- बेयर के सहयोग से स्थानीय भागीदारों के साथ मिलकर ‘एंडो रन’ का आयोजन किया
नईदिल्ली, बिजनेस डेस्क: एंडोमीट्रियॉसिस जागरूकता माह के सिलसिले में, पेशेंट एकेडमी फॉर इनोवेशन एंड रिसर्च ने बेयर के सहयोग से राजधानी दिल्ली में एंडो रन के पहले चरण का आयोजन किया गया। एंडो रन का आयोजन आम जनता को जागरूक बनाने के मकसद से किया गया है जिसके जरिए एंडोमीट्रियॉसिस से ग्रस्त महिलाओं और उनके परिवारों, हैल्थकेयर प्रदाताओं, शोधकर्ताओं तथा कार्यकर्ताओं को एकजुट किया जाएगा ताकि वे मिल-जुलकर इसके बारे में अपने सरोकारों को साझा कर सकें। एंडो रन के आयोजन के पीछे उद्देश्य इस बारे में देशभर में चर्चा को प्रेरित करना भी है ताकि इससे प्रभावित लोगों और उनके परिजनों के लिए अधिक सपोर्ट तथा संसाधनों को उपलब्ध कराया जा सके। इस जागरूकता कैम्पेन में करीब 150 से अधिक मरीज़ों ने हिस्सा लिया।
42 मिलियन महिलाएं प्रभावित
एंडोमीट्रियॉसिस एक साधारण, क्रोनिक, गाइनीकोलॉजिकल समस्या है जिससे दुनियाभर में 247 मिलियन और भारत में 42 मिलियन महिलाएं प्रभावित हैं। इसमें गर्भाशय की भीतरी सतह से मिलते-जुलते टिश्यू गर्भाशय2 के बाहर भी फैल जाते हैं। एंडोमीट्रियॉसिस से जूझने वाली महिलाओं को क्रोनिक पेल्विस पेन (श्रोणि क्षेत्र में लंबे समय से बना रहने वाला तकलीफदेह दर्द), थकान, अवसाद और बांझपन की समस्या होती है।
इस कंडिशन में डायग्नॉसिस प्राय: 6-10 वर्षों तक की देरी से हो पाता है, और यह प्रभावित महिलाओं की लाइफ की क्वालिटी को बुरी तरह से प्रभावित करती है। साथ ही, इसकी वजह से उनकी पढ़ाई-लिखाई और काम के क्षेत्र में भी उत्पादकता पर असर पड़ता है, जो कि काफी हद तक सामाजिक-आर्थिक बोझ बन जाता है। भारत में इस बारे में क्लीनिकल जानकारी, कंडिशन की गंभीरता और संबंधित जोखिमकारकों आदि के बारे में भी सूचनाएं काफी सीमित हैं।
रोग का इलाज जरूरी
डॉ रत्ना देवी, डायरेक्टर, पेशेंट एकेडमी फॉर इनोवेशन एंड रिसर्च ने कहा, ‘रोग के निदान और इलाज शुरू करने में होने वाली देरी की वजह से एंडोमीट्रियॉसिस के बारे में जागरूकता बढ़ाना काफी महत्वपूर्ण है। ज्यादातर महिलाएं इसकी वजह से गंभीर किस्म की तकलीफें सहने और अन्य कई लक्षणों को झेलने के लिए मजबूर होती हैं और उनकी शिकायत को या तो अनसुना कर दिया जाता है या उसे कोई तवज्जो नहीं दी जाती। ऐसे में, बेहतर डायग्नॉसिस और शीघ्र इलाज शुरू करने की बेहद जरूरत है। जो महिलाएं इस पीड़ाजनक अनुभव से गुजरती हैं, उन्हें इसके बारे में आपस में बातचीत करने और एक-दूसरे को सपोर्ट करने के लिए भी प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।”
हैल्थकेयर सॉल्यूशंस तक
दीपक चोपड़ा, बिज़नेस यूनिट हैड, विमेन्स हैल्थ, बेयर ज़ायडस फार्मा, ने कहा, ‘एंडोमीट्रियॉसिस से दुनियाभर में लाखों महिलाएं प्रभावित हैं। महिलाओं के स्वास्थ्य के मामले में विशेषज्ञता के चलते हम इस बारे में जागरूकता में सुधार के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम PAIR के साथ भागीदारी तथा इस संबंध में पहल के लिए सपोर्ट प्रदान करते हुए खुशी महसूस कर रहे हैा जो कि महिलाओं की पहुंच बेहतर हैल्थकेयर सॉल्यूशंस तक सुनिश्चित करेगी। मरीज़ों के स्तर पर तथा मरीज़ों के समूहों के बीच इस बारे में जानकारी और संचार काफी महत्वपूर्ण है ताकि एंडोमीट्रियॉसिस का डायग्नॉसिस जल्द से जल्द हो सके। बेयर में हमाा मकसद शोध एवं विकास गतिविधियों (आर एंड डी) के जरिए स्वास्थ्य के मोर्चे पर सुधार लाना और एंडोमीट्रियॉसिस समेत अन्य रोगों के लिए उपचार विकल्पों को पेश करना है।”
एम्बार्क केयर फाउंडेशन
एंडोमीट्रियॉसिस के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए एंडो रन का आयोजन राजधानी दिल्ली स्थित क्नॉट प्लेस में किया गया और इस अवसर पर ऑस्कर विजेता तथा एम्बार्क केयर फाउंडेशन की राष्ट्रीय अध्यक्ष सुश्री सुमन मुख्य अतिथि थीं। साथ ही, डॉ मधु गोयल, एसोसिएट डायरेक्टर – ऑब्सटेट्रिक्स एंड गाइनीकोलॉजी, फोर्टिस ला फेमे भी उपस्थित थीं। इस मौके पर अन्य कई गणमान्य डॉक्टरों एवं कुछ मरीज़ सहयोग समूहों ने भी एंडोमीट्रियॉसिस के बारे में अपना विशेषज्ञ मार्गदर्शन प्रदान किया।
स्वस्थ जीवनशैली अपनाना
इस अवसर पर, एक कॉफी टेबल बुक भी लॉन्च की गई जिसमें कुछ मरीज़ों की कहानियां और डायग्नॉसिस के सफर के बारे में जानकारी दी गई है। इस पुस्तक के जरिए मरीज़ों को गाइनीकोलॉजिस्ट्स से संपर्क कर समय पर सही कदम उठाने के बारे में बताया गया है। यह पुस्तक, निश्चित रूप से महिलाओं को इस रोग के विभिन्न पहलुओं के बारे में इन महिलाओं की आपबीती के जरिए विस्तार से परिचित करवाएगी। एंडो रन के मौके पर जुबा जैसे इंटरेक्टिव सेशंस भी आयोजित किए गए ताकि महिलाओं को स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के बारे में भी प्रेरित किया जा सके।
एंडोमीट्रियॉसिस से पीड़ित महिलाएं
डॉ देवी ने कहा, ‘इस प्रकार के देशव्यापी अयोजनों के जरिए, हमें आशा है कि एंडोमीट्रियॉसिस जागरूकता माह के दौरान हमारे प्रयासों से इस रोग से जुड़ी शर्मिंदगी/कलंक को दूर कर इस बारे में बेहतर समझ पैदा करने में मदद मिलेगी। हम एंडोमीट्रियॉसिस से पीड़ित महिलाओं को एजुकेशन, एडवोकेसी और सपोर्ट के जरिए सशक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”इस पहल के तहत्, अगले चरणों में 25 मार्च को मुंबई, 26 मार्च को पुणे, 28 मार्च को हैदराबाद और 2 अप्रैल को कोलकाता में आयोजन किए जाएंगे।
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