लखनऊ: ड्योढ़ी पर जुटे कलाकारों ने कथक सम्राट बिरजू महाराज को यूं दी श्रद्धांजलि

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प्रख्यात कथक नर्तक पद्मविभूषण पंजित बिरजू महाराज के जन्मदिवस पर राजधानी लखनऊ में अनूठा कार्यक्रम आयोजित किया गया।

लखनऊ। शुक्रवार को यूपी की राजधानी लखनऊ एक ऐसे अनूठे आयोजन का साक्षी बना जो अविस्मरणीय है। यहां नगर का समूचा संगीत जगत एक छत के नीचे एकजुट था। मौका था प्रख्यात कथक नर्तक पद्मविभूषण पंडित बिरजू महाराज को उनके जन्मस्थल पर जन्मदिवस के अवसर पर श्रद्धासुमन अर्पित करने का।

कुछ ही दिनों पूर्व दिवंगत हुए बिरजू महाराज के जन्मदिवस पर शुक्रवार को कथक के तीर्थ समझे जाने वाले कालका-बिंदादीन की ड्योढ़ी पर नगर के गायकों-वादकों और नर्तकों के साथ ही संगीतप्रेमियों ने अपना आदर और श्रद्धा व्यक्त की। भावपूर्ण माहौल में उन्हें संगीत पुष्प समर्पित किए गए और उनके संस्मरण साझा हुए।

न किसी घराने की पाबंदी थी और न ही विधा की सीमाएं, किसी संस्था या सरकारी विभाग का कोई नेतृत्व भी नहीं था। नगर के अतिरिक्त कोलकाता और वाराणसी से भी कलाकारों ने यहां पहुंचकर जन्मदिवस पर श्रद्धांजलि अर्पित की।

यूं किया गया महाराज को नमन

दरअसल यहां आयोजित श्रद्धासुमन समारोह में कथक के वरिष्ठ कलाकारों से लेकर सभी प्रमुख युवा कलाकारों ने अपनी हाजिरी लगाई। भातखंडे संगीत संस्थान सम विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति एवं उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी की पूर्व अध्यक्ष पूर्णिमा पांडेय, इसी विश्वविद्यालय की सेवानिवृत्त प्रोफेसर कुमकुम धर,

विश्वविद्यालय की वरिष्ठ शिक्षिका मीरा दीक्षित ने इस अवसर पर कथक के माध्यम से श्रद्धांजलि दी। इसके साथ ही रेणु शर्मा, सुरभि सिंह, मनीषा मिश्रा, रुचि खरे, सुरभि शुक्ला, अर्चना तिवारी ने भी कथक के माध्यम से कथक के विख्यात गुरु को नमन किया। रेणु शर्मा ने पंडित बिरजू महाराज द्वारा गाई गई बिंदादीन महाराज के लिखे भजन-भजो रे मन पर तो सुरभि सिंह ने दादरा-बिहारी को अपने बवश कर पाऊं पर भाव प्रदर्शन किया।

रुचि खरे ने महाराज बिंदादीन द्वारा रचित ठुमरी-डगर चलत देखो श्याम..पर भाव प्रदर्शन किया। अर्चना तिवारी ने वाजिद अली शाह की ठुमरी- बाबुल मोरा नैहर छूटो ही जाए, सुरभि शुक्ला ने ठुमरी- वहीं जाओ जाओ सजन पर नृत्य किया तो मनीषा मिश्रा ने तीनताल में शुद्ध नृत्य प्रस्तुत किया।

भातखंडे संगीत संस्थान सम विश्वविद्यालय की ओर से कथक की छात्राओं ने शिव वंदना की तो राष्ट्रीय कथक संस्थान की ओर से सरस्वती वंदना की प्रस्तुति हुई। कथक केन्द्र की ओर से भी समूह नृत्य की प्रस्तुति की गई। इस अवसर पर कोलकाता के असीम बंधु भट्टाचार्य ने भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए धमार में रचनाएं प्रस्तुत कीं गई।

वाराणसी से विशाल कृष्ण एवं सौरभ-गौरव मिश्र ने भी कथक के माध्यम से श्रद्धांजलि अर्पित की तो जगदीशपुर से अशोक महाराज एवं उनके पुत्रों ने भी कथक के माध्यम से श्रद्धासुमन अर्पित किए। विशाल कृष्ण ने शिव और कृष्ण की होली का वर्णन-धूम मचाओ है होरी ब्रज में किया।

गायक-गायिकाओं ने यूं अर्पित की श्रद्धांजलि

गौरतलब है कि पंडित बिरजू महाराज कथक नर्तक के साथ ही एक कुशल गायक भी थे। वे आकाशवाणी से और विभिन्न संगीत समारोहों में उपशास्त्रीय रचनाएं सुनाते थे। समारोह में उन्हें गायक-गायिकाओं ने गायन से श्रद्धासुमन अर्पित किए। लोकप्रिय गायिका मालिनी अवस्थी ने बड़े ही भावपूर्ण रूप से गायन किया। सुनाया।

रामेश्वर प्रसाद मिश्र ने गायन के जरिए अपनी श्रद्धांजलि व्यक्त की। इन कार्यक्रमों में संगत कलाकारों के रूप में भाग लेकर पंडित धर्मनाथ मिश्र, पंडित रविनाथ मिश्र, विकास मिश्र, राजीव शुक्ल, कमलाकान्त मिश्र, हयात हुसैन खान, दीपेन्द्र कुंवर, बृजेन्द्र श्रीवास्तव ने पंडित बिरजू महाराज को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की।

वहीं समारोह में मालिनी अवस्थी ने गायन प्रस्तुत करते हुए जब कथक कलाकारों को भाव प्रदर्शन के लिए आमंत्रित किया तो सुरभि सिंह, अनुज मिश्र, मनीषा मिश्र, विशाल कृष्ण, सौरव गौरव ने भाव प्रदर्शित कर इसे अनूठा अवसर बना दिया। मालिनी अवस्थी ने रंग डारूंगी नंद के लालन पर.. सुनाया।

पं. बिरजू महाराज को यूं किया गया याद

कार्यक्रम में वरिष्ठ संगीत प्रेमी उमा त्रिगुणायत ने स्वरचित कविता-कालका बिंदा की ड्योढ़ी पर जन्मा वसंत में लाल सुनाया। वरिष्ठ गायिका कमला श्रीवास्तव, पंडित बिरजू महाराज के चाचा पंडित शंभु महाराज की बेटी रामेश्वरी देवी, वरिष्ठ कथक नृत्यांगना कुमकुम आदर्श, अनीता भार्गव ने संस्मरण सुनाए।

इस मौके पर कलाश्रम द्वारा प्रकाशित कथक की प्राचीन पांडुलिपि के अनुवाद का विमोचन भी हुआ। पूरे समारोह का संचालन पत्रकार एवं कला समीक्षक आलोक पराड़कर ने किया।

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