नई दिल्ली—लखनऊ। इस वर्ष गर्मी के इस मौसम में रेलयात्रियों की सुविधा और यात्रियों की अतिरिक्त भीड़ को देखते हुए भारतीय रेल 380 विशेष ट्रेनों के 6369 फेरे चला रहा है। 2022 में चलाई गई कुल ग्रीष्मकालीन विशेष ट्रेनों (348 ट्रेनों के 4599 फेरे) की तुलना में इस साल भारतीय रेल द्वारा 1770 अधिक फेरे लगाये जा रहे हैं। दी गई जानकारी में बताया गया कि पिछले वर्ष गर्मियों में औसतन 13.2 फेरे प्रति विशेष ट्रेन चलाये गये थे, जबकि चालू वर्ष में प्रति विशेष ट्रेन 16.8 फेरे लगाए जा रहे हैं। इन विशेष ट्रेनों से जुड़े हुए प्रमुख गंतव्य पटना-सिकंदराबाद, पटना-यशवंतपुर, बरौनी-मुजफ्फरपुर, दिल्ली-पटना, नई दिल्ली-कटरा, चंडीगढ़-गोरखपुर, आनंद विहार-पटना, विशाखापत्तनम-पुरी-हावड़ा, मुंबई-पटना, मुंबई-गोरखपुर हैं। बताया गया कि 6369 फेरे लगाने वाली इन 380 विशेष ट्रेनों में 25794 सामान्य डिब्बे और 55243 शयनयान डिब्बे हैं।
विभिन्न राज्यों से सुनिश्चित की जा रही कनेक्टिविटी
सामान्य कोच में 100 यात्रियों की क्षमता होती है जबकि आईसीएफ के शयनयान कोच में 72 और एलएचबी में 78 यात्रियों की क्षमता होती है। बताया गया कि गर्मियों में यात्रियों की भीड़ को संभालने के लिए देश भर में फैले सभी जोनल रेलवे ने ट्रेनों के विशेष फेरे चलाने की पूरी तैयारी कर ली है। इन विशेष ट्रेनों के माध्यम से कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश, दिल्ली जैसे विभिन्न राज्यों से कनेक्टिविटी सुनिश्चित की जा रही है। मुख्य रूप से कर्नाटक क्षेत्र के लिए दक्षिण पश्चिम रेलवे पिछले साल के 779 फेरे की तुलना में इस गर्मी के मौसम में 1790 फेरे चला रहा है, जबकि पश्चिम रेलवे मुख्य रूप से गुजरात राज्य के लिए पिछले वर्ष के 438 फेरों की तुलना में इस बार 1470 फेरे लगा रहा है।
कॉमर्शियल और आरपीएफ स्टाफ की टीम यूं कर रही निगरानी
बताया गया कि ट्रेनों और लगाये जाने वाले फेरों की संख्या पूरे सीज़न के लिये स्थिर नही है, इसलिये विशेष ट्रेनों की योजना बनाना और उन्हें चलाना एक सतत प्रक्रिया है जिसके लिए मीडिया रिपोर्ट्स, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स, रेलवे इंटीग्रेटेड हेल्पलाइन नंबर 139 जैसे सभी संचार माध्यमों से 24×7 इनपुट लिए जाते हैं। इसके अलावा ट्रेनों की मांग का आकलन करने के लिए पीआरएस सिस्टम में किसी विशेष मार्ग पर यात्रियों की प्रतीक्षा सूची का विवरण भी लिया जाता है। इन जरूरतों के आधार पर ट्रेनों और फेरों की संख्या बढ़ाई जाती है। बताया गया कि कॉमर्शियल और आरपीएफ स्टाफ की टीम द्वारा किसी भी तरह के गलत प्रयासों जैसे सीटों पर कब्जा करना, अधिक चार्ज करना या दलाली आदि पर नजर रखी जा रही है।
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