कमजोर कदम से मजबूत दस्तक देने की पहल!यूपी को नेपथ्य में रख कांग्रेस ने गढ़ी नई रणनीति

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यूपी की सियासत में कांग्रेस साल 1989 के बाद से काफी दुश्वारियों के दौर से गुजर रही है। वह अपने कमजोर कदमो के जरिए मजबूत दस्तक देने की कोशिश कर रही है।

रोहिताश मिश्र,लखनऊ। यूपी की सियासत में कांग्रेस साल 1989 के बाद से काफी दुश्वारियों के दौर से गुजर रही है। वह अपने कमजोर कदमो के जरिए मजबूत दस्तक देने की कोशिश कर रही है। केन्द्र की सत्ता हासिल करने की कसक उसे आज भी साल रही है।

साल 2009 के लोकसभा चुनाव के बाद से सूबे की सियासत में वह काफी कमजोर हुई है।कांग्रेस के अध्यक्ष रहे राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा से यूपी की सियासत में कांग्रेस के सियासी सेहत का पैमाना बनाया जा रहा है। जो मौजूदा समय में शायद कांग्रेस की सियासी रणनीति के हिस्से से यूपी को बाहर रखा गया है।

सियासी रणनीति के हिस्से से यूपी को रखा गया बाहर

पार्टी के रणनीतिकार यूपी को नेपथ्य में रखकर सियासी जंग को सपा-बसपा के हवाले छोड़ रखना बेहतर मान कर चल रहे है। यूपी में मृत प्राय पड़े कांग्रेस में प्राणवायु भरना बहुत आसान नही है। कांग्रेस का फोकस उन राज्यों में अधिक रहा है जहां उसका संगठन क्रियाशील और मजबूत है।

जिन राज्यो में आज भी कांग्रेस ही भाजपा और उसके सहयोगी दलो को चुनौती देती आ रही है।पार्टी उन राज्यों में अपनी मौजूदगी को मजबूती के साथ दर्ज कराने पर अधिक फोकस कर रही है। यदि हम जानकारो की माने तो कांग्रेस दक्षिण एवं मजबूत राज्यों से दो सौ के आसपास लोकसभा की सीटे जीतने का खाका खींचकर अपनी रणनीति को परवान चढ़ा रही है।

भाजपा से मुकाबले को सपा—बसपा पर छोड़ा

जहां तक यूपी की सियासत की बात है फिलहाल वह अधिक दखलंदाजी से बचने की राह पर चल रही है। यूपी को सपा-बसपा को भाजपा के मुकाबले छोड़ रही है। पार्टी नेतृत्व भी भली प्रकार से वाकिफ है कि यूपी को सपा-बसपा और भाजपा के मुकाबले बहुत आसानी से कांग्रेस को पुनः स्थापित नही किया जा सकता है।

साल 2024 में लोकसभा का आम चुनाव होना है। इस बार कांग्रेस की रणनीति में सबसे पहले भाजपा को सत्ताच्युत करना प्रमुख लक्ष्य है। भाजपा के सत्ताच्युत होने के बाद कांग्रेस यूपी में अपने पैर पसारने की रणनीति पर काम आरम्भ करना चाहेगी। इसीलिए भारत जोड़ो यात्रा कांग्रेस के मजबूत संगठन वाले राज्यो में अधिकतर केन्द्रित रही है।

दो सौ सीटों के करीब आंकड़ा पाने की कोशिश

यदि कांग्रेस अपनी रणनीति में कामयाब होकर करीब दो सौ सीटो का आंकड़ा प्राप्त कर लेती है तो सपा, बसपा, सहित अन्य भाजपा विरोधी दलो का समर्थन उसे आसानी से मिल जायेगा। ऐसी दशा में कांग्रेस केन्द्र में सरकार बनाने में कामयाब हो सकती है।

कोई भी विरोधी दल अब अधिक वक्त तक केन्द्र में मोदी सरकार को नही देखना चाहता है। इसलिए कांग्रेस को बाहर से समर्थन जुटाना आसान हो जायेगा। तकरीबन सभी गैर भाजपा विरोधी दलों का एक लक्ष्य है कि भाजपा सरकार सत्ताच्युत हो।

यात्रा के जरिए बढ़ रहा राहुल का कद

ऐसा माना जा रहा है कि राहुल की यात्रा ने जहां मायूस हो चुके कांग्रेसियों में नई जान फूंकी है तो वहीं इस यात्रा ने राहुल की छवि को बदलते हुए उनका सियासी कद भी बढ़ाया है। वहीं यह भी सही है कि राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा से यूपी की सियासत में उसे कोई खास फायदा होने वाला नही दिखाई देता है।

विपक्षी एकता का संदेश देने के लिए राहुल गांधी अपनी भारत जोड़ो यात्रा में शामिल होने के लिए सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव और बसपा मुखिया मायावती के साथ ही रालोद प्रमुख जयंत चौधरी को आमत्रंण दे चुके है। उनके आमंत्रण के बदले उनकी सफल यात्रा के लिए सभी ने अपनी-अपनी शुभकामनाएं देकर राहुल की हौसला अफजाई करने का काम किया है।

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