एक्सिस माय इंडिया नवंबर सीएसआई सर्वेक्षण का खुलासा

198
Axis My India November CSI Survey Revealed
श्रेणियों और खरीद के तरीके को लेकर अल्पव्यय और अपव्यय दोनों ही प्रवृत्ति देखी जा सकती है।"

लखनऊ, बिजनेस डेस्क। प्रमुख उपभोक्ता डेटा इंटेलिजेंस कंपनी, एक्सिस माय इंडिया ने इंडिया कंज्यूमर सेंटीमेंट इंडेक्स (सीएसआई) के अपने नवीनतम निष्कर्ष जारी किए। यह इंडेक्स विभिन्न मुद्दों पर उपभोक्ता धारणा का मासिक विश्लेषण प्रस्तुत करता है। नवंबर की रिपोर्ट से पता चलता है कि सभी 5 उप-सूचकांकों में भावनाओं में सुधार हुआ है। विवेकाधीन उत्पादों पर खर्च 11 प्रतिशत परिवारों के लिए बढ़ा, जो पिछले पांच महीनों में सबसे अधिक है। सर्वेक्षण में आगे बताया गया है कि स्थानीय किराना स्टोर रोज़मर्रा की किराने की खरीदारी हेतु 86 प्रतिशत लोगों के लिए शीर्ष विकल्प बने हुए हैं।

टेलीफोनिक साक्षात्कार से सर्वे

नवंबर शुद्ध सीएसआई स्कोर, पिछले महीने के प्लस 08 से प्लस 09 हो गया है, जो 01 अंक की वृद्धि को दर्शाता है। इस स्कोर की गणना सेंटिमेंट में प्रतिशत वृद्धि में से प्रतिशत कमी को घटाकर ज्ञात की जाती है। भावना का विश्लेषण पांच प्रासंगिक उप-सूचकांकों – कुल घरेलू खर्च, आवश्यक और गैर-आवश्यक वस्तुओं पर खर्च, स्वास्थ्य सेवा पर खर्च, मीडिया की खपत की आदतें और आवागमन संबंधी रुझान के आधार पर किया गया है। 32 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 10207 लोगों ने कंप्यूटर एडेड टेलीफोनिक साक्षात्कार के माध्यम से इस सर्वेक्षण में हिस्सा लिया था। 70 प्रतिशत प्रतिक्रियादाता ग्रामीण भारत के थे, जबकि 30 प्रतिशत शहरी भारत के थे।

कीमतों में गिरावट के संकेत

क्षेत्रीय प्रसार के संदर्भ में, 26 प्रतिशत उत्तरदाता उत्तरी भागों से थे जबकि 24 प्रतिशत भारत के पूर्वी भागों से थे। इसके अलावा 30 प्रतिशत और 20 प्रतिशत क्रमशः भारत के पश्चिमी और दक्षिणी भागों से थे। उत्तरदाताओं में से 56 प्रतिशत पुरुष थे, जबकि 44 प्रतिशत महिलाएं थीं। दो प्रमुख नमूना समूहों के संदर्भ में, 28 प्रतिशत उत्तरदाता 26 वर्ष से 35 वर्ष की आयु वर्ग के थे, जबकि अन्य 28 प्रतिशत उत्तरदाता 36 वर्ष से 50 वर्ष के आयु वर्ग के थे। सीएसआई रिपोर्ट पर टिप्पणी करते हुए, एक्सिस माई इंडिया के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक, प्रदीप गुप्ता ने कहा, “भारत की स्थिर आर्थिक वृद्धि और कीमतों में गिरावट के संकेतों से उपभोक्ता विश्वास में सुधार हुआ है। महीने भर चलने वाले त्योहारी उत्सवों ने इस भावना को बढ़ाने का काम किया है।

किराना दुकानें

सुविधा और रियायतों ने भी खरीद और वस्तुओं एवं सेवाओं की मांग के प्रति उपभोक्ता के नजरिए को प्रभावित किया है। ऑनलाइन ऐप उपभोक्ताओं के दिमाग में जगह बना रहे हैं, हालांकि स्थानीय किराना दुकानें भी रोजमर्रा के किराने सामान की खरीदारी की मांग को पूरा कर रही हैं। इसी तरह रियायत और छूट के कारण किफायती खरीदारी को बल मिल रहा है, लेकिन बड़ी वस्तुओं की बिक्री अभी भी सीमित है। इसलिए, जबकि संपूर्ण खर्च सकारात्मक दृष्टिकोण प्रदान करता है, लेकिन विभिन्न श्रेणियों और खरीद के तरीके को लेकर अल्पव्यय और अपव्यय दोनों ही प्रवृत्ति देखी जा सकती है।”

इसे भी पढ़ें…

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here