जोशीमठ। उत्तराखंड को वैसे तो देवलोक कहा जात है, यहां के कण—कण में देवताओं का वास होता है, लेकिन जोशीमठ का अपना विशेष महत्व है। यहां सरकार द्वारा कराए गए विकास कार्य प्रकृति को रास नहीं आई, पिछले कई सालों से यहां के पहाड़ विनाश के संकेत दे रहे थे, जिसे लगातार हुकमरान अनदेखा कर रहे थे, नतीजा यह हुआ कि यहां पर बसे लोगों का आशियाना अब इतिहास बनने जा रहा है।
न जाने कब खतरे की घंटी बज जाए
जिन बस्तियों में बच्चों के खेलने और देव अर्चन के श्लोक सुनाई देते थे, वहां अब वीरानी छाने वाली हैं,क्योंकि यहां की कमजोर घरों को सरकार गिराने जा रही हैं, लोगों को तेजी से वहां से हटाया जा रहा, न जाने कब खतरे की घंटी बज जाए और प्रकृति सबकुछ ठीकठाक करने के लिए उथल-पुथल न मचा दें। सरकार से मिली जानकारी के अनुसार जोशीमठ में भू-धंसाव के चलते असुरक्षित हो चुके भवनों को गिराने का अभियान मंगलवार से आरंभ होगा। मुख्य सचिव डॉ.एसएस संधु ने असुरक्षित भवनों को गिराने के निर्देश दिए हैं। केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआई) के वैज्ञानिकों की देखरेख में लोनिवि की टीम भवनों को ढहाने का काम करेगी, दोनों संस्थानों की टीमें जोशीमठ पहुंच गई हैं। असुरक्षित भवनों पर लाल निशान लगा दिए गए हैं।
ज्यादा नुकसान वाले भवन गिराए जाएंगे
सचिव आपदा प्रबंधन डॉ.रंजीत सिन्हा ने प्रेसवार्ता में बताया कि जोशीमठ पहुंची सीबीआरआई की टीम ने सोमवार को मलारी इन और माउंट व्यू होटल का सर्वे किया। इन दोनों होटलों से भवनों को ढहाने की शुरुआत होगी। इन होटलों को अत्यधिक क्षति पहुंची है।सबसे पहले होटल मलारी इन तोड़ा जाएगा। सुबह नौ बजे से मलारी इन को तोड़ने की कार्रवाई शुरू होगी। केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान रुड़की के विशेषज्ञों की टीम के निर्देशन और एनडीआरएफ, एसडीआरएफ की मौजूदगी में होटल को तोड़ने की कार्रवाई होगी। इस दौरान 60 मजदूरों के साथ ही दो जेसीबी, एक बड़ी क्रेन और दो टिप्पर ट्रक मौजूद रहेंगे।
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