गेवरा स्टेशन से यात्री ट्रेनें चलाने की मांग, माकपा ने 3 घंटे तक किया मालगाड़ियों का चक्का जाम

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Demand to run passenger trains from Gevra station, CPI(M) jammed goods trains for 3 hours
नागरिक सुविधाओं के लिए लड़ने के बजाय मुनाफाखोर एसईसीएल और रेल प्रशासन के पक्ष में कांग्रेस-भाजपा का जन विरोधी चरित्र खुलकर सामने आ गया है।

कोरबा। गेवरा स्टेशन से बंद पड़ी सभी यात्री ट्रेनों को चालू करने की मांग पर मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा मालगाड़ियों का चक्का जाम करने के आह्वान को आज जबरदस्त जन समर्थन मिला। कुसमुंडा के व्यापारियों और ऑटो संघ ने भी इस आंदोलन का समर्थन किया। माकपा, छत्तीसगढ़ किसान सभा, सीटू और भूविस्थापित रोजगार एकता संघ से जुड़े कार्यकर्ताओं के साथ ही आम नागरिक भी पुलिस की चौकसी को धता बताते हुए सर्वमंगला पुल पर पहुंचने में सफल रहे। आंदोलनकारियों द्वारा पटरियों पर धरना देने से 3 घंटे तक कोयला परिवहन पूर्ण रूप से बाधित रहा और मालगाड़ी की एक भी रेक गेवरा रोड से कोरबा के लिए नहीं निकल पाई, जिससे रेल्वे और एसईसीएल को करोड़ों का नुकसान हुआ है। रेल प्रशासन ने 15 दिनों के अंदर इस मांग पर सकारात्मक कार्यवाही करने का आश्वासन दिया है, जिसके बाद आंदोलन को स्थगित किया गया।

क्षेत्र से सौतेला व्यवहार

उल्लेखनीय है कि रेल प्रशासन गेवरा क्षेत्र से ही सबसे ज्यादा राजस्व वसूली करता है, लेकिन यात्री ट्रेनों के नाम पर सबसे ज्यादा सौतेला व्यवहार इसी क्षेत्र से किया जाता है। कोरोना संकट के नाम पर यहां से चलने वाली सभी यात्री ट्रेनों को बंद कर दिया गया है, जबकि कोयला परिवहन बदस्तूर जारी है। माकपा जिला सचिव प्रशांत झा ने आरोप लगाया है कि रेल प्रशासन और एसईसीएल प्रबंधन के बीच नागरिकों के खिलाफ एक ‘अपवित्र गठबंधन’ है।

वे कोयले से ज्यादा मुनाफा तो कमाना चाहते हैं, लेकिन इस क्षेत्र के नागरिक सुविधाओं को हड़पकर। माकपा और आम जनता को सरकार का यह रवैया मंजूर नहीं है। माकपा द्वारा आयोजित इस आंदोलन को लोकतांत्रिक और शांतिपूर्ण बताते हुए प्रशासन के दमनात्मक रवैये की भी उन्होंने तीखी निंदा की तथा कहा कि नागरिक सुविधाओं के लिए लड़ने के बजाय मुनाफाखोर एसईसीएल और रेल प्रशासन के पक्ष में कांग्रेस-भाजपा का जन विरोधी चरित्र खुलकर सामने आ गया है।

रेलवे ने 15 दिन का समय मांगा

माकपा द्वारा आहूत आज के आंदोलन को रोकने के लिए गेवरा स्टेशन पर बड़ी संख्या में रेलवे और राज्य सरकार की पुलिस तैनात थी। कटघोरा एसडीएम कौशल प्रसाद तेंदुलकर, दर्री सीएसपी लितेश सिंह, दीपका तहसीलदार आदि भी उपस्थित थे। इसके बावजूद आंदोलनकारी हसदेव पुल के ऊपर दोनों ओर की पटरियों पर पहुंचकर कब्जा जमाने और मालगाड़ियों का चक्का जाम करने में सफल हो गए। इससे जिला प्रशासन और रेल प्रशासन भारी दबाव में आ गया। पूरी कोशिशों के बावजूद वह आंदोलनकारियों को पटरी से नहीं हटा पाया। इसके बाद रेल प्रशासन को सकारात्मक कार्यवाही के लिए आंदोलनकारियों से 15 दिनों का समय मांगना पड़ा। माकपा नेता वी एम मनोहर ने यात्री ट्रेनें शुरू न होने की स्थिति में कोयला परिवहन ठप्प करने की चेतावनी दी है।

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