रोशनी के त्योहार पर लक्ष्मी-गणेश पूजन होता है शुभ, जानिए शुभ मुहूर्त और विधि

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Lakshmi-Ganesh worship is auspicious on the festival of lights, know the auspicious time and method
शास्त्रों के अनुसार 2000 साल बाद दीपावली पर बुध, गुरु, शुक्र और शनि खुद की राशि में रहेंगे।

धर्म डेस्क। रोशनी का पर्व दीपावली आज पूरे संसार में हर्ष के साथ मनाई जाएगी। कई दिन पहले से ही घरों में दीपावली का त्योहार मनाने की तैयारी चल रही हैं। तो आई आपकों दीपावली के अवसर पर होने वाली पूजा व उसके शुभ मुहूर्त और लाभ के बारे में विस्तार से आपकों बताए।श्याम मंदिर के वरिष्ठ पुजारी पं. विजय मिश्रा के अनुसार आज शाम 5 बजे के बाद से ही लक्ष्मी पूजा-अर्चना के योग हैं। कार्तिक अमावस्या शाम को शुरू होगी और अगले दिन शाम 5 बजे तक रहेगी। लेकिन 25 को सूर्य ग्रहण रहेगा। इसलिए लक्ष्मी पूजा के मुहूर्त शाम और रात में ही रहेंगे।

पांच राजयोग में मनेगी दीवाली

शास्त्रों के अनुसार 2000 साल बाद दीपावली पर बुध, गुरु, शुक्र और शनि खुद की राशि में रहेंगे। साथ ही लक्ष्मी पूजा के समय पांच राजयोग भी रहेंगे। ये ग्रह योग सुख-समृद्धि और लाभ का संकेत दे रहे हैं। इसलिए इस बार दिवाली बहुत शुभ रहेगी। पांच योग में दीपावली मनने से हर किसी के लिए शुभदायी होगी।

ऐसे करें दीपावली पूजा

  • सबसे पहले पानी के लोटे में गंगाजल मिलाएं। वो पानी कुशा या फूल से खुद पर छिड़कर पवित्र हो जाएं।
  • पूजा में शामिल लोगों को और खुद को तिलक लगाकर पूजा शुरू करें।
  •  पहले गणेश, फिर कलश उसके बाद स्थापित सभी देवी-देवता और आखिरी में लक्ष्मी पूजा करें।

गणेश पूजा की सरल विधि

ॐ गं गणपतये नम: मंत्र बोलते हुए गणेश जी को पानी और पंचामृत से नहलाएं। पूजन सामग्री चढ़ाएं। नैवेद्य लगाएं। धूप-दीप दिखाएं और दक्षिणा चढ़ाएं।

बहीखाता और सरस्वती पूजा

फूल-अक्षत लेकर सरस्वती का ध्यान कर के आह्वान करें। ऊँ सरस्वत्यै नम: बोलते हुए एक-एक कर के पूजन सामग्री देवी की मूर्ति पर चढ़ाएं। इसी मंत्र से पेन, पुस्तक और बहीखाता की पूजा करें। इसके बाद विष्णु पूजा करें।

विष्णु पूजा की विधि

मंत्र – ॐ विष्णवे नम:

भगवान विष्णु की मूर्ति को पहले पानी फिर पंचामृत से नहलाएं। शंख में पानी और दूध भर के अभिषेक करें। फिर कलावा, चंदन, अक्षत, अबीर, गुलाल और जनेऊ सहित पूजन सामग्री चढ़ाएं। इसके बाद हार-फूल और नारियल चढ़ाएं। मिठाई और मौसमी फलों का नैवेद्य लगाएं। धूप-दीप दिखाएं और दक्षिणा चढ़ाकर प्रणाम करें।

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