शान से भैंसे पर सवार होकर निकले लाट साहब, जूते -चप्पल से हुआ स्वागत, रंग और गुलाल भी बरसे

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शाहजहांपुर। हमारे देश में एक कहावत है कि कोस कोस पर बदले पानी और चार कोस पर वाणी अर्थात हमारा देश विविधताओं से भरा हैं। अब इस विविधता से भला ही हमारे त्योहार कैसे बचे रहेंगे। आज पूरे देश में होली का त्योहार मनाया जा रहा है। वैसे होली का बिना गुलाला और गुझिया के अधूरा है, लेकिन हर जगह अलग— अलग तरीके से मनाया जाता है। कहीं राम बरात निकलती है तो कही ​शिव बरात, कही लठ बरसाई जाती हैं तो कही पानी। कुछ ऐसी ही एक परंपरा है यूपी के शाहजहांपुर में जहां लाट साहब की सवारी निकाली जाती है। इस आयोजन का सबसे खास आकर्षक हैं ​लाट साहब की सवारी निकालने का तरीका लाट साहब भैंसे पर सवार होकर निकलते हैं और उनके स्वागत में चप्पल और जूते बरसाए जाते है। यहां के लोग लाट साहब की सवारी में शामिल होने को अपनी शान समझते हैं।

कड़ी सुरक्षा के बीच निकले लाट साहब

बुधवार को लाट सुबह कड़ी सुरक्षा के बीच लाट साहब का जुलूस शुरू हुआ। मंदिर में माथा टेकने के बाद लाट साहब को भैंसा गाड़ी पर सवार कराया गया। लाट साहब के गले में जूतों की माला डाली गई। भैंसा गाड़ी सबसे पहले चौक कोतवाली में पहुंची, जहां कोतवाल ने सलामी दी। इसके बाद रंग और गुलाल की बौछार के बीच में लाट साहब का जुलूस कई मार्गों से गुजरा। जहां पर जूते और चप्पल मारकर स्वागत किया गया। जुलूस के दौरान पुलिस का कड़ा घेरा रहा। डीएम और एसपी भी कंट्रोल रूम से जुलूस पर नजर बनाए रहे।

नवाबों के समय से निकलता है जुलूस

शाहजहांपुर में लाट साहब का जुलूस नवाबों के समय से निकलता है। एक कहानी आम है कि नवाब साहब के समय बगावत हुई थी उस समय कुछ समय के नवाब शहर छोड़कर चले गए जब हालात सामान्य हुआ था तब वह वापस लौटे थे। उस समय उनके स्वागत में जुलूस निकाल गया था। तभी से यह परंपरा चली आ रही है। इस समय एक व्यक्ति को लाट साहब बनाकर भैंसे की गाड़ी पर बैठाकर जुलूस निकाला जाता है। यह जुलूस शहर भर में निकाला जाता है। लोग बड़ी संख्या में शामिल होते है।

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