लखनऊ। इंडियन सोसाइटी ऑफ नेफ्रोलॉजी (आईएसएन), जो देश में नेफ्रोलॉजिस्ट्स का सबसे बड़ा प्रोफेशनल संगठन है, और दुनिया भर में किडनी को स्वस्थ बनाये रखने के लिए समर्पित है, और एस्ट्राजेनेका,जो विज्ञान-आधारित बायोफार्मास्युटिकल कंपनी है, ने किडनी की देखभाल एवं संबंधित स्वास्थ्य विकारों के बारे में जनजागरूकता पैदा करने, शीघ्र निदान पर प्राथमिक देखभाल चिकित्सक स्तर पर जानकारी प्रदान करने, त्वरित प्रबंधन और जोखिमपूर्ण रोगियों और आम लोगों के लिए राष्ट्रव्यापी जांच में सहायता देने के लिए बहुवर्षीय साझेदारी की घोषणा की।
इसका उद्देश्य समय से पहचान और समग्र प्रबंधन है।क्रोनिक किडनी रोग (सीकेडी) आज वैश्विक मृत्यु दर और रुग्णता का एक प्रमुख कारण बन गया है। भारत में, सीकेडी का सबसे आम कारण डायबिटिक नेफ्रोपैथी है। अध्ययन का अनुमान है कि भारत में एंड स्टेज किडनी डिजीज (ईएसकेडी) से पीड़ित रोगियों की संख्या, जो या तो डायलिसिस पर हैं या जिनका प्रत्यारोपण निर्धारित है, प्रति वर्ष 100,000 से अधिक है।
यह भी अनुमान लगाया गया है कि 10 में से 9 मरीज शायद यह भी नहीं जानते कि उन्हें किडनी की बीमारी है। इस वर्ष का विषय ‘किडनी हेल्थ फॉर ऑल’ है, जिसका उद्देश्य बड़े पैमाने पर जागरूकता पैदा करना और लोगों को गुर्दे के स्वास्थ्य में सुधार के तरीकों के बारे में शिक्षित करना है। इस साझेदारी के तहत, आईएसएन के निकट मार्गदर्शन में एस्ट्राजेनेका ‘प्रोजेक्ट सर्च’ चलाने में सहयोग देगा। यह प्रोजेक्ट, मधुमेह या उच्च रक्तचाप से ग्रस्त ऐसे रोगियों में सीकेडी के प्रारंभिक निदान के लिए है जिन्हें किडनी खराब होने का अधिक खतरा है।
इंडियन सोसाइटी ऑफ नेफ्रोलॉजी
यह अभियान देश भर में कई स्थानों पर एक महीने की अवधि में 2000 से अधिक चिकित्सक क्लीनिकों पर आयोजित किया जाएगा और 2.4 लाख रोगियों तक पहुंचने की उम्मीद है। सोसाइटी ने भाग लेने वाले चिकित्सकों को अपेक्षित वैज्ञानिक सहायता और परामर्श प्रदान करने के लिए क्षेत्रीय समन्वयक के रूप में देश के शीर्ष नेफ्रोलॉजिस्टों को नामित किया है। आईएसएन एकत्र किए गए डेटा के विश्लेषण में भी प्रमुखता से सहयोग देगा जिसका उपयोग व्यवहार को बदलने और नीति निर्माताओं को प्रभावित करने के लिए किया जा सकता है। डॉ संजीव गुलाटी, प्रेसिडेंट इलेक्ट – इंडियन सोसाइटी ऑफ नेफ्रोलॉजी और फोर्टिस एंड एस्कॉर्ट्स हॉस्पिटल्स, नई दिल्ली में नेफ्रोलॉजी के प्रधान निदेशक ने कहा,“ जागरूकता की बढ़ती कमी के चलते गुर्दे की बीमारी के खिलाफ लड़ाई तेज हो रही है, और जिसके चलते खराब परिणाम आ रहे हैं और सीकेडी के कारण अंतर्निहित संबंधित मृत्यु दर भी बढ़ रही है।
स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करना
इस प्रकार जागरूकता के अभाव को दूर करना सभी के लिए किडनी स्वास्थ्य प्राप्त करने की कुंजी है और यह विश्व किडनी दिवस 2022 का थीम है। गुर्दे की बीमारी की बढ़ती महामारी को दूर करने के लिए समाज के सभी स्तरों पर एक समन्वित प्रयास करने की आवश्यकता है और जागरूकता की कमी को दूर करना इसे प्राप्त करने की कुंजी है। हमारी स्वास्थ्य प्रणालियों पर गुर्दे की बीमारियों के समग्र बोझ को कम करने के लिए, यह साझेदारी तीन इंटरैक्टिव मॉड्यूल के माध्यम से लगभग 1000 प्राथमिक देखभाल चिकित्सकों के लिए देश के शीर्ष 30 नेफ्रोलॉजिस्टों द्वारा सर्टिफिकेट प्रोग्राम्स पर भी ध्यान केंद्रित करेगी। ये प्रारंभिक निदान, जागरूकता और प्रबंधन रणनीतियों और हस्तक्षेप के प्रासंगिक बिंदु के लिए महत्वपूर्ण लक्षणों पर गहरी शिक्षा की ओर संकेत करेंगे।
डॉ दीपांकर भौमिक: प्रेसिडेंट, इंडियन सोसाइटी ऑफ नेफ्रोलॉजी- नॉर्थ जोन चैप्टर; प्रोफेसर, डिपार्टमेंट ऑफ नेफ्रोलॉजी, एम्स नई दिल्ली, “सीकेडी का अक्सर देर से निदान किया जाता है, क्योंकि प्रारंभिक चरण में इसके लक्षणों का पता नहीं चलता है।युवाओं में, दो शुरुआती संकेतकों में उच्च रक्तचाप और या मूत्र करने के लिए रात में उठना शामिल है, जिससे संदेह पैदा हो जाना चाहिए और त्वरित रूप से उचित नैदानिक परीक्षण कराना चाहिए।
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