल रहा है। उनके पूरी तरह स्वस्थ्य हो जाने के बाद ही डॉक्टरों के परामर्श पर उन्हें यहां से डिस्चार्ज कराया जाएगा।मधुमणि गोरखपुर आईं, तो ज्यादातर अस्पताल में ही रहीं। अमरमणि हर सुबह जेल से बाहर मेडिकल कॉलेज में फीजियोथेरैपी के लिए आते थे। फिर अपनी प्राइवेट गाड़ियों में घूमते थे। अपने कपड़े पहनते थे, जेल की वर्दी नहीं।
हरिद्वार जेल से आए तो नहीं लौटे
2012 में उत्तराखंड से गोरखपुर जेल में उन्हें ट्रांसफर किया गया। इसके बाद वो वापस नहीं गए। मधुमणि को 16 अप्रैल 2012 को जेल के एक डॉक्टर की सिफारिश पर मेडिकल कॉलेज भेजा गया था। यहां आने के बाद उसे एक प्राइवेट वार्ड में भर्ती कराया गया।साल 2008 के एक चेक बाउंस के एक मामले में मुकदमे का सामना करने के लिए उसे उत्तराखंड से गोरखपुर जेल लाया गया था। मधुमणि तीन महीने तक अस्पताल में भर्ती रही। लेकिन, उनको कोई गंभीर बीमारी है यह किसी को जानकारी नहीं थी।अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि की सजा भी डॉक्टरों के इलाज के बीच गुजरी। मधुमिता की बहन निधि शुक्ला का कहना है कि त्रिपाठी दंपति ने अधिकारियों की मिलीभगत से उनके कारावास का मजाक उड़ाया।
बेटे पर भी लगा पत्नी की हत्या का आरोप
अमनमणि पर अपनी पहली पत्नी सारा की हत्या का आरोप लगा और उन्हें जेल भी जाना पड़ा। हालांकि इसका उनके राजनीतिक जीवन में कुछ फर्क नहीं दिखा। जेल में रहकर भी अमरमणि का नौतनवा सीट पर रुतबा कायम था। 2017 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने अमनमणि को जीत दिलवाने में कामयाबी हासिल की। इस बार वो निर्दलीय चुनाव जीते। हालांकि, 2022 के चुनाव में पहली बार नौतनवा सीट अमरमणि के परिवार के कब्जे से बाहर हुई।
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